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चंडीगढ़ मोहाली 29 अक्टूबर 25 आरके विक्रमा शर्मा अनिल शारदा रक्षत शर्मा—- सरकारी नौकरी को जिम्मेदारी के साथ नैतिक जिम्मेदारी स्वीकार करते हुए जवाब देही से अधिकारों को मजबूत सहारा बनाकर कर्तव्य निभाया जाए तो नाम व यश बुलन्दी छूता भी है।।पंजाब पुलिस” की एक “कर्मचारी लड़की” ने ” महज 3 महीने” में “72 लापता लड़कियों” को “मिलकर” अपने “माता-पिता” के पास “वापस” ले आई। शाबाशी, “माई भागो दी वारिस” ने “कितनी बेटियों” की “इज्जत” को धूल से बचा लिया। “अन्य कर्मचारियों” से कोई अलग वेतन” नहीं मिलता। फिर भी उन्होंने “अपना काम” पूरी “मेहनत” व निष्ठा से किया। कड़वा सच तो यही है कि”खोये हुए आमुक बच्चे” का “दर्द” सिर्फ एक “औरत” ही समझती है। इसलिए पब्लिक के साथ-साथ अल्फा न्यूज़ इंडिया की पुरजोर गुहार है कि ऐसे मेधावी और कर्मठ “कर्मचारियों” को अविलंब “प्रोमोशन” देना चाहिए। कर्तव्य निभाने की ललक और निष्ठा निस्वार्थ भाव से किसी का दुख दर्द बांटने वाले को ही तो फरिश्ता कहा जाता है।।

