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मुनीश, तू हमें जिन्दे जी मार गया, इस जहाँ तों कित्थे पार गया

चंडीगढ़ ; 10 मार्च ; आरके शर्मा विक्रमा ;—–जो जेजे बत्ता वरिष्ठ पत्रकार कभी दूसरों के दुःख सन्ताप में अपनों से बढ़ कर आगे खड़ा होकर दुखी और पीड़ित के कन्धे पर सहारे का हाथ रखकर हौंसला बंधाता था आज जमाना उसको हौंसला बढ़ाने व् बंधाने  की नाकाम कोशिशें कर रहा था ! यूँ तो  सूनी सूनी आँखे तो हर हाजिर की नम थी दिल बुझा था और दिमाग शून्यमय था ! पर कई जी ऐसे थे जो बैठे तो मुनीश की अंतिम अरदास में थे पर उनकी सुधबुध सब खो सी गयी थी ! मानो देह ही यहाँ थी और दिल दिमाग न जाने किसको कहाँ से खोज कर वापस लाने की अनसुलझी जद्दोजहद में मशगूल था ! गमगीन करने वाला ये मौका ही कुछ ऐसा था ! बीती 25 फरवरी की मनहूस  सवेर के सात बजे ने जतिंदर  बत्ता के पुत्र मुनीश कुमार बत्ता, जिसने अभी तक महज 34 बसन्त ही  देखे थे, का दिल का दौरा  पड़ने से देहांत होने से बत्ता परिवार में हमेशा के लिए   पतझड़ छोड़ गया था ! आज उसी मुनीश  बत्ता की रस्म भोग से कभी न खत्म होने वाला शोक व्यापन खत्म हुआ ! मुनीश अपने पीछे सदा  के लिए रोता बिलखता परिवार माता पिता व् अपनी धर्मपत्नी सहित दो फूल सी कन्याएँ छोड़कर भगवान के श्रीचरणों में जा विराजा ! मुनीश के निमित रस्म भोग [अंतिम अरदास ]ढिल्लो फार्म, नयागांव मोहाली में सम्पन्न हुई ! आज उनकी आत्मिक शांति और मोक्ष हेतु श्री गरुड़ पुराण कथा का भोग [इतिश्री] डाला गया !   

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