बिजनेस नेक कमाई से ही हमेशा फायदेमंद होता है ; रविंद्र नाभेवाले 

Loading

चंडीगढ़ ; 3 जून ; आरके शर्मा विक्रमा ;—-बिजनेस बेईमानी से करने वाले ये भी समझें कि बिजनेस बंदगी से भी तो किया जा सकता है ! बाबे नानक ने सिख कौम को तो यही सीख दी थी ये अलग दुर्भाग्य वाली बात  है कि हम इन सब को भौतिक सुखों के लिए भूल चुके हैं ! ये विचार रविंद्र सिंह रहल नाभे वाले ने किसान मंडी में अपनी देशी चलती फिरती दूकान पर खरीददारी करने आये अल्फ़ा न्यूज इंडिया के कलमकार के साथ सांझे किये ! मानव भलाई क्लब ननौकी तहसील नाभा जिला पटियाला से जुड़े रजिंदर सिंघ रहिल ने बताया कि किसान मंडियों में अपनी टेम्पो में सब्जिया साग देसी  गुड़ व् देसी   शक़्कर  मीठी और नमकीन देसी लस्सी पनीर पिन्नी पंजीरी व्  देसी घी मख्खन कढ़ी के लिए खट्टी छाछ  में अभी तक गुणवत्ता और मात्रा को लेकर कभी कोई समझौता तक नहीं किया ! इसके पीछे इक ही मकसद है कि जब ग्राहक अपने खून पसीने की कमाई में से पुरे पैसे देता है तो दुकानदार का उससे भी बड़ा फर्ज बनता कि वह ग्राहक को पूरा और प्योर सामान दे जिसका वह कानूनी तौर पर अधिकार रखता है ! लोग सर्दियों में उनके घर के बनाये देसी तरीके से पकाये सरसों के साग मख्खन और लस्सी और चूल्हे में  पकाई गई मक्की की रोटी खरीदने और खाने के लिए दूरदराज से वशेष तौर पर आते हैं ! इसके आलावा उनकी खासियत ये भी है कि हर किसी से मीठा बोलना और सयंत रहना हँसते हुए सामान बेचना ग्राहकों में उनको हरफन मौला बनाता है ! बकौल रविंद्र सिंह रहल ग्राहक से हक़ के बनते पैसे लेना भी ग्राहकों में उनकी लोकप्रियता का राज है ! आधुनिक समाज में अब देसीपन कागजों के लिखे अक्षरों में भी नहीं  मिलते हैं !तो ऐसे  में देसी और प्योरिटी लिए खाने का सामान खोजने पर नहीं मिलता ! ये उनका खानदानी पेशा है ! घर देसी ढंग से खाने पीने का सामान बना कर मंडियों में मेलों प्रदर्शनी आदि में बेचना
उनका पुश्तैनी पेशा है ! ग्राहक की पसंद की नब्ज पहचानते हुए अपनी रोजी रोटी बखूबी प्रफुलित कर रहे हैं !

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

133403

+

Visitors