किसान आंदोलन और श्री राम मंदिर सत्ता की चाबी साबित होंगी 2024 लोस चुनावों में

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चंडीगढ़:- 15 जनवरी:- मनिंदर सरोहा (आमंत्रित जर्नलिस्ट):— किसान नेता राकेश टिकैत ने पहले ही घोषणा कर दी है कि किसानों का आंदोलन 2024 के चुनावों तक चलेगा और आज यह खबर है कि राम मंदिर भी अप्रैल 2024 तक बनाने का कार्यक्रम है। देखते है भूख बनाम भक्ति में बाज़ी कौन मारता है। आप क्या कहते हैं?

स्वामी विवेकानंद ने तो “भूखे भजन न होय गुपाला” वाली बात अमेरिका के अपने विश्वप्रसिद्ध
भाषण में कही थी। भूखे को भोजन पहले चाहिए भजन तो वो कभी भी कर लेगा। इस सरकार का तो हर-एक काम लोगों को भूखों मारने का ही है। किसान कानूनों को ही देख लीजिए। किसानों ने मांग नहीं की। किसान इन कानूनों को समाप्त करने के लिए आंदोलन कर रहे हैं लेकिन सरकार इन जनविरोधी और ग़ैर-संवैधानिक कानूनों को बनाए रखने की ज़िद पर अड़ी है। इनको किसानों के हित में बता रही है जबकि किसानों का मानना यह है कि ये तीनों कानून किसानों को बर्बाद कर देंगे क्योंकि जिस तरह इन कानूनों में कॉरपोरेट्स को किसानों की जमीनों पर उनसे ही उनके ही खेतों पर अपने ही मनानुसार खेती करवाने का आग्रह है और खरीद के वक़्त अनाज की गुणवत्ता पर ऑब्जेक्शन उठाने और फसल की खरीद को कैंसिल करने का अधिकार है उससे तो हर किसान महज़ चार सालों में इतना कर्जदार हो सकता है कि जिससे कॉर्पोरेट लैंड रेवेन्यू की तरह अपने पैसे वसूल करने का अधिकार पा जाएगा। यह कर्ज़ तो पुराने ज़माने के अफगानी पठानों के कर्ज़ से भी बड़ा भारी पड़ेगा। लेकिन सरकार ज़िद पर अड़ी है क्योंकि कॉर्पोरेट से कर्ज़ लेकर ही यह पार्टी सत्ता में आई है। अपनी सरकार बचाने के लिए ही इसने सारे सरकारी उद्यम ओने पोने दामों में कॉरपोरेटों के हवाले कर दिए। देश की पिछलै सत्तर वर्षों में बनाई इंफ्रास्ट्रक्चर को चंद कॉरपोरेटों के हवाले कर दिया है। ऐसा देश और जनविरोधी काम किसी सरकार ने कभी नहीं किया होगा। अपने एजेंडे के तहत कई मुनाफे में चल रहे सरकारी कॉरपोरेशन्स को घाटे में लाया गया फिर उन्हें बेचा गया। मुनाफे वाले कॉर्पोरेशन्स भी बेचे हैं इस सरकार ने। विकास की तो बात ही देश भूल गया है। विकास के नाम पर विनाश हुआ है। समाज मे अराजकता फैल गयी है। धर्मों और जातियों मेवमनस्य पैदा कर दिया है। लोगों को पता चल गया कि देश नंगा हो गया है। देश की लाखों करोड़ों की आमदनी को इस सरकार ने समाप्त कर दिया है। इन उद्योगों में लगे लाखों लोगों की नौकरियां खतरे में आ गयीं है। जिन लोगों को अप्पोइन्टमेन्ट लेटर मिल चुके हैं उनको भी पोस्ट महीन दी गईं हैं। नाक भर्ती हो नहीं रही हैं। लोगों को आत्मनिर्भर बनने का उपदेश दे कर सरकार को कॉरपोरेटों का मुँहदेखी बना दिया है। सरकार को इस उपलब्धि के लिए नोबेल प्राइज मिलना चाहिए। अपना खर्च के लिए अबअब उस आमदनी की जगह अपना ख़र्च चलाने के लिए यह सरकार आम आदमी पर टैक्स का बोझ भी डाल देगी और तेल की तरहः हर चीज़ के दामों को इस कदर बढ़ा देगी कि आम आदमी खरीद ही नहीं पायेगा। खाने पीने की चीज़ों का भंडारण करने की मनमानी छूट दे कर मनमा नई लूट का रास्ता खोल दिया है। जब से यह सरकार आई है तब से इसने करोड़ों लोगों को बेरोज़गार कर दिया है। देश के बिकने कोई कसर रह गई है क्या? यह आप सोचें। अल्फा न्यूज इंडिया की ताजातरीन पेशकश।।

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