बांग्लादेशी जैहादियों का विरोध भारत के कोने-कोने में जारी नरम दिली मुसलमानों की खामोशी पर दे रहे लानतें
चंडीगढ़ /नई दिल्ली /मुंबई– 7 दिसंबर– आरके विक्रमा/ गुलशन वर्मा /अरुण कौशिक प्रस्तुति –बांग्लादेश के काफिरों जिहादियों द्वारा हिंदू महिलाओं बच्चों बुजुर्गों के साथ बर्बरता का हिंदुस्तान ही नहीं दुनिया भर में विरोध जारी है।। ऐसे में देशभर के लोग बांग्लादेशियों के साथ-साथ दोगले हिंदुओं की भी भर्त्सना और निंदा कर रहे हैं। भारतीय सेना के देशभक्त जवान केंद्र सरकार के हुकुम की प्रतीक्षा कर रहे हैं। और बांग्लादेश को नाकों चने चबा देने की ललकार भर रहे हैं। लोगों का सवाल है कि यू एन ओ और मानवाधिकारों की दुहाई देने वाले दोगले हिंदुस्तानियों को अब क्या सांप सूंघ गया है।।बांग्लादेश में स्वामी चिन्मय दास की जमानत याचिका 2 जनवरी तक टाल दी गई। क्योंकि उनके लिए कोई भी वकील अदालत में नहीं आया।
उनका पहला वकील एक मुस्लिम ही था। जिसे कोर्ट से बाहर मुसलमान की भीड़ ने बर्बरता पूर्वक पीट-पीट कर मार डाला।
उनका दूसरा वकील एक हिंदू रमेन राय थे। जिन्हें कोर्ट में ही पुलिस और सेना के सामने भीड़ ने मॉब लिंचिंग की, उनके घर पर हमला हुआ। उनके परिवार पर हमला हुआ कि वह आईसीयू में बेहद सीरियस हालत में भर्ती हैं। उनके दिमाग पर काफी चोट आई है – तीन जगह फ्रैक्चर हो गया है। नतीजा यह हुआ कि आज बांग्लादेश में एक हिंदू संत चिन्मय दास को कोई वकील नहीं मिल रहा। आप भारत में सोचिए, मुंबई में 1000 से ज्यादा लोगों को ब्लास्ट करके मारने वाले याकूब मेमन, जिसकी निचली अदालत हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में जुर्म साबित हुआ – उसे भी रात को 2:00 बजे वकील मिल जाते हैं। लोकतंत्र के प्रतीक
संसद पर हमला करके 30 निर्दोष लोगों को मारने वाले अफजल गुरु को मुफ्त में वकील मिल जाता है। भारत में हर एक आतंकी को मुफ्त में वकील मिल जाते हैं। और बांग्लादेश में एक हिंदू संत को, जिसके ऊपर कोई आरोप नहीं है। उनका कोई लेश मात्र भी दोष नहीं है। उसे कोई वकील नहीं मिल रहा है। हिंदुस्तान में रहने वाले मुसलमान के हमदर्द मसीहा अब क्यों नहीं हिंदुस्तानियों के कत्लेआम पर आंसू बहा रहे हैं क्यों नहीं मुंह खोल रहे हैं बांग्लादेशी हिंदुओं के नरसंहार के पीछे ऐसे ही दोगले लोगों से वहां के मुसलमान को समर्थन मिलता है।
हिंदुओं अब तो जागो अब तो सोचो😐