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चंडीगढ़ पहली मार्च 2025 आर विक्रम शर्मा रक्षित शर्मा ब्रह्मांड में धरा पर भौतिक जीवन चराचर जगत में भगवान शिव जो ब्रह्मांडों के सृष्टि के रचयिता हैं वही योग के प्रवर्तक हैं। योग ही शिव है। शिव ही योग है। भगवान श्री कृष्णा चार युगांत्रों के यानी कि सतयुग त्रेता द्वापर युग और कलयुग यहां तक कि कल्कि अवतार युग में भी योगी परमश्रेष्ठ हैं। योग के कितने प्रकार हैं यह तो परम ज्ञानी ऋषि मुनियों योगी और तपी आदि ही बताने में समर्थ हैं। सनातन की परिभाषा धर्म से नहीं है। सनातन का मतलब है कि जीवन जीने की सर्वमान्य सर्वहितकारी अनुशासित मर्यादित आदर्श नियमावली है। शास्त्रों में उल्लेखित है कि ऋषि मुनि और जनमानस समाज नियमों में बंधा रहता था। कार्य के हिसाब से चार वर्ण थे यानी चार वर्गों में समाज बनता हुआ था जो बाद में अपभ्रंश रूप में जाति वर्गीकरण में तब्दील हो गया। यह कड़वी सच्चाई है। सनातन धर्म कभी-भी जाति पाति नहीं मानता था। भगवान राम ने भीलनी और निषादराज के जीवन का उत्थान किया था। भीलनी यानी भील समुदाय की शाबरी के झूठे बैर तक खाए थे। तो यहां जाती पात कहां दिखाई देता है। भगवान श्रीकृष्ण जी ने महाभारत युग में झांसी की कोख से जन्मे महात्मा विदुर के घर उनकी धर्मपत्नी के हाथों का बना साग खाया था। यहां भी जात पात कहां दिखाई देती है।। द्रोणाचार्य ने सारथी पुत्र राधे यानी कारण को और एकलव्य को भील समुदाय के युवक को शस्त्र ज्ञान देने से इंकार किया था। भगवान परशुराम ने करण को शास्त्र शास्त्र विद्या सिखाई थी। उसके लिए करण ने गूरु भगवान परशुराम जी से अपने कुल समुदाय को छिपाने का अधर्म किया था। भगवान परशुराम क्षत्रियों को अपनी शिक्षा देने के पक्ष में नहीं थे। क्योंकि क्षत्रियों ने उनके पिता महर्षि जमदग्नि का घोर अपमान किया था। ब्राह्मण श्रेष्ठ यानी बह्म श्रेष्ठ ज्ञान के ज्ञाता परशुराम भगवान शिव के परम स्नेही शिष्य थे। और गुरु द्रोणाचार्य और भीष्म पितामह करण परशुराम जी के शिष्य थे। जैसे-जैसे ज्ञानतत्व का बोध कम होता गया वैसे-वैसे समाज में कुरीतियों बुराइयों का विकारों का बोलबाला शुरू हो गया। ज्ञान देने वाले ब्राह्मण समुदाय का जब तिरस्कार और अपमान बढ़ता गया तो उन में भी सहनशक्ति खत्म होती चली गई। और मजबूरन उन्हें भी विकारी रास्तों को अपनाने पर मजबूर होना पड़ा। बताते चलें कि ब्यास दरिया का मूल उदगम स्त्रोत मां पार्वती नदी ही है। इन सभी में योग का विशेष समावेश रहा है। योग स्वास्थ्य, प्रेम व आनद, सुरक्षा और शांति के लिए अनिवार्य है।


