पुनर्वासित कलोनी के मकानों की खरीद फरोख्त धड़ल्ले से जारी, सब लूट रहे चांदी

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चण्डीगढ़ : 21 फरवरी ; आरके विक्रमा शर्मा /एनके धीमान ;—- शहर की सबसे पुरानी कच्ची झुग्गी-झोंपड़ बस्तियां कॉलोनी न. 4 व संजय लेबर कालोनी हैं और इन कालोनियों का बायोमीट्रिक सर्वे भी लगभग हो चुका है ! तथा मलोया में यहां के निवासियों के पुनर्वास हेतु हज़ारों आवास भी बन कर तैयार पड़ें हैं !  लेकिन फिर भी अफसरों की लापरवाही के कारण इनका पुनर्वास नहीं किया जा रहा।
ये आरोप लगाते  हुए चण्डीगढ़ कांग्रेस आई के महामंत्री शशिशंकर तिवारी ने कहा कि एस्टेट ऑफिस व चण्डीगढ़ हाउसिंग बोर्ड मकानों की अलॉटमेंट में रोड़े अटका रहें हैं ! जिसका खामियाज़ा इन कालोनीवासियों को भुगतना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि कालोनीवासियों ने 900-900 रु. भी पांच वर्ष पूर्व जमा करवा रखें हैं व अन्य औपचारिकताएं भी पूरी कर दी हुईं हैं ! परंतु फिर भी पुनर्वास नहीं किया जा रहा जो कि सरासर गलत ही नहीं बल्कि अन्याय है। 
         तिवारी ने सांसद खेर को भी आड़े हाथों लिया और वादा खिलाफी का आरोप भी जड़ा !  
तिवारी ने इस मसले पर स्थानीय सांसद किरण खेर पर भी वादा खिलाफी का आरोप लगाते हुए कहा कि श्रीमती खेर ने लोकसभा चुनावों के दौरान वादा किया था कि वे चुनाव जीतने के छह महीने के भीतर पुनर्वास कराएंगी ! परंतु जीतने के बाद उन्होंने इस चुनावी वादे को चुनावी जुमला बना डाला। उन्होंने चण्डीगढ़ के प्रशासक  वी.पी.सिंह बदनोर से मांग की है कि जल्द से जल्द इस समस्या की व ओर  ध्यान दिया जाए। इसके अलावा अभी भी कई लोगों का बायोमीट्रिक सर्वे कुछ कारणों से होना रह गया है। उनका भी जल्द से सर्वे कराया जाए। शहर की सांसद किरण खेर से इस बाबत बात करनी चाही पर नाकामी ही हाथ लगी ! 


        हैरत भरी बात तो ये है कि जहाँ कलोनी नम्बर चार और संजय लेबर कलोनी के लोगों को मलोया में बनी सरकारी पक्की कलोनी के मकानों में बसाने की सियासी पार्टीज एड़ी चोटी का जोर लगा रही हैं वहीँ दूसरी और पुनर्वास की विवादित तस्वीर ये है कि क्लोई नम्बर पांच से हजारों झुगियों के हजारों परिवारों को धनास के पास बनी सरकारी पक्के मकानों की कलोनियों में पुनर्वासित किया गया था ! आज दुखद तस्वीर सामने ये है कि उक्त पुनर्वासित कलोनी के बिलकुल समीप ही चंडीगढ़ पुलिस था नवनिर्मित और नवस्थापित पुलिस स्टेशन है लेकिन ठाणे जैसे चिराग की मौजूदगी में ही अनेकों लोगों ने आबंटित मकान भारी कीमतों पर बेच भी डाले हैं ! 

हैरत तो ये रही कि उक्त पुनर्वासित कलोनी में बिकने वाले मकानों को कथित तौर पर वकीलों पुलिस वालों और सरकारी अफसरों ने बड़ी बड़ी कीमतें अदा कर खरीद लिया है ! लेकिन पुनर्वासित कलोनी के लिए निर्धारित मापदण्डों के मुताबिक कोई इन मकानों की बेच ही नही सकता है ! फिर ये मकान किस सियासतदां की मिलीभक्त से चंडीगर्ह हाऊसिंग बोर्ड और एस्टेट ऑफिस और उपायुक्त कार्यालय के अधिकारी और कर्मचारियों की अंदर खाते बड़ी साजिश और भ्र्ष्टाचार के चलते बिक रहे हैं ये सब सीबीआई जाँच की बाट जोह रहे हैं! स्थानीय कलोनी प्रधान बने लोगों की भी शिकायत है कि बड़ी बड़ी रकमें जेब में डालते हुए मकान धारकों ने अपने नाम आबंटित मकान सरकारी कायदे कानून को छिक्के डालते हुए सम्पन्न परिवारों को बेचे हैं ! 

       इस बाबत जब समीपवर्ती पुलिस स्टेशन में जानकारी लेनी चाही तो कोई भी बात करने के लिए बोलने को राजी ही नहीं हुआ है ! स्थानीय लोगों की सुनें तो चंडीगढ़ हाऊसिंग बोर्ड के अफसरों की मिलीभक्त और डीसी ऑफिस सहित एस्टेट ऑफिस  मिलीभक्त के ये गोरखधन्धा पनप और प्रफुलित हो ही नहीं  सकता ! उधर, ये भी पता चला है जैसे मकान बेचने व् खरीदने वालों को मीडिया के सम्बन्धित पत्रकारों की मौजूदगी की भनक पड़ी  तो पुलिस स्टेशन, सीएचबी , सम्पदा विभाग सहित उपायुक्त कार्यालय के लोगों के हाथ पांव फूलने लगे ! कुछेक लोगों ने बताया कि सीएचबी के पास अनेकों खाली पड़े मकानों की सूचि आबंटन हेतु प्रतीक्षा कर रही है ! इस बारे में जब कांग्रेस आई चंडीगढ़ इकाई के महामंत्री शशि शंकर तिवारी से सम्पर्क साधने की  हुए उनकी टिप्पणी जाननी चाही तो तिवारी ने बिलकुल साफ शब्दों ने मकान समय से पहले बेचने को अनैतिक और गैरकानूनी कहा और माना कि ऐसे मकान बेचने वालों की तादाद 4% ही है ! पर ये बात साफ हो जाती है कि कलोनी सेल के प्रधान और अब कांग्रेस के महामंत्री के नाम से जाने जाते शशि शंकर तिवारी  जैसे कदावर नेताओं को भी इस खरीद फरोख्त की जानकारी है !        

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