राष्ट्र में राष्ट्रीयता के संदर्भ में राष्ट्रीय भाषा का फिरंगी भाषा में सिर चढ़ का बोला अपमान , मौका था राष्ट्रीय हिंदी दिन

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===हिंदी है दुनिया में सब से अधिक बोली जाने वाली तीसरे पायदान पर खड़ी भाषा 
राष्ट्र में राष्ट्रीयता के संदर्भ में राष्ट्रीय भाषा का फिरंगी भाषा में सिर चढ़ का बोला अपमान , मौका था राष्ट्रीय हिंदी दिन  
चंडीगढ़ ; 14 सितंबर ; आरके शर्मा विक्रमा ;—– समूचा राष्ट्र आज अपनी राष्ट्रीयता का दम भरते हुए राष्ट्रीय भाषा हिंदी दिवस का बड़े उत्साह से आयोजन कर रहा है ! पर गर्व की जगह ये सिर्फ लानत के सिवा कुछ और अपना महत्व नहीं दिखा सका ! बेचारी राष्ट्रीय भाषा फिरंगी भाषा [इंग्लिश] से अपमानित होने का दंश आज भी झेल रही है ! इससे बड़ी शर्म की और बात ही क्या होगी कि राष्ट्रीय भाषा को समर्पित राष्ट्रीय हिंदी दिवस ही इंग्लिश में आयोजित किया जा रहा है ! आयोजन स्थल में प्रवेश करते ही प्रथम दृश्य का अवलोकन फिरंगी भाषा में होना कम से कम आज की अहमियत और गरिमा को धुल धुसित करता रहा ! शिक्षितों की सिटी चंडीगढ़ के सेक्टर 26 स्थित गुरु गोविंदसिंह कालेज फॉर वुमेन में हिंदी दिवस का आयोजन किया गया ! हालाँकि ये आयोजन सिर्फ हिंदी भाषा के विद्यार्थियों और उनके ही अध्यापकों तक सिमित होकर रह गया ! इसमें आयोजन के वक़्त कालेज की प्रिंसिपल तक नदारद रहीं ! और समूचा कालेज भी उक्त गरिमामय आयोजन काभगीदार बनने सेवंचित ही रखा गया क्यों के पीछे की कहानी ये नामवर कालेज खुद बयान करता है ! ब्लैकबोर्ड पर फिरंगी भाषा में ही हिंदी दिवस 14 सितंबर 2018 लिखा हुआ देख कर राष्ट्र प्रेम के नाम पर कोरी और ओछी मानसिकता के साक्षात् दर्शन दिल दिमाग और आयोजन के मंतव्य को शर्मसार कर गए ! बाकि भाषण और अन्य गतिविधयां तो दूसरे क्रम पर कैसे रही होंगी ये तो लिखने की अब जरूरत तक नहीं रही ! राष्ट्रीयता का घोर अपमान का ये कोई ये ही ओर पहला अवसर नहीं है, ये तो फिरंगियों के देश में कदम पड़ने से शुरू होकर आज तक स्वतंत्र भारत में अबाध रूप से जारी है !  

 HINDI DIWAS CELEBRATED AT GGSCW-26
On September 14, 2018, Hindi Diwas was celebrated in Guru Gobind Singh College for Women, Sector 26, Chandigarh. The event was coordinated by Dr. Aradhna Mehtani of the Hindi Department and presided over by the Principal, Dr. Jatinder Kaur. On this occasion, students recited poems on the topic ‘Stree Vimash’.

The importance of bilingualism was discussed, and it was brought to light that Hindi and English are not opposing languages. The importance of staying connected to one’s roots and one’s mother tongue was illuminated. Knowledge of one’s mother tongue is a matter of pride. Hindi was the language of our freedom struggle. Hindi unites the people of diverse cultures in our country and serves as a lingua franca.

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