
मध्यप्रदेश अनूपपुर 09.04.2025 आर विक्रमा शर्मा पंकज राजपूत अनिल शारदा —– शास्त्रों में कहा गया है कि जननी जने तो सुपूत वरन् बांझ भली।। आज के शिक्षित समाज में बच्चे मां-बाप की हर कोशिश मेहनतकश जीवन और त्याग को अपने करियर और स्वार्थ के आगे भूल जाते हैं लेकिन 500 उंगलियां बराबर नहीं है जिन संतानों अपने मां-बाप को अथक मेहनत करते हुए अभावग्रस्त जीवन जीते हुए अपनी औलाद का जीवन सुधारने के लिए कुछ अलग बड़ा बनाने के लिए रात दिन एक किया हैं वह मां-बाप के प्रति सदा ईमानदार और समर्पित भाव से त्याग करना सब जानते और समझते हैं। ऐसे ही अनूपपुर जिले के अभिषेक पांडे के पिता को 2013 में आय से अधिक संपत्ति के आरोप में कांस्टेबल के पद से बर्खास्त कर दिया गया था। अभिषेक ने कानून की पढ़ाई की। खुद हाईकोर्ट में पिता का केस की पैरवी की । और बर्खास्तगी का केस जीतकर उन्होंने अपने निर्दोष पिता को पुनः उनकी वर्दी सम्मानपूर्वक वापस दिलवाई । जहां-जहां भी यह खबर जा रही है लोग मुक्त कंठ से कलयुग में ऐसे होनहार समर्पित पुत्र की खूब प्रशंसा कर रहे हैं। और अपनी संतानों को भी ऐसा आचरण धारण करने की प्ररेणा दे रहे हैं। अभिषेकने अपने घर में हिंदू सनातनी संस्कार देखते हुए यौवना पाया और वह जानता था कि पिता निर्दोष हैं। उनके घर में हराम की कमाई का कोई स्थान नहीं है उनके पिता ईमानदार मेहनती पुलिस कर्मचारी हैं। उनकी जमा-पूंजी उनके पिता के खून पसीने की कमाई है। और इन्हीं सनातनी संस्कारों ने अभिषेक पांडे को अपने पिता के आर्थिक हानि और सम्मान की निजी हानि सहित अवसाद से मुक्ति दिलाने की ठान कर वकालत पास करके मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में अपनी प्रैक्टिस शुरू की। और अपने पिता का केस लड़कर विजय प्राप्त की।