चंडीगढ़ : 28 फरवरी ; आरके शर्मा विक्रमा ;—–पंजाब यूनिवर्सिटी के हिंदी विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. यश गुलाटी की पहली पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में एक परिचर्चा का आयोजन किया गया । इस परिचर्चा में प्रो. लाल चंद गुप्त “मंगल’ ने मुख्य वक्ता के तौर पर प्रो. यश गुलाटी की रचनाधर्मिता और उनसे जुड़े संस्मरण सुनाए। उन्होंने कहा कि यश गुलाटी ने जो पहली रचना लिखी थी वह कहानी थी। उनकी कहानियां अपने समय की प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में न केवल छपीं बल्कि खूब चर्चित भी हुईं। यश गुलाटी की आलोचना की परिधि सूफी कविता से लेकर समकालीन कविता, कथा- साहित्य के पारंपरिक रूपबंधों से लेकर रेखाचित्र, संस्मरण, लघुकथा जैसी नव्यतर विधाओं तक व्याप्त हैं। समकालीन आलोचकों में उनकी विशिष्ट जगह इसलिए भी है क्योंकि उन्होंने हर तरह की दलगत राजनीति और साहित्यिक खेमेबाजी से उबरकर अपना मत स्थापित किया । इस अवसर पर यश गुलाटी की पत्नी शारदा गुलाटी और परिजन विशेष तौर शामिल हुए। शारदा गुलाटी ने अपने पति की स्मृति में विभाग को एक प्रिंटर, एक टेबल और चार प्रतिभावान बच्चों को दो-दो हजार की राशि प्रोत्साहन के तौर पर भेंट की। इसके साथ 200 के करीब किताबें प्रो. गुलाटी की निजी लाइब्रेरी से बच्चों को बांटी भी गई। इस मौके पर विभागाध्यक्ष डॉ. गुरमीत सिंह ने यश गुलाटी की साहित्यिक यात्रा और उनके विभाग को दिए योगदान की सराहना की। इस मौके पर शारदा गुलाटी ने कहा कि वह अपने पति की पुण्यतिथि को विभाग के बच्चों के साथ मनाना चाहती थी ताकि उनके पति को सच्ची श्रद्धांजलि दी जा सके। उन्होंने सभी स्टूडेंट्स को कहा कि वे अपने लक्ष्य को पूरी मेहनत और ईमानदारी से पूरा करें और खूब पढ़ें। इस परिचर्चा में प्रो. नीरजा सूद, प्रो. बैजनाथ प्रसाद, प्रो. सत्यपाल सहगल और डॉ. अशोक कुमार के साथ रिसर्च स्कॉलर भी मौजूद रहे।
शारदा गुलाटी ने यश गुलाटी की निजी लाइब्रेरी से 200 किताबें हिंदी विभाग को देते हुए ! साथ में खड़े हैं प्रो. नीरजा सूद, प्रो. बैजनाथ प्रसाद, प्रो. सत्यपाल सहगल और डॉ. अशोक कुमार आदि ——–फोटो ; nk dhiman manimajra