अंतर्राष्ट्रीय गीता जयंती महोत्सव पर गीता जयंती ट्रेन चलाना ऐतिहासिक निर्णय

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अंतर्राष्ट्रीय स्तर का गीता महोत्सव में देश विदेश से सैलानियों का उमड़ेगा जनसैलाब 
गीता महोत्सव की तमाम खबरों की प्रस्तुति राकेश पंडित और अल्फ़ा न्यूज इंडिया 
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कुरुक्षेत्र :—- धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र को आस्ट्रिया से आए सैलानी वॉल्फ गैंग योग स्थली के रुप में पूजते है। इसी पावन धरा के गांव मिर्जापुर में 17 साल पहले वॉल्फ गैंग ने भारत माता आश्रम में योग की एबीसी को सीखने का मौका मिला। इस महोत्सव में पिछले 3 सालों से लगातार पहुंच रहे है और एक सप्ताह तक इस महोत्सव का आंनद लेंगे। अहम पहलु यह है कि इस अंतर्राष्ट्रीय महोत्सव में पहली बार इंडोनेशिया से भी पर्यटकों का एक ग्रुप पहुंचा है।
अंतर्राष्ट्रीय गीता जयंती महोत्सव 2016 में विदेशी सैलानियों का आगमन शुरु हो गया है। इस महोत्सव में पिछले 3 सालों से आस्ट्रिया से आ रहे वॉल्फ गैंग शनिवार को ब्रहमसरोवर के पावन तट पर भारतीय व्यंजनों का आंनद ले रहे थे। इस दौरान विशेष बातचीत करते हुए वॉल्फ गैंग ने कहा कि गीता जयंती महोत्सव के बारे में 3 साल पहले पता चला था, तबसे लगातार गीता जयंती के यादगार क्षणों का आनंद लेने के लिए कुरुक्षेत्र में पहुंच रहे है। इस गीता स्थली को विश्व के हर कोने में जाना जाता है और इस भूमि को वे योगस्थली के रुप में पूजते है, क्योंकि 17 वर्ष पहले मिर्जापुर के पास भारत माता आश्रम में योग का पहला पाठ पढ़ा। इसलिए इस भूमि को कभी भूला नहीं पाएंगे।
 उन्होंने कहा कि यहां से योग की शिक्षा लेने के उपरांत अपने देश में जाकर लोगों को योग की शिक्षा देने का काम कर रहे है। इसके साथ वे योग की शिक्षा देने के साथ-साथ संगीतकार की नौकरी भी करते है। इस बार अंतर्राष्ट्रीय गीता जयंती महोत्सव में विशेष टूर के साथ यहां पहुंचे है। इस धरा पर 7 दिन रहेंगे और जनवरी माह तक देहरादून में अपना समय बिताएंगे। उन्होंने कहा कि ब्रहमसरोवर के पावन तट पर पहुंच कर मन को शांति मिलती है और यहां का वातावरण उन्हें बेहद पंसद है। इस बेहतरीन वातावरण में गीता का ज्ञान अर्जित करके अपने आपको पूर्णत: तरोताजा महसुस करते है। इस पावन धरा पर बार-बार आवागमन लगा रहेगा।

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 अंतर्राष्ट्रीय गीता जयंती महोत्सव पर गीता जयंती ट्रेन चलाना ऐतिहासिक निर्णय:सुधा
 कुरुक्षेत्र से मथुरा के लिए सीधी चलेगी ट्रेन, मुख्यमंत्री 6 दिसम्बर को कुरुक्षेत्र से देंगे हरी झंडी, केन्द्रीय रेलमंत्री सुरेश प्रभु भी रहेंगे साथ

 कुरुक्षेत्र  ;—- विधायक सुभाष सुधा ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय गीता जयंती महोत्सव पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल के प्रयासों से कुरुक्षेत्र से मथुरा के लिए गीता जयंती ट्र्रेन का शुभारम्भ किया जा रहा है। इस ट्रेन को चलाना सरकार का एक ऐतिहासिक फैसला है। इस ट्रेन के चलने से लाखों श्रृद्धालुओं की मांग भी पूरी हो जाएंगी। अहम पहलु यह है कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल गीतास्थली कुरुक्षेत्र से इस ट्रेन को 6 दिसम्बर को झंडी देकर रवाना करेंगे। इन ऐतिहासिक क्षणों के साक्षी केन्द्रीय रेल मंत्री सुरेश प्रभु भी होंगे।
 विधायक सुभाष सुधा ने शनिवार को अपने आवास कार्यालय में मुख्यमंत्री मनोहर लाल का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री के प्रयासों से मथुरा से कुरुक्षेत्र और कुरुक्षेत्र से मथुरा के लिए गीता जयंती ट्रेन को शुरु किया जा रहा है। मुख्यमंत्री के कारण ही कुरुक्षेत्र को पर्यटन के क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक नया मुकाम मिला है। कुरुक्षेत्र को पर्यटन के क्षेत्र में आगे ले जाने के लिए एक और पायदान की तरफ बढ़ते हुए मुख्यमंत्री ने केन्द्रीय मंत्री सुरेश प्रभु के समक्ष मथुरा से कुरुक्षेत्र विशेष ट्रेन चलाने का प्रस्ताव रखा था। केन्द्रीय मंत्री ने शुक्रवार को देर सायं मुख्यमंत्री के प्रस्ताव पर मोहर लगाकर दोनों पवित्र स्थलों के लाखों लोगों को एक नई सौगात देने का निर्णय लिया है।
 उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण की जन्मभूमि मथुरा से गीता जयंती ट्रेन सुबह 6 बजे कुरुक्षेत्र के लिए रवाना होगी और दोपहर 12 बजे कर्मभूमि कुरुक्षेत्र के रेलवे स्टेशन पर पहुंचेगी। इसी तरह यह ट्रेन कुरुक्षेत्र से 2 बजे चलकर रात्रि 8 बजे दिल्ली से होती हुई मथुरा में पहुंचेंगी। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण की कर्मभूमि और जन्मभूमि के लाखों लोगों की मांग थी कि इन दोनों स्थलों को के बीच श्रृद्धालुओं के आवागमन के लिए ट्रेन चलाई जाए ताकि दोनों शहरों में आने वाली परेशानियों से निजात पाई जा सके। मुख्यमंत्री मनोहर लाल के प्रयासों से केन्द्रीय रेल मंत्री ने दोनों प्रदेशों के लाखों लोगों की मांग को पूरा करते हुए एक अनोखी सौगात देने का निर्णय लिया है।
 विधायक ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय गीता जयंती महोत्सव 2016 का 6 दिसम्बर को शुभारम्भ करने के लिए जहां राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी स्वयं आ रहे है, उसी दिन इस पावन पर्व पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल इस गीता जयंती ट्रेन को कुरुक्षेत्र से हरी झंडी देकर आमजन को सपूर्द करेंगे। इस ट्रेन के चलने से न केवलों दोनों शहरों के श्रृद्धालुओं की दूरिया कम होंगी, वहीं पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। इससे दोनों शहरों के व्यापारियों को भी आर्थिक रुप से लाभ मिलेगा।

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 मंत्री से लेकर आमजन दिवाने है गोहाना के ताऊ बलजीत की जलेब के
 ताऊ बलजीत को जलेबी बनाने पर एनडीआरआई करनाल और मेरठ के विश्वविद्यालय से मिला सम्मान, गीता जयंती महोत्सव में बड़े चाव से चखते है ताऊ की जलेबियों का स्वाद

 कुरुक्षेत्र ;  अंतर्राष्ट्रीय गीता जयंती महोत्सव में गोहाना के ताऊ बलजीत की जलेबी का स्वाद फिर से पर्यटकों को लुभा रहा है। इस जलेबी के मंत्री से लेकर आमजन दिवाने है और जयंती में हर वर्ष आने वाले पर्यटक ताऊ की जलेबी के स्टाल को तलाशते है।
1980 से जलेबी बना रहे गोहाना निवासी ताऊ बलजीत सिंह ने कुरुक्षेत्र ही नहीं हरियाणा वासियों के दिल में एक खास जगह बना ली है। इस महोत्सव के अलावा सुरजकुंड मेला, कलाग्राम, प्रगति मेला नई दिल्ली सहित आसपास के राज्यों के पर्यटक भी जलेब बनाने वाले बलजीत को ताऊ के नाम से जानते है। इस वर्ष एक बार फिर पर्यटकों के स्वाद को बनाए रखने के लिए ताऊ बलजीत ने गोहाना की जलेबी को स्टाल नम्बर 255 पर सजाया है। इस वर्ष भी जलेबी के रेट में इजाफा नहीं किया है। इस देसी घी की जलेबी का मुल्य 200 रुपए प्रति किलो निर्धारित किया है।
 उन्होंने बातचीत करते हुए बताया कि हरियाणा के कृषि मंत्री ओपी धनखड़, परिवहन मंत्री कृष्ण पवंार सहित कई राज्यों के राज्यपाल, मंत्रीगण हरियाणा ही नहीं विभिन्न प्रदेशों में लगने मेलों में जलेबी का स्वाद चख चुके है। उन्होंने कहा कि अभी हाल में ही सितम्बर माह में मेरठ के सरदार वल्लभ भाई पटेल विश्वविद्यालय के कुलपति ने जलेबी बनाने पर सम्मानित किया है। इसके बाद अभी हाल में ही एनडीआरआई करनाल के निदेशक ने भी प्रंशसा पत्र देकर सम्मानित किया है। उन्होंने कहा कि उनकी एक जलेबी का वजन 250 ग्राम है। इस जलेबी को बनता देखकर यकायक हर किसी के कदम रुक जाते है। उन्होंने कहा कि 1980 से जलेबी बनाने का काम कर रहे है। सभी मेलों से ज्यादा गीता जयंती महोत्सव में गोहाना की इस जलेबी को बड़े चाव के साथ चखते है। इसलिए पर्यटकों के स्वाद को देखते हुए हर साल इस महोत्सव में पहुंच रहे है।

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 बांस की बनी आधुनिक लालटेन करेगी महोत्सव में उजाला
असम से पर्यटकों के लिए बांस से लालटेन बनाकर लाए महोत्सव में, 16 सालों से पहुंच रहे है गीता स्थली कुरुक्षेत्र में

 कुरुक्षेत्र : — असम की बांस से बनी आधुनिक लालटेन इस अंतर्राष्ट्रीय गीता जयंती महोत्सव के साथ-साथ सैंकड़ों पर्यटकों के घरों में उजाला करेंगी। इस लालटेन को विशेष तौर पर असम से बनाकर शिल्पकार अमल दास लाए है। अहम पहलु यह है कि शिल्पकार अमल दास पिछले 16 सालों से गीता जयंती महोत्सव में आ रहे है। 
> अंतर्राष्ट्रीय गीता जयंती महोत्सव 2016 में ब्रहमसरोवर के पूर्वी तट पर स्टाल नम्बर 176 पर पर्यटकों के लिए बांस की बारीक डंडियों से बनी लालटेन, फलों की टोकरी, पैन स्टैंड सहित अनेक प्रकार के खिलौने भी सजाए गए है। शिल्पकार अमल दास ने हालांकि स्टेट या राष्ट्रीय आवार्ड के लिए आवेदन नहीं किया है। लेकिन उनकी शिल्प कला को डिस्पले के लिए उत्तर-पश्चिम स्टेट के प्रमाण पत्र से सम्मानित किया जा चुका है।
> उन्होंने कहा कि असम से बांस की लकड़ी से लालटेन बनाकर लाएं है। इस वर्ष कैरोसिन बंद होने के कारण इस लालटेन  को आधनिक बनाकर लाए है। इस लालटेन से एलईडी या दूसरे बल्ब से रोशनी होगी। इस लालटेन को बिजली से चलाया जा सकेगा या फिर छोटी बैटरी का प्रयोग किया जा सकता है। इस लालटेन की कीमत 350 रुपए निर्धारित की गई है। उन्होंने कहा कि मनी प्लांट की बेल के लिए बांस का गमला भी बनाकर लाए हैं। उनके स्टाल पर बांस से बने खिलौनों की कीमत 50 रुपए से लेकर 200 रुपए तक रखी गई है।
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 राजस्थानी दाल-बाटी चुरमा का स्वाद चाव से चख रहे है पर्यटक
 महोत्सव में राजस्थानी व्यंजन महोत्सव में बने पर्यटकों की पंसद, 10 सालों से महोत्सव में पहुंच रहे है पर्यटक, 30 रुपए में चख सकते राजस्थानी भोजन का स्वाद

 कुरुक्षेत्र : राजस्थानी दाल-बाटी चुरमा का स्वाद देश-विदेश से आए पर्यटक चाव से चख रहे है। इस प्रदेश के व्यंजन पर्यटकों की पहली पंसद बन गए है और 10 सालों से गीता जयंती महोत्सव में राजस्थानी व्यंजन पर्यटकों का स्वाद बढ़ा रहे है। अहम पहलु यह है कि 30 रुपए से लेकर 150 रुपए तक की कीमत से सभी व्यंजनों का स्वाद चखा जा सकता है। 
 महोत्सव में ब्रहमसरोवर के उत्तरी तट पर राजस्थानी व्यंजनों की व्यवस्था पर्यटकों के लिए विशेष तौर पर की गई है। इन व्यंजनों के स्वाद और गुणवता पर विशेष ध्यान देने के लिए प्रशासन की तरफ से विशेष हिदायत भी जारी की गई है। इन हिदायतों के मद्देनजर जयपुर से सुरेन्द्र सिंह राजस्थानी व्यंजनों को तैयार कर रहे है। उन्होंने बातचीत करते हुए बताया कि पिछले 10 सालों से गीता जयंती महोत्सव में राजस्थानी व्यंजनों से पर्यटकों का स्वाद बढ़ा रहे है। 
 इस महोत्सव में लोग दाल-बाटी चुरमा को पसंद कर रहे है। इसकी कीमत 150 रुपए निर्धारित की गई है। इसके अलावा बेसन गट्टे की सब्जी, लहसुन चटनी, मूंग दाल का हलवा, बाजरे व मिस्सी रोटी, कचोरी, आलु चाट, जोधपुरी मावा, मिर्ची वड़ा, मूंग दाल पकौड़ी विशेष तौर तैयार कर रहे है। उन्होंने कहा कि इस महोत्सव में लोग राजस्थानी व्यंजनों को खूब पसंद कर रहे है। 

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 लाख की चुडिय़ां कभी थी जयपुर राजघराने की शान
 लाख का सम्बन्ध रहा है महाभारत से, अब लाख की चुडिय़ां खनक सुनाई देगी महोत्सव

 कुरुक्षेत्र  :  जयपुर राजघराने के राजा महाराजा लाख की चुडिय़ों को पसंद करने के साथ-साथ शुभ मानते थे। इन लाख की चुडिय़ों को पहने बिना राजघराने में कोई भी दुल्हन फेर भी नहीं लेती थी। लेकिन समय बितने के साथ-साथ लाख से बनी चुडिय़ों की चमक कुछ धुंधली पड़ती दिखाई दी है। अहम पहलु यह है कि इस शिल्पकला को जीवित रखने के लिए उनका परिवार पुश्तों े लाख की चुडिय़ों और अन्य गहनों को तैयार करने का काम कर रहे है।
 जयपुर राजघराने में पुश्तों से लाख की चुडिय़ा मुहैया करवाने वाले शिल्पकार इस्लाम अहमद ने विशेष बातचीत करते हुए बताया कि लाख का कुरुक्षेत्र की महाभारत से सदियों पुराना गहरा नाता है। इस लाख से ही कौरवौं ने पांडवों के लिए लाक्षागृह तैयार किया। इसके अलावा सवांई जयसिंह मान भी लाख की शिल्पकला को पसंद करते थे। इस राजा की जयपुर के निर्माण अहम भूमिका रही है। उन्होंने कहा कि पिछली 7 पीढिय़ों से उनके दादा-दादी, नाना-नानी लाख की चुडिय़ां व अन्य गहने बनाने का काम कर रहे है। विरासत में मिली इस शिल्पकला को जीवित रखने का प्रयास कर रहे है। 
 उन्होंने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय गीता जयंती महोत्सव में व्यवसाय करने के लिए नहीं, बल्कि पर्यटकों को लाख की शिल्पकला को दिखाने और किस प्रकार लाख से चुडिय़ों और गहनों का निर्माण किया जाता है, को दिखाने के लिए आए है। उनकी सोच है कि लोग लाख की इस शिल्पकला को सीख सके, जान सके और यह कला हमेशा जीवित रहे, के उदेश्य से ही गीता जयंती महोत्सव जैसे मेलों में जाते है। उन्होंने कहा कि राजस्थान में लाख से बनी चुडिय़ों को शुभ माना जाता है। राजघरानों से लेकर अब तक दुल्हन लाख की चुडिय़ां पहनकर ही शादी करती हैं। इतना ही नहीं मुस्लिम समुदाय में भी लाख की चुडिय़ां पहनकर ही निकाह होता है। इसकी चुडिय़ा पहनने से ब्लड प्रैशर में भी नियंत्रण रहता है।
 उन्होंने लाख तैयार करने पर विस्तृत प्रकाश डालते हुए कहा कि लाख की चुडिय़ों को बनाने में काफी मशक्कत करनी पड़ती है। लाख तैयार करने के लिए सबसे पहले पेड़ों से गोंद एकत्रित करके कैमिकल डाला जाता है और सोप एस्टोन पाऊडर डालकर इसे मजबूत बनाया जाता है। इसके बाद इसको गर्म करके रोल और स्टीक बनाई जाती है। इसके पश्चात कांस्य और ऐल्यूमिनियम की छड़ों के साथ लाख मिलाकर गहने तैयार किए जाते है। इसके लिए उनको भारतीय शिल्प और डिजाईन संस्थाएं की तरफ से हंगरी में 5 दिन के टूर पर भेजा गया था। उन्होंने बताया कि इन चुडिय़ों की कीमत 50 रुपए से लेकर 500 रुपए निर्धारित की गई है।

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 सामान्य लोक अदालत में निपटाएं 184 केस: नौहरिया
 कुरुक्षेत्र : जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव एवं सीजेएम नेहा नौहरिया ने बताया कि जिला वधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा शनिवार को न्यायिक परिसर कुरुक्षेत्र की सभी कोर्टो में  अदालते लगाई गई। इस सामान्य लोक अदालत में 184 केसो का निपटारा आपसी रजामंदी से किया गया। 
 जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव एवं सीजेएम नेहा नौहरिया ने बताया कि जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष एवं जिला एवं सत्र न्यायाधीश अरूण त्यागी के मार्गदर्शन में शनिवार को सामान्य लोक अदालत लगाई गई इस लोक अदालत में सभी प्रकार के मामलें शामिल किए गए। सभी मामलों को दोनो पक्षों की रजामंदी से मामलों का निर्णय किया गया।

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