देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जैसे ही गाड़ीयों से लाल,नीली ओर आरेंज रंग की बती उतारने की तारीख तय की तभी से हमारे देश के मंत्री से लेकर संत्रीओं ने तय तारीख से पहले ही हुक्म की तालीम करना शुरू कर दिया हाल ही में भारत में मोटर व्हीकल एक्ट में संशोधन किया गया जिससे वीआईपी कल्चर पूरी तरह से खत्म हो जाएगा। मोटर व्हीकल एक्ट के तहत नीली बती का प्रयोग इमरजेंसी सेवाओं के लिए किया जाएगा। तय तारीख से पहले ही नेताओं ने गाड़ीयों से लालबती को अपने-अपने अदंाज में उतारना शुरू कर दिया ओर उसके साथ फोटो खिचंवाना भी नही भुले क्योंकि जनता को ये संदेश भी देना बेहद जरूरी है कि हम वीआईपी कल्चर को खत्म करने में सबसे आगे है ओर जनता के साथ है परन्तु अब भी भारत देश में रहने वाले प्रत्येक नागरिक के मन में एक सवाल बार-बार उठ रहा है कि क्या मात्र गाड़ीयों से लालबती उतार देने से वीआईपी कल्चर खत्म हो जाऐगा?
देश की जनता ये भी जानना चाहती है कि आज भी नेताओं के बड़े-बडे काफिले ओर उसमें पुलिसकर्मोयों की भारी भरकम फौज भी बढ़ रही है जो पुलिस जनता की सेेवा के लिए सदैव सेवा समर्पित का नारा लगाती है वह इन वीआईपी के आने ओर जाने तक वयस्त हो जाती है ओर इसका खामियाजा जनता को भुगतना पड़ता है। हम सब जानते है कि जब कोई वीआईपी किसी बस या टै्रन में सफर करते है तो मिडिया उसको बढ़ चढ दिखाती है ऐसा क्यों आखिर ये वीआईपी भी जमीन से ही जुडे हुए है आखिर क्यों दिखाया जाता है कि वीआईपी ने आज ढ़ाबे पर खाना खाया,आज नेताजी ने बस में सफर किया,आज नेता जी ने थाने का औचक निरिक्षण किया, आज नेता जी ने ये किया वो किया आखिर नेता जी तो बने ही इस लिये है कि वो जनता कि दिनचर्या में होने वाली परेशानी को नजदीक से जाने ओर उनका निवारण करें। बढ़ा हास्यप्रर्द लगता है जब अखबार या टेलिविजिन के माध्यम से ये पढ़ा या देखा जाए कि आज स्वास्थय मंत्री ने अस्पताल का दौरा किया हम सब जानते है कि यदि स्वास्थय मंत्री दौरा नही करेंगे तो क्या हम करेंगे। आज समय है कि नेताजी जनता के दरबार में जनता की परेशानीाओं से मुक्त करवाये।
आम आदमी की सुरक्षा के लिए जहां पुलिस की कमी खलती रहती है ओर जनता इन नेताओं के दरबार में पुलिस मुहैया करवाने के लिए गुहार लगाती रहती है ताकि आम आदमी को सुरक्षा के पुख्ता ईतजाम करवा सके लेकिन वही दुसरी ओर वीआईपी की सुरक्षा के लिए अनेक प्रकार की सुरक्षा केटैगरी बनायी गयी है जैसे 3.4.5.5+ जो वीआईपी की सुरक्षा करती है।
आइये हम जानते है कि किसे दी जाती है जेड और जेड प्लस सिक्युरिटी ?
राज्य के मुख्यमंत्री,कैबिनेट रैंक के मंत्री,हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के जज और कुछ उच्च अधिकारी को ही जेड या पेड प्लस कैटेगरी की सिक्युरिटी दी जाती है। जेड प्लस की जिम्मेदारी युनियन होम मिनिस्ट्री के अधिकारीक्षेत्र में होती है ओर वहीं से जरूरी गाइडलाइंस दी जाती है।
सिक्युरिटि की कैटेगरी—-
स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप– 1/4 स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप 1/2 की कैटेगरी की सिक्युरिटि पीएम और उनके परिवार वालों को दी जाती है। पूर्व प्रधानमंत्री के लिए वह 6 महीने तक रहती है। इसके अलावा स्पेशल 4 के तहत यह तहत यह सुविधा राजीव गांधी के परिवा वालों को दी गई है।
जेड प्लस—इसमें 36 जवानों को तैनात किया जाता है। इसमें 10 से ज्यादा एनएसजी कमांडो ओर पुलिस अधिकारी होते है। एनएसजी कमांडो मार्शल आर्ट माहिर होते है ओर ये कमांडो बिना हथियार से भी लड़ सकते है वीआईपी के काफिले में जैमर भी होता है।
जेड सिक्युरिटि– वीआईपी को दी जाने वाली जेड सिक्युरिटि में सीआईएसएफ,आईटीबीपी, बीएसएफ, या पुलिस के 22 जवान तैनात रहते है। इसमें एनएसजी के 5 कमांडो के साथ पुलिस अधिकारी भी तैनात होते है।
वीआईपी सुरक्षा के लिए इतना ताम जाम है यदि इस काफिले,सिक्युरिटि में थोडी कटौती की जाए ओर जनता के लिए लगा दिया जाए तो उनको कही ना कही दिन प्रतिदिन बढ़ रही अपराधों की संख्या में कटौती होगी ओर जिस दिन हम जनता को ये विश्वास दिलाने में कामयाब हो गये कि जनता ओर वीआईपी में कोई खास फर्क नही है तब हम गर्व से कह सकेगे कि भारत वीआईपी कल्चर को खत्म करने में कामयाब हो रहा है……..