हिंदुओं की मॉब लिंचिंग घटनाओं में तीन विशेष समानताएं

Loading

चंडीगढ़:- 24 फरवरी:- अल्फा न्यूज़ इंडिया डेस्क प्रस्तुति:–*पिछले कई दिनों में हिंदुओं की मॉब लींचिंग की जो घटनाएँ हुई हैं उनमें तीन बातें विशेष रूप से महत्वपूर्ण हैं -*

*#1. पहला, इन घटनाओं की फ्रीक्वेंसी बढ़ती जा रही है. पहले ऐसी घटनाएँ हर कुछ महीने पर होती थीं, अब हर कुछ दिन में होने लगी हैं. पहले आप एक को भूलते थे तब अगली होती थी, आज आप एक पर outrage कर रहे होते हैं तबतक अगली हो जाती है.*
*#2. दूसरा, इन घटनाओं के लिए प्रोवोकेशन का लेवल कम होता जा रहा है. इसके लिए किसी को कमलेश तिवारी की तरह नेशनल नेटवर्क पर कुछ बोलना जरूरी नहीं रह गया, आज एक फेसबुक पोस्ट पर, सरस्वती पूजा के विसर्जन पर, स्कूलों में यूनिफार्म लागू करने का समर्थन करने पर यह हत्याएँ होने लगी हैं.*
*#3.और तीसरी सबसे महत्वपूर्ण बात है, आज ये घटनाएँ डॉ नारंग वाली घटना की तरह रैंडम नहीं रह गयी हैं, बल्कि बहुत फोकस्ड हो गयी हैं. हज़ारों लोगों ने स्कूलों में मज़हबी लिबास के खिलाफ प्रदर्शन किया, उनमें से एक विज़िबल और सक्रिय लड़के की हत्या कर दी. यानि एक संदेश देना है, जो भी प्रतिकार करेगा उसकी हत्या कर दी जाएगी. यह हिन्दू समाज का प्रतिकार करने का मनोबल तोड़ने का एक लो कॉस्ट तरीका है. यह पेरिफेरी से घेरने की तकनीक है.*
*पर अगर आप दूसरे पॉइन्ट को भविष्य में प्रोजेक्ट करेंगे तो उसका लॉजिकल कॉन्क्लूजन यह है कि इन घटनाओं के लिए प्रोवोकेशन आगे जाकर और कम होगा. आप उनसे जरा सी भी असहमति व्यक्त करेंगे, यहाँ तक कि सिर्फ असहमति रखेंगे तो भी उनके निशाने पर आ जाएँगे. इसे और आगे प्रोजेक्ट करें तो अगर आप उनकी ओर से नहीं बोलेंगे तो सिर्फ चुप रहने के लिए भी निशाने पर आ जाएंगे. फिर कल को वही होगा जो होना है…आप अगर उनकी ओर से नहीं लड़ेंगे, उनकी फौज में नहीं होंगे, यानि कन्वर्ट नहीं होंगे तो फिर भी उनके निशाने पर होंगे. यानि आप जिस लड़ाई से बचना चाहते हैं, वह तो आपको लड़नी ही है…अगर इधर से ना लड़े तो आप या आपके बच्चे उधर से लड़ेंगे.*
और आखिर में पॉइंट नंबर एक… इन हमलों की फ्रीक्वेंसी बढ़ती जा रही है, कल को मैग्नीट्यूड भी बढ़ेगा. जो हत्याएँ आज हर कुछ दिन पर हो रही हैं, वे हर रोज कई होंगी. और फिर एक दिन बहुत सारी होंगी, जैसा डायरेक्ट एक्शन डे को हुआ था. यानि हम उनके नियत D-DAY के नज़दीक, और नज़दीक पहुँच रहे हैं.
हर खेल के अपने नियम होते हैं. क्रिकेट का नियम है रन – जिसने ज्यादा रन बनाए वह जीता. फुटबॉल का नियम है गोल. जिसने ज्यादा गोल किये वह जीता. आपकी ड्रिब्लिंग स्किल, आपकी स्क्वायर कट की टेक्निक मायने नहीं रखती.
हम युद्ध में हैं. दुर्भाग्य से हमारा #justiceForHarsha कहना हमें युद्ध जीतकर नहीं देगा. फिर भी हमारा outrage महत्वपूर्ण है, वह हमारे संघर्ष को वैधता देता है. जो तटस्थ हैं, निरपेक्ष हैं उन्हें शत्रुबोध कराता है, पर युद्ध जीत कर नहीं देता है. युद्ध का नियम है हिंसा. यहाँ जो अधिक हिंसा करने में सक्षम होता है वह जीतता है.
*#शस्त्रमेव_जयते …⚔️🚩*

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

132013

+

Visitors