चंडीगढ़ 13 अगस्त आरके विक्रमा शर्मा हरीश शर्मा प्रस्तुति—दंगे, उपद्रव और मानव अधिकारों का हनन: एक गहरा संबंध है जिसको समझाने का मूलभूत प्रयास योगराज शर्मा, चेयरमैन वर्ल्ड ह्यूमन राइट्स ऑर्गेनाइजेशन सहज सरल और विषय संगत भाषा में अल्फा न्यूज इंडिया के भी माध्यम से लोगों को जागरूक करने के लिए कर रहे हैं.
आपने बिल्कुल सही कहा है कि जब किसी देश में दंगे, उपद्रव और खूनखराबा होता है, तो मानव अधिकारों का बड़े पैमाने पर हनन होता है। यह एक दुखद सच्चाई है जिसे हम इतिहास के पन्नों और वर्तमान समाचारों में बार-बार देखते हैं।
दंगों के दौरान मानव अधिकारों का हनन कैसे होता है?
• जान का अधिकार: दंगों में अक्सर लोगों की जान जाती है। निर्दोष नागरिकों को निशाना बनाया जाता है, और हिंसा में फंसकर कई लोग अपनी जान गंवा देते हैं।
• शारीरिक अखंडता का अधिकार: दंगों में लोगों को पीटा जाता है, घायल किया जाता है, और अक्सर अत्याचार किए जाते हैं।
• स्वतंत्रता का अधिकार: दंगों के दौरान लोगों को अपने घरों से निकाल दिया जाता है, और उन्हें अपनी आजादी छीन ली जाती है।
• समानता का अधिकार: दंगों में अक्सर किसी विशेष समुदाय या समूह के लोगों को निशाना बनाया जाता है, जिससे समानता के अधिकार का हनन होता है।
• न्याय का अधिकार: दंगों के दौरान कानून व्यवस्था ध्वस्त हो जाती है, और लोगों को न्याय मिलना मुश्किल हो जाता है।
दंगों के दौरान मानव अधिकारों का हनन क्यों होता है?
• अराजकता: दंगों के दौरान कानून व्यवस्था ध्वस्त हो जाती है, और लोग अराजकता का फायदा उठाकर अपराध करते हैं।
• भेदभाव: दंगों में अक्सर किसी विशेष समुदाय या समूह के लोगों को निशाना बनाया जाता है, जिससे भेदभाव बढ़ता है।
• डर: दंगों के दौरान लोग डर के मारे पागल हो जाते हैं, और वे अक्सर ऐसे काम कर देते हैं जो सामान्य परिस्थितियों में वे कभी नहीं करेंगे।
दंगों के बाद मानव अधिकारों की स्थिति:
• मानसिक स्वास्थ्य: दंगों के दौरान लोगों को जो मानसिक आघात लगता है, उससे उबरने में उन्हें लंबा समय लगता है।
• सामाजिक विघटन: दंगे समाज में अविश्वास और नफरत पैदा करते हैं, जिससे सामाजिक तानाबाना कमजोर हो जाता है।
• आर्थिक नुकसान: दंगों के दौरान संपत्ति को बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचता है, जिससे लोगों की आजीविका प्रभावित होती है।
दंगों को रोकने के लिए क्या किया जा सकता है?
• सामाजिक सद्भाव: सभी समुदायों के बीच सद्भाव स्थापित करना।
• शिक्षा: लोगों को शिक्षित करके उन्हें सामाजिक मुद्दों के बारे में जागरूक बनाना।
• न्याय: सभी के लिए न्याय सुनिश्चित करना।
• कानून व्यवस्था: कानून व्यवस्था को मजबूत बनाना।
• मीडिया की जिम्मेदारी: मीडिया को संवेदनशीलता से समाचार प्रसारित करना।