तपस्या का एक तरीका ये भी – जलते अंगारो के पास बैठ की जा रही प्रार्थना

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 जोगी बंगला डेरे में बाबा ने लगाई तपती धूप में 11 धूनी       

:रोज तीन घंटे कर रहे तपस्या, दर्शन को आ रहे सैंकड़ों श्रद्धालु 

पठानकोट  : 31 मई ; कंवल रंधावा ;——-धर्म के नाम पर लोग विभिन्न तौर-तरीकों से पूजा अर्चना करते दिखाई देते
हैं। लेकिन कई बार कु छ लोग ऐसे तरीके अपनाते हैं कि देखकर हर कोई दंग रह
जाए। ऐसा ही एक मामला पठानकोट में देखने को मिला है। गर्मी के मौसम में
आग के पास जाना तो दूर कोई ऐसा सोचना भी नहीं चाहेगा। लेकिन एक बाबा
कडक़ती धूप में जलते अंगारों के पास बैठकर विश्व मंगल की कामना कर रहा है।
हम बात कर रहे हैं शहर के सर्कुलर रोड स्थित जोगी बंगला डेरे की।

हरियाणा से आए बाबा मोहित नाथ यहां जलते अंगारों के पास रोजाना तीन घंटे
बैठ कर तपस्या करते हैं। बाबा मोहित नाथ पिछले एक महीने से ऐसा कर रहे
हैं और अगले 11 दिनों तक ऐसा करेंगे। 41 दिनों की इस तपस्या के पीछे
उददेश्य सिर्फ विश्व मंगल की कामना करना है। रोजाना सैंकड़ों श्रद्धालु
उनके दर्शन करने आ रहे हैं।

हरियाणा के रोहतक जिले के रहने वाले बाबा मोहित नाथ ने बताया कि इस
प्रकार की तपस्या को गयारह धूनी कहते हैं। इसमें 11 धूनियों का घेरा
बनाया जाता है। धूनियों में गाय के गोबर के थेपले का ढेर लगाकर उसे जला
दिया जाता है। 11 धूनियों के ताप के कारण घेरे के अंदर बैठना तो दूर
घुसना भी मुश्किल होता है। लेकिन यही असली तपस्या है। वह रोज तीन घंटे 11
धूनी में बैठते हैं। ऐसा करके विश्व मंगल की कामना की जाती है। जिस जगह
पर यह गयारह धूनी लगाई जाती है उसके आसपास के क्षेत्र का काफी भला होता
है। लोगों की बिमारियां, दुख-तकलीफें दूर होती हैं। बाबा मोहित नाथ ने
बताया कि वह गुजरात, हरियाणा, पंजाब समेत कई राज्यों में आठ बार ऐसी
तपस्या कर चुके हैं।

सालों पुराना है जोगी बंगला डेरा
डेरे के संचालक पीर रंधीर नाथ ने बताया कि यह डेरा गुरू गोरखनाथ का डेरा
है। गोरखनाथ जी ने यहां पीपल के पेड़ के नीचे किसी समस्य तपस्या की थी।
यह पेड़ आज भी यहां लगा हुआ है। सैंकड़ों श्रद्धालु रोज यहां आते हैं।

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