मैं का मर्म समझना, यानि मानवता की इबादत करना है:– पंडित रामकृष्ण शर्मा

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चंडीगढ़: 26 मार्च: आरके विक्रमा शर्मा/ एनके धीमान प्रस्तुति:—कड़वा सत्य है और भेद से परे का सत्य है। कि मैं ही मैं को मार जाती है। और मैं का ही भेद शून्य  बना रहता है। और जब हम किसी भेद का पार पा जाते हैं। तो समझो मानवता का पार पा जाते हैं। भगवान ने सब को एक जैसा बनाया । क्योंकि वह भगवान है। लेकिन है तो एक। उसके आगे हम करोड़ों लेकिन अनेक हैं। बस यही भगवान और इंसान का फर्क है। इस फर्क को इस खाई को पाटने का जब भी हम प्रयत्न करते हैं। सोच विचार करते हैं। तो यह उस परम शक्ति की इबादत होती है। बंदना होती है। प्रार्थना होती है। जो सफल होती है। सार्थक होती है।। क्योंकि वह सत्य होती है सत्य का मर्म पहचाने तो मैं से वाकिफ हो जाओगे यह गूढ़ विचार जाने-माने समाज सेवक और धर्म प्रज्ञ पंडित रामकृष्ण शर्मा ने अपने से निजता रखने वाले  सज्जनों की जमात में व्यक्त किए।।।

*मैं हिंदू हूँ !!*

ओशो ने कहा –
जब से मैंने होश संभाला है लगातार सुनता आ रहा हूँ कि-

बनिया कंजूस होता है !!
नाई चतुर होता है !!

ब्राह्मण धर्म के नाम पर सबको बेवकूफ बनाता है !!

यादव की बुद्धि कमजोर होती है !!

राजपूत अत्याचारी होते हैं !!
दलित गंदे होते हैं !!

जाट और गुर्ज्जर बेवजह लड़ने वाले होते हैं !!

मारवाड़ी लालची होते हैं !!

और ना जाने ऐसी कितनी असत्य परम ज्ञान की बातें सभी हिन्दुओं को आहिस्ते-आहिस्ते सिखाई गयी …!!

नतीजा!
हीन भावना …!!

एक दूसरे की जाति पर शक और द्वेष धीरे-धीरे आपस में टकराव होना शुरू हुआ और अंतिम परिणाम हुआ कि मजबूत, कर्मयोगी और सहिष्णु हिन्दू समाज आपस में ही लड़कर कमजोर होने लगा …..!!

उनको उनका लक्ष्य प्राप्त हुआ ! हजारों साल से आप साथ थे! आपसे लड़ना मुश्किल था !!

अब आपको मिटाना आसान है !!

आपको पूछना चाहिए था कि अत्याचारी राजपूतों ने सभी जातियों की रक्षा के लिए हमेशा अपना खून क्यों बहाया

आपको पूछना था कि अगर दलित को ब्राह्मण इतना ही गन्दा समझते थे तो बाल्मीकि रामायण जो एक दलित ने लिखा उसकी सभी पूजा क्यों करते हैं

माता सीता क्यों महर्षि वाल्मीकि के आश्रम में रहती

आपने नहीं पूछा कि आपको सोने का चिड़ियाँ बनाने में मारवाड़ियों और बनियों का क्या योगदान था

सभी मंदिर स्कूल हॉस्पिटल बनाने वाले लोक कल्याण का काम करने वाले बनिया होते हैं! सभी को रोजगार देने वाले बनिया होते हैं! सबसे ज्यादा आयकर देने वाले बनिया होते हैं

जिस डोम को आपने नीच मान लिया, उसी के हाथ से दी गई अग्नि से आपको मुक्ति क्यों मिलती है

जाट और गुर्जर अगर मेहनती लड़ाके नहीं होते तो आपके लिए अन्न का उत्पादन कौन करता, सेना में भर्ती कौन होता ।

जैसे ही कोई किसी जाति की, कोई मामूली सी भी, बुरी बात करे, उसे टोकिये और ऐतराज़ कीजिये

याद रहे!
आप सिर्फ हिन्दू हैं। हिन्दू वो जो हिन्दूस्तान में रहते आये हैं …!!

हमने कभी किसी अन्य धर्म का अपमान नहीं किया तो फिर अपने हिन्दू भाइयों को कैसे अपमानित करते हो और क्यों

अब न अपमानित करेंगे और न होने देंगे! एक रहें सशक्त रहें …!!

मिलजुल कर मजबूत भारत का निर्माण करें !!

मैं ब्राम्हण हूँ
जब मै पढ़ता हूँ और पढ़ाता हूँ !!

मैं क्षत्रिय हूँ
जब मैं अपने परिवार की रक्षा करता हूँ !!

मैं वैश्य हूँ
जब मैं अपने घर का प्रबंधन करता हूँ !!

मैं शूद्र हूँ
जब मैं अपना घर साफ रखता हूँ !!

ये सब मेरे भीतर है इन सबके संयोजन से मैं बना हूँ !!

क्या मेरे अस्तित्व से किसी एक क्षण भी इन्हें अलग कर सकते हैं

क्या किसी भी जाति के हिन्दू के भीतर से ब्राहमण, क्षत्रिय, वैश्य या शूद्र को अलग कर सकते हैं

वस्त्तुतः सच यह है कि हम सुबह से रात तक इन चारों वर्णों के बीच बदलते रहते हैं !!

मुझे गर्व है कि मैं एक हिंदू हूँ !!

मेरे टुकड़े-टुकड़े करने की कोई कोशिश न करें …!!

मैं हिन्दू हूँ हिन्दुस्तान का
मैं पहचान हूँ हिन्दुस्तान का …!!!

जय हिंद
वन्दे मातरम्🚩

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