चण्डीगढ़ 28 अप्रैल: [ ALPHA NEWS INDIA]:—इस संसार से छोटा-बड़ा, अमीर-गरीब, निर्बल और बलवान सभी को एक दिन जाना होता है, अध्यात्मवाद में कोई इन्सानअपनी जिन्दगी कितने साल इस धरती पर जी कर गया की बजाए उसने अपना जीवन किस तरह का जिया, अर्थात घर-समाज-देश में लोगों के साथउसका कैसा व्यवहार था, यह अधिक महत्वपूर्ण होता है, ये भाव आज देहली से आए सन्त निरंकारी योजना एवं सलाहकार बोर्ड के अध्यक्ष श्री के. आर.चढ्ढा जी ने श्री प्रवीन नन्दवानी जी के ब्रह्मलीन होने पर यहां सैक्टर 30 में स्थित सन्त निरंकारी सत्संग भवन में हुए श्रद्धांजलि समारोह में हज़ारों कीसंख्या में उपस्थित श्रोताओं को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किए । श्री चढ्ढा ने आगे कहा कि इन्सान का शरीर तो पिंजरे के समान है जो यहीं रह जाता है लेकिन इसमें विराजमान आत्मा पंछी कीतरह उड़ जाती है । जो इन्सान अपने जीवन-काल में मानुष जन्म के उद्देश्य को पूरा कर लेते हैं वे मृत्यु से डरते नहीं क्योंकि उन्हें सत्गुरू माता सविन्द्रहरदेव जी से ब्रह्मज्ञान प्राप्त करने बाद यह विश्वास हो चुका होता है कि इस शरीर को त्यागने के बाद मेरी आत्मा ने कहीं और नहीं बल्कि अपने निज घर मेंजाना है । इसके अतिरिक्त उनके परिवा र के सदस्य जिन्हें ब्रह्मज्ञान की प्राप्त हो चुकी होती है वे भी यह भली भांति जान चुके होते हैं कि उनके परिवार केमृत सदस्य की आत्मा चौरासी के चक्कर में नहीं बल्कि इस घट-घटवासी परमात्मा में विलीन हो गई है जिसकारण वे रो-रो कर अपना बुरा हाल करनेकी बजाए परमात्मा के भाणे को मानना ही उचित समझते हैं। इससे पूर्व श्री मदन लाल जी की सुपुत्री सुमन जी के भी इस नाशवान शरीर को त्यागने केउपलक्ष्य में हुए श्रद्धांजलि समारोह में भी ऐसे ही भाव व्यक्त किए गए । इस अवसर पर सन्त निरंकारी मण्डल के सचिव श्री सी.एल.गुलाटी जी, श्रीमति जोगिन्द्र कौर जी मैम्बर इन्चार्ज, ब्रान्च प्रशासनविभाग, करनाल के ज़ोनल इन्चार्ज श्री सतीश जी, चण्डीगढ़ के ज़ोनल इन्चार्ज श्री के. के. कश्यप तथा चण्डीगढ़ के संयोजक श्री नवनीत पाठक जी ने भीश्री प्रवीन नन्दवानी जी के गुणों की चर्चा करते हुए इस अवसर पर अपने भाव व्यक्त किए । श्री मोहिन्द्र नन्दवानी जी ने इस अवसर पर उपस्थित सदस्यों का परिवार के सभी सदस्यों की ओर से धन्यवाद किया ।