चण्डीगढ : 23 मार्च ; अल्फा न्यूज इंडिया डेस्क ;——: संसार एक सपने की तरह है, जो इंसान संसार में आया है उसने जाना ही जाना है। इंसान एक माटी का पुतला है, पानी का बुलबुला है। परमात्मा ही एक सच है। इसका बोध केवल समय का सतगुरु ही करवा सकता है। ये उद्गार आज यहां सैक्टर 15 डी में स्थित सन्त निरंकारी सत्संग भवन में डा0 मनमोहन सिंह जी जाकि सन्त निरंकारी सत्संग भवन सैक्टर 15 और सैक्टर 30 चण्डीगढ की होमियो डिस्पेंसरी में डाक्टर की सेवा निभा रहे है की धर्म पत्नी श्रीमति सुरेन्द्र कौर जी जो दिनांक 18 मार्च को अपने नश्वर शरीर को त्याग कर ब्रह्मलीन हो गए थे के श्रद्धांजलि समारोह में हजारों की संख्या में उपस्थित संगत को सम्बोधित करते हुए एरिया सैक्टर 40 के मुखी श्री पवन कुमार जी ने व्यक्त किए ।
उल्लेखनीय है कि श्रीमति सुरेन्द्र कौर जी का जन्म 23.11.1935 में हुआ था। उनकी आयु 84 वर्ष थी। वे वर्ष 1993 में गवर्नमेंट माॅडल हाई स्कूल सैक्टर 37 सी से टीचर के पद से सेवानिवृत हुए थे। वर्ष 1960 में युग प्रर्वतक बाबा गुरूवचन सिंह के समय में श्री धर्म सिंह जी शोक से ब्रह्मज्ञान की दात प्राप्त की और इन्होने अपना पुरा जीवन सेवा, सत्संग, सिमरण और भक्ति, सादगी व परोपकारी जीवन जी कर सतगुरु के संदेश को हुबहू माना और कर्म से प्रकाशित किया।
सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज की शिक्षाओं का जिक्र करते हुए उन्होंने आगे कहा कि संत महापुरुष हमेशा ही इंसान को संसार में आकर अपने उदेश्य को पूरा करने के लिए प्रेरित करते हैं। इंसानी जन्म में आने का एक ही लक्ष्य है कि अपने आप की पहचान करना। आज का इंसान जीवन के उदेश्य को भूला कर सोया हुआ है। सारा संसार खत्म होने वाला है, निरंकार प्रभु परमात्मा सदेव रहने वाला है, जिसकी जानकारी समय के सतगुरु की शरण में जाकर ही हो सकती है। हरि के मिलाप के बिना आत्मा का कल्याण नहीं हो सकता है।