प्राकृतिक चिकित्सक कौशल की अनुभवी दृष्टि में गाय के देसी घी की सृष्टि

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चंडीगढ़ 26 अक्टूबर के विक्रम शर्मा अनिल शारदा प्रस्तुति प्राकृतिक चिकित्सा किशोर कौशल जी किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। रोगियों को समाज क
प्राकृतिक चिकित्सा से रोग पीड़ितों को जोड़ने में उनका अहम योगदान जारी है। स्थानीय सीनियर जर्नलिस्ट आरके विक्रमा शर्मा ने नेचुरोपैथी किशोर कौशल से देसी गाय के विशुद्ध देसी घी को प्रतिदिन अपने खाने में घी ना लेना एक फैशन बन गया है। बच्चे के जन्म के बाद मार्डन डॉक्टर्स भी घी खाने से मना करते है।
दिल के मरीजों को भी घी से दूर रहने की सलाह दी जाती है।
जानिये ये 13 अद्भुत फायदे….रोजाना कम से कम २ चम्मच गाय का घी तो खाना ही चाहिए।

  • यह वात और पित्त दोषों को शांत करता है।
  • चरक संहिता में कहा गया है की जठराग्नि को जब घी डाल कर प्रदीप्त कर दिया जाए तो कितना ही भारी भोजन क्यों ना खाया जाए, ये बुझती नहीं।
  • बच्चे के जन्म के बाद वात बढ़ जाता है जो घी के सेवन से निकल जाता है। अगर ये नहीं निकला तो मोटापा बढ़ जाता है।
  • हार्ट की नालियों में जब ब्लोकेज हो तो घी एक ल्यूब्रिकेंट का काम करता है।
  • कब्ज को हटाने के लिए भी घी मददगार है।
  • गर्मियों में जब पित्त बढ़ जाता है तो घी उसे शांत करता है।
  • घी सप्तधातुओं को पुष्ट करता है।
  • दाल में घी डाल कर खाने से गेस नहीं बनती।
  • घी खाने से मोटापा कम होता है।
  • घी एंटीओक्सिदेंट्स की मदद करता है जो फ्री रेडिकल्स को नुक्सान पहुंचाने से रोकता है।
  • वनस्पति घी कभी न खाए क्यूंकि ये पित्त बढाता है और शरीर में जम के बैठता है।
  • घी को कभी भी मलाई गर्म कर के ना बनाए। इसे दही जमा कर मथने से इसमें प्राण शक्ति आकर्षित होती है। फिर इसको गर्म करने से घी मिलता है।।

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