श्री प्राणनाथ प्यारे की जय निजानन्द सम्प्रदाय की जय
“निजनाम सोई जाहेर हुआ, जाकी सब दुनी राह देखत।
मुक्ति देसी ब्रह्माण्ड को, आये ब्रह्म आत्म सत।।“
चंडीगढ़ ; 25 मई ; अल्फा न्यूज़ इंडिया डेस्क ;—-आज सुबह से संचालित यहां दो दिवसिय आत्म जागृति ब्रहमज्ञान महोत्सव में श्री प्राणनाथ जागनी अभियान के तहत श्री प्राणनाथ जी मंदिर(ज्ञान केन्द्र), गली ज्योति राम, कच्चा पटियाला, आर्य समाज में सब धर्मों के ग्रन्थों के प्रमाणों द्वारा (के साथ) उनके रहस्यों को खोलकर(समझाकर), भेद मिटाकर ब्रह्मवाणी के ब्रह्मज्ञान से (जीव-और-आत्मा), (माया-और-ब्रह्म) की पहचान के साथ एक पारब्रह्म-पूर्णब्रह्म-सच्चिदानन्द-अल्लाहताला-पारपुरूख-ैनचतमउम ज्तनजी ळवक की पहचान कराकर उस एक पारब्रह्म के धाम-स्वरूप-लीला के बारे में बताया गया।
काफी सन्खया में आये (पधारे) हुए धर्म-प्रेमी सज्जनों(जिगयासुओं) ने धर्म-ग्रन्थों के रहस्यों (भेदों) को जानकर (समझ) कर अपनी आत्मा की पहचान की और एक पारब्रह्म से नाता (सन्मधं) जोडा और अपनी निसबत जगाई।
यहां सबसे महत्वपूर्ण बात इस कार्यक्रम के माघ्यम से जानने को मिली वो ये कि हमारे धर्मग्रन्थों में जिस परमात्मा (पारब्रह्म-पूर्णब्रह्म) की बात की गई उसका मिलान अन्य धर्मो के ग्रन्थों से भी मिला जैसे कि:
वेदों में- (“एको ब्रह्मत्सय दवीतीय नाअस्सति“),
(“ब्रह्म सत्य, जगत मिथ्या“)
गीता, भागवत, रामायण में- (एक अक्षरातीत, पूर्णब्रह्म, सच्चिदानन्द, नेहकलंक)
कुरान में- (एक अल्लाहताला, एक हक)
बाईबल में- ( ैनचतमउम ज्तनजी ळवक)
गुरू ग्रन्थ साहेब में- (एक पारपूरूख)
व अन्य मनीष्यिों ने जिस एक साहेब की बात की (कही) वो श्री प्राणनाथ जी के बारे में ही सिध हुई।
“नर नारी बूढा बालक, जिन इलम लिया मेरा बूझ।
तिन साहेब कर पूजिया, अर्ष का एही गूझ।।