चंडीगढ़/जैसलमेर ;—-7 फरवरी ; आरके शर्मा विक्रमा /एनके धीमान /चंद्र भान सोलंकी ;—– हक की हकीकी हलाक नहीं हो सकती है ! हक की आवाज धीमी जरूर होती पर सुनवाई पूरी होती है गर जमीर वाले काजी कचहरी में मौजूद हों ! हिंदुस्तान में तकरीबन एक सौ वर्ष पहले प्रॉपर्टी को लेकर मामला सुर्ख़ियों में आया है १ 5600 कनाल जमीन का ये केस भारत पाक के बंटवारे के वक़्त का है ! उक्त जमीन्द का मालिक शहाबुद्दीन था जोकि 1918 में अल्लाह ताला को प्यारा हुआ था ! उसकी मौत के बाद ये केस धीरे 2 जवां हुआ १ केस की सुनवाई बहावलपुर की कचहरी में शुरू हुई थी ! पर सन 2005 में उक्त मामला पाकिस्तान की कोर्ट में ट्रांसफर हुआ था १
मौजूदा दौर में ये केस बहावल पुर जिला के खैरपुर तमिवाली तहसील में है १ दोनों मूलखों के बंटवारे के बाद उक्त केस की सुनवाई शुरू हुई थी १ 2005 में केस पाकिस्तान की सुप्रीमकोर्ट में भेजा गया था १पकिस्तान के मुख्यन्यायाधीश मियां साकिब निसार ने कहा था कि सभी संबंधित लोगों में बंटवारा इस्लामिक कानून के तहत होना चहिये १दोनों मूलखों में आज भी जमीनों के हजारों केस लंबित पड़े है !