चंडीगढ़:- 29 जुलाई:- आरके विक्रमा शर्मा +करण शर्मा प्रस्तुति:– जड़ी बूटी और वनस्पति में चिकित्सीय गुणों की भरमार होती है! हर बीमारी का इलाज पर्यावरण में ही विद्यमान है! वनस्पति हर तरफ से भौतिक समाज का भरण पोषण पुष्ट दीर्घायु जीवन बनाने में सहायक रहती है। आज पत्थरचट्टा पौधे से पथरी स्टोन की बीमारी का अचूक इलाज के बारे में जाने-माने ज्योतिषाचार्य और पंडित कृष्ण मेहता हमारे सुधी पाठकों के समक्ष प्रस्तुत कर रहे हैं।
*पत्थरचट्टा एक प्रकार का पथरी का दुश्मन,,कैसे और किन रोगों में रामबाण* ::
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#पत्थरचट्टा यह एक प्रकार का पौधा होता#पत्थरचट्टा यह एक प्रकार का पौधा होता है। ये पौधा गाल ब्लैडर यानी किड़नी में पथरी की समस्या को जड़ से खत्म कर देता है। इस पौधे को आयुर्वेद में भष्मपथरी, पाषाणभेद और पणपुट्टी के नाम से भी जाना जाता है।
साथ ही आयुर्वेद में पत्थरचट्टा को प्रोस्टेट ग्रंथि और किडनी स्टोन से जुड़ी हुई समस्याओं के इलाज की औषधि माना गया है। मेडिकल साइंस में इसे bryophyllum pinnatum कहा जाता है।
पत्थर चट्टा के पौधे में बहुत से औषधीय गुण विद्यामान होते हैं। इसी कारण से यह आंतरिक और बाहरी रूप से प्रयोग में लाया जाता है। बाहरी रूप से इसका प्रयोग खून बहने पर, घाव होने पर, फोड़े फुंसी, जलने आदि में लाभ देता है और आंतरिक रूप में यह पथरी और मूत्र संबंधित समस्याओं में राहत प्रदान करता है। आज हम आप को पत्थरचट्टा पौधे औरउसके फायदे के बारे में पूरी जानकरी देंगें
पत्थर चट्टा का पौधा खाने में खट्टा और नमकीन होता है। यह स्वाद में भी स्वादिष्ट भी है।
पत्थर चट्टा उगाने का तरीका
आप इसके पत्तों को किसी भी तरह की जमीन के अंदर डाल दें। यह उस जगह पर उग जाता है। पत्थर चट्टा की तासीर बहुत ही सामान्य होती है इसलिए हर मौसम में आप इसका सेवन कर सकते हैं।
कैसे प्रयोग करें
पत्थरचट्टा के दो पत्तों को तोड़कर उसे अच्छे से पानी में साफ कर लें। और सुबहण्सुबह खाली पेट गरम पानी के साथ इसका सेवन करें। नियमित इस्तेमाल करने से थोड़े ही दिनों में पथरी टूट कर शरीर से बाहर निकल जाएगी।
आप पत्थर चट्टा के पत्तों को चबाकर या इसकी पकौड़े बनाकर भी सेवन कर सकते हैं।
पत्थरचट्टा के अन्य फायदे
पत्थरचट्टा के रस में आप सौंठ का चूर्ण मिलाकर सेवन करें। इससे पेट में होने वाले दर्द से भी राहत मिलती है।
पित्ताशय की पथरी में पत्थरचट्टा पथरी दूर करने कारगर घरेलू उपाय
अजवायन के 10 पत्तों और पथरचटा के 10 पत्ते पीसकर लगुदी बना लें। और इसमें एक चम्मच गोखरू यह आपको आसानी से बाजार में मिल जाएगा इस को मिलाकर सुबह सुबह खाली पेट लगातार तीन दिनों तक सेवन करते रहें। इसके सेवन के बाद आपको दस्त और उल्टियां भी लग सकती हैं लेकिन चिंता न करें।
दिन में तीन बार पथरचट्टा के पत्तों का भी सेवन कर सकते हैं।
एक गिलास पानी में पथरचटा के 10 पत्तों को उबालकर काढ़ा बना लीजिए। इस काढ़े को रोज सुबह खाली पेट सेवन करें। इस विधि से 15 दिनों के अंदर मूत्र मार्ग से पथरी बाहर आ जाएगी और जल्दी से खत्म भी।
मूत्र संबंधी जितने भी रोग होते हैं उसमें भी पत्थरचट्टा बेहद लाभदायक दवा है।
पेशाब की जलन व पुरूषों में होने वाली प्रोस्टेट की समस्या भी ठीक होती है।
महिलाओं में वाइट डिस्चार्ज और पेशाब में जलन की समस्या भी पत्थर चट्टा के सेवन से ठीक हो जाती है।
पत्थर चट्टा की पत्तियों का रस पैरों पर calluses इलाज के लिए प्रयोग किया जाता है।
पत्थर चट्टा का प्रयोग करके आप अपने बालों की रुसी को दूर कर सकते हैं।
इसका प्रयोग करने से सिर का दर्द ठीक हो जाता है।
कान में दर्द होने पर पत्थर चट्टा बहुत ही लाभकारी सिद्द होता है।
फोड़े फुंसी, घाव, जलने, कटने पर पत्थर चट्टा काफी फायदेमंद साबित होता है। ऐसे में आप इसके पत्तों को पीस कर लगाएं। आपको बहुत ही जल्द आराम मिल जायेगा।
लोक चकित्सा में इसे उच्च रक्तचाप और गाउट की समस्या होने पर प्रयोग किया जाता है।
पत्थरचट्टा शरीर को ठंडक प्रदान करने वाला और किडनी लीवर की रक्षा करने वाला पौधा होता है।
पेट में अल्सर होने पर इसके पत्ते बहुत लाभ देते हैं।
सावधानियां व परहेज
इस औषधि का सेवन करते समय चूना, बिना साफ किये हुए फल और अधिक चावल आदि का सेवन न करें।
पथरी की मुख्य वजह कैलशियम होती है। शरीर में अधिक कैलशियम का होना पथरी का कारण बनता है।
यह औषधि बेहद काम की है। पथरी से परेशान लोगों को इसका नियमित सेवन करना है। यदि आप नियमित और लगातार इस इस पत्ते का सेवन करते हैं तो पथरी की समस्या जड़ से समाप्त हो जाएगी।
जब भी आप इसका सेवन करें तब इस बात को ध्यान में अवश्य रखें कि इसका सेवन करने के एक घंटे के भीतर न तो कुछ खाएं और न ही पियें।
इसका सेवन सुबह के समय खाली पेट में ही करें। किड़नी में पथरी की समस्या को जड़ से खत्म कर देता है। इस पौधे को आयुर्वेद में भष्मपथरी, पाषाणभेद और पणपुट्टी के नाम से भी जाना जाता है।
साथ ही आयुर्वेद में पत्थरचट्टा को प्रोस्टेट ग्रंथि और किडनी स्टोन से जुड़ी हुई समस्याओं के इलाज की औषधि माना गया है। मेडिकल साइंस में इसे bryophyllum pinnatum कहा जाता है।
पत्थर चट्टा के पौधे में बहुत से औषधीय गुण विद्यामान होते हैं। इसी कारण से यह आंतरिक और बाहरी रूप से प्रयोग में लाया जाता है। बाहरी रूप से इसका प्रयोग खून बहने पर, घाव होने पर, फोड़े फुंसी, जलने आदि में लाभ देता है और आंतरिक रूप में यह पथरी और मूत्र संबंधित समस्याओं में राहत प्रदान करता है। आज हम आप को पत्थरचट्टा पौधे औरउसके फायदे के बारे में पूरी जानकरी देंगें
पत्थर चट्टा का पौधा खाने में खट्टा और नमकीन होता है। यह स्वाद में भी स्वादिष्ट भी है।
पत्थर चट्टा उगाने का तरीका
आप इसके पत्तों को किसी भी तरह की जमीन के अंदर डाल दें। यह उस जगह पर उग जाता है। पत्थर चट्टा की तासीर बहुत ही सामान्य होती है इसलिए हर मौसम में आप इसका सेवन कर सकते हैं।
कैसे प्रयोग करें
पत्थरचट्टा के दो पत्तों को तोड़कर उसे अच्छे से पानी में साफ कर लें। और सुबहण्सुबह खाली पेट गरम पानी के साथ इसका सेवन करें। नियमित इस्तेमाल करने से थोड़े ही दिनों में पथरी टूट कर शरीर से बाहर निकल जाएगी।
आप पत्थर चट्टा के पत्तों को चबाकर या इसकी पकौड़े बनाकर भी सेवन कर सकते हैं।
पत्थरचट्टा के अन्य फायदे
पत्थरचट्टा के रस में आप सौंठ का चूर्ण मिलाकर सेवन करें। इससे पेट में होने वाले दर्द से भी राहत मिलती है।
पित्ताशय की पथरी में पत्थरचट्टा पथरी दूर करने कारगर घरेलू उपाय
अजवायन के 10 पत्तों और पथरचटा के 10 पत्ते पीसकर लगुदी बना लें। और इसमें एक चम्मच गोखरू यह आपको आसानी से बाजार में मिल जाएगा इस को मिलाकर सुबह सुबह खाली पेट लगातार तीन दिनों तक सेवन करते रहें। इसके सेवन के बाद आपको दस्त और उल्टियां भी लग सकती हैं लेकिन चिंता न करें।
दिन में तीन बार पथरचट्टा के पत्तों का भी सेवन कर सकते हैं।
एक गिलास पानी में पथरचटा के 10 पत्तों को उबालकर काढ़ा बना लीजिए। इस काढ़े को रोज सुबह खाली पेट सेवन करें। इस विधि से 15 दिनों के अंदर मूत्र मार्ग से पथरी बाहर आ जाएगी और जल्द से खत्म भी।
मूत्र संबंधी जितने भी रोग होते हैं उसमें भी पत्थरचट्टा बेहद लाभदायक दवा है।
पेशाब की जलन व पुरूषों में होने वाली प्रोस्टेट की समस्या भी ठीक होती है।
महिलाओं में वाइट डिस्चार्ज और पेशाब में जलन की समस्या भी पत्थर चट्टा के सेवन से ठीक हो जाती है।
पत्थर चट्टा की पत्तियों का रस पैरों पर calluses इलाज के लिए प्रयोग किया जाता है।
पत्थर चट्टा का प्रयोग करके आप अपने बालों की रुसी को दूर कर सकते हैं।
इसका प्रयोग करने से सिर का दर्द ठीक हो जाता है।
कान में दर्द होने पर पत्थर चट्टा बहुत ही लाभकारी सिद्द होता है।
फोड़े फुंसी, घाव, जलने, कटने पर पत्थर चट्टा काफी फायदेमंद साबित होता है। ऐसे में आप इसके पत्तों को पीस कर लगाएं। आपको बहुत ही जल्द आराम मिल जायेगा।
लोक चकित्सा में इसे उच्च रक्तचाप और गाउट की समस्या होने पर प्रयोग किया जाता है।
पत्थरचट्टा शरीर को ठंडक प्रदान करने वाला और किडनी लीवर की रक्षा करने वाला पौधा होता है।
पेट में अल्सर होने पर इसके पत्ते बहुत लाभ देते हैं।
सावधानियां व परहेज
इस औषधि का सेवन करते समय चूना, बिना साफ किये हुए फल और अधिक चावल आदि का सेवन न करें।
पथरी की मुख्य वजह कैलशियम होती है। शरीर में अधिक कैलशियम का होना पथरी का कारण बनता है।
यह औषधि बेहद काम की है। पथरी से परेशान लोगों को इसका नियमित सेवन करना है। यदि आप नियमित और लगातार इस इस पत्ते का सेवन करते हैं तो पथरी की समस्या जड़ से समाप्त हो जाएगी।
जब भी आप इसका सेवन करें तब इस बात को ध्यान में अवश्य रखें कि इसका सेवन करने के एक घंटे के भीतर न तो कुछ खाएं और न ही पियें।
इसका सेवन सुबह के समय खाली पेट में ही करें।