सरकारी स्कीमों पर तमाचा, कई वर्षों से तम्बू के नीचे जीवन गुजार रहा है सुखदेव का परिवार

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चंडीगढ़/ पठानकोट : 29 सितम्बर : आरके विक्रमा शर्मा/कंवल रंधावा :— एक ओर सरकार व सरकार के नुमाइंदे दावे ठोकते नहीं थकते कि गरीबों के लिए आशियाने हेतु करोड़ों रुपये खर्च किए गए, कोई नहीं रहेगा बिना छत के, पक्के घरों के लिए करोड़ों खर्च किए…! मगर घर किनको मिले और कहां गया सरकारी धन, इसका जवाब सुखदेव राज पुत्र यश पाल के परिवार को खुले अम्बर तले चन्द फुट के प्लास्टिक के तिरपाल तले  देखते ही मिल जाता  है। जिसके पिछले वर्षों  से बदतर हालात बादल भाजपा की गठजोड़ वाली सरकार के मूंह पर जोर का करार तमाचा है। और इस परिवार की  दयनीय दशा प्रशासनिक तन्त्र की आज भी भ्रष्ट कारगुजारी की पोल खोलती है ! बादलों की सरकार की जन जन तक  सरकारी सुविधाओं के दावों की  खोखली पोल खोल देती  है ! उसके परिवार का जीवन जो कई वर्षों से कड़कती धूप हो या कड़कती सर्दी हो या फिर मूसलाधार बरसात एक टैंट (तम्बू) के सहारे ही जिंदगी गुजारने के लिए विवश है। सुखदेव राज के पास न अपनी जमीन है न ही कच्चा या पक्का मकान ही है !  जिस कारण वह अपनी पत्नी आशा देवी और दो बच्चों रिशू (10) व लक्की (4) के साथ अपरबारी दुआब नहर के किनारे हरिजन बस्ती के बाहर किसी ग्रामीण नागरिक द्वारा दान की गई तीन मरले के प्लाट में वर्षों से कपड़े के एक टैंट (तम्बू) में रह कर जिंदगी के दिन अभावों में गुजार रहा है।
बस इक आस दिल संजोय कि कभी तो सरकारी योजनाओं का हर सर पर होगी छत का लाभ इस पंजाबी निर्धन असहाय भारतीय नागरिक को भी उपलब्ध होगा !  चार वर्षों से नेताओं व अधिकारियों के चक्कर लगा रहा ;—पीड़ित और प्रभावित परिवार अबाध रूप से हलका विधायक सियासी नेताओं और ब्यूरोक्रेट्स, तहसीलों आदि की दहलीजों पर एड़ियां घिस रहा है ! पर किसी को  भी इस परिवार पर सिवा वोटों के कोई तरस  भी न आया ! सुखदेव राज ने बताया कि पिछले चार वर्षों से पक्के मकान के लिए सरकारी स्कीम का लाभ लेने की मांग लेकर जिला उच्च अधिकारियों व राजसी नेताओं के चक्कर काट काट कर हताश निराश बेबस होकर थक चुका हूं। मगर यह सुविधा भी शायद असरोरसूख या चहेतों के लिए ही बनाई गई है। मेरी कहीं कोई सुनवाई नहीं हुई है। हर दरकार मददगार ने दिया दुत्कार और ऊपर से किस्मत ने भी दिया फटकार ! उसने बताया कि हल्का विधायक सीमा देवी से भी इस सम्बन्धी गुहार लगाई !  मगर अभी तक खाली हाथ ही दर दर ठोकरें खा रहा हूं। कोई रोजगार भी नहीं है। दो वक्त की रोटी के लिए दर दर भटक कर मेहनत मजदूरी करके अपने परिवार का पालन पोषण कर रहा हूं। कोई भी सरकारी सुविधा उपलब्ध नहीं है।  बरसातों में नहीं सो पाता कोई ;—- सुखदेव राज ने बताया कि बाकी दिनों में तो किसी न किसी तरह जिंदगी गुजार रहे हैं !  मगर बरसात के दिनों में जिंदगी कीचड़ में धंस कर रह जाती है। सारी सारी रात बारिश  के चलते जाग कर ही रात निकलती है। एक तरफ पानी, कीचड़, गार होती है दूसरी तरफ जहरीले कीड़े मकौड़े व जानवरों से जान को मौत का खतरा बना रहता है। पूरी रात जान गले में अटकी रहती है। दहशत में परिवार बच्चे बीबी सब सहमे रहते हैं !  दोबारा फाईल फारवर्ड की जाएगी : बीडीपीओ :—— इस सम्बन्ध में ब्लाक विकास एवं पंचायत अफसर घरोटा गुरजीत सिंह ने कहा कि वह अभी कुछ ही दिन पहले यहां इस पद पर आए हैं ! और यह मामला उनके अभी ध्यान में नहीं आया है। उन्होंने कहा कि कल खुद जाकर पीड़ित परिवार की जानकारी लेंगे और उनकी फाईल दोबारा फारवर्ड की जाएगी। और जल्द से जल्द परिवार को पक्के मकान की जो सरकारी सुविधा है मुहैया कराई जाएगी।  हलका विधायका का फोन बंद रहा ;—– इस सम्बन्ध में हलका  भोआ विधायका श्रीमती सीमा देवी से बार बार सम्पर्क करने पर भी उनका फोन बंद मिला। वह जिला पठानकोट में मुख्यमंत्री स. प्रकाश सिंह बादल की तीन दिवसीय फेरी को लेकर शायद किसी विशेष मीटिंग में व्यस्त थे। जो मुख्यमंत्री के अस्वस्थ होने की वजह से बाद में रद कर दी गई। लेकिन फोन तो आज व्यस्त होने के चलते बन्द रहा होगा लेकिन शर्मनाक सच तो ये है कि इस परिवार से भी वोट बटोरने वाले नेता इस ओर  से अंधे बहरे आखिर क्यों बने हुए हैं ! समाजसेवी संस्थाओं की भूमिका भी गैर जिम्मेदाराना ;——और तो और जिला उपायुक्त कार्यालय में रजिस्टर्ड और गैर रजिस्टर्ड अनेकों समाजसेवी संस्थाएं कार्यरत और कथित तौर पर धन ऐंठने में संघर्षरत हैं, पर किसी ने भी इस चार सदस्यीय फैमिली के बारे कभी रहम नहीं  किया !   

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