ग्यारह प्रकार के सिर दर्दों के कारण, भेद व निवारण और लक्षण जानने सबको अनिवार्य:- ज्योतिषाचार्य पंडित कृष्ण मेहता

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चंडीगढ़:-22 नवंबर:– आरके विक्रमा शर्मा /करण शर्मा /अनिल शारदा /राजेश पठानिया प्रस्तुति:—-सिर दर्द में कपाल (ललाट) के दोनों ओर की कनपटियों में तेज दर्द होता है जिसे सिर दर्द कहते हैं। सिर दर्द 11 तरह के होते हैं- वातज, शंखक, अर्द्धविभेदक, सन्निपातज, रक्तज, क्षयज, पित्तज, कफज, कृमिज, सूर्यावर्त और अनन्तवात। सिर दर्द अपने आप में कोई रोग नहीं है और यदि सिर दर्द बिना किसी कारण के उत्पन्न होता है तो यह 2 या 3 दिन में अपने आप ठीक हो जाता है।*

 

कारण :

 

सिर की नसों से अधिक खून बहने के कारण सिर दर्द हो सकता है।

 

रक्तचाप (ब्लडप्रैशर) बढ़ जाने या कम होने पर भी सिर दर्द होता है।

 

बुखार में मस्तिकावरणगत धमनियों में फैल जाने के कारण सिर दर्द होता है।

 

अधिक गुस्सा करने से दिमाग पर जोर पड़ता है जिससे सिर दर्द होता है।

 

अधिक चिन्ता करने से दिमाग की मांसपेशियों में तनाव बढ़ जाने के कारण सिर दर्द होता है।

 

नींद कम आने और नींद न आने से सिर दर्द होता है।

 

खून में जहरीले द्रव्य बनना, मूत्र रोग, कब्ज और अपच आदि पैदा होने के कारण सिर दर्द होता है।

 

सिर में फोड़ा, सूजन और पानी भरने से सिर दर्द होता है।

 

आंखों की कमजोरी एवं आंख, कान, नाक, गले और दांतों के रोगहोने पर भी सिर दर्द होता है।

 

बुखार, सर्दी-जुकाम, गर्मी की अधिकता, खून की कमी, दिमाग की कमजोरी, खून में खराबी, शरीर के किसी अंग का रोगग्रस्त होना, मधुमेह आदि रोगों के कारण भी सिर दर्द होता है।

 

अधिक काम करने, एक ही काम को लगातार करने तथा एक ही वातावरण में लम्बे समय तक रहने के कारण भी सिर दर्द होता है।

 

अधिक देर तक किताब पढ़ने, बिस्तर पर लेट कर टेलीविजन देखने और धूप में अधिक देर तक घूमने से सिर दर्द होता है।

 

लक्षण :

सिर दर्द से पीड़ित रोगी में अनेक प्रकार के लक्षण उत्पन्न होते हैं जिनकी वजह से सिर दर्द के रोगी को पहचाना जा सकता है। सिर दर्द के रोगी में विभिन्न प्रकार के लक्षण उत्पन्न होते हैं-

 

नकसीर बहना (नाक से खून आना), धड़कन तेज होना, नज़र का धुंधलापन, बेचैनी, सिर फटने जैसा महसूस होना एवं कभी-कभी उल्टी आना आदि।

 

सिर के दूसरी तरफ दर्द होना और आंखों में भारीपन महसूस होना।

 

कफ के कारण उत्पन्न सिर दर्द में जब दिमाग कफ से जकड़ जाता है तो रोगी को सिर भारी व छूने से ठंड़ा महसूस होता है।

 

वात सिर दर्द में अचानक दर्द उठता है जो रात को और अधिक बढ़ जाता है।

 

पित्तज सिर दर्द में रोगी का सिर दिन में आग की तरह गर्म और रात में बहुत ठंड़ा हो जाता है।

 

सन्निपातज सिर दर्द में वातज, पित्तज और कफज के लक्षण ही पाए जाते हैं।

 

क्षयज सिर दर्द में सुईं के चुभने की तरह दर्द होता है। इसमें बेहोशी उत्पन्न होना और आंखों की पुतलियां का फिरना आदि लक्षण उत्पन्न होते हैं।

 

कीड़ों के कारण उत्पन्न (कृमिज) सिर दर्द में नाक से पानी गिरता है, कफ के साथ खून आता है और सिर के अन्दर जकड़न महसूस होती है।

 

सूर्यावर्त सिर दर्द में सूरज निकलने के साथ सिर दर्द शुरू होता है और दोपहर तक बढ़कर सूरज डूबने के साथ धीरे-धीरे शाम तक दर्द समाप्त हो जाता है।

 

अनन्तवात के सिर रोग में आंखों, गर्दन और सिर की नसों में दर्द होता है।

 

शंखक सिर दर्द में कनपटी में तेज दर्द होता है और सिर में जलन के अलावा लाल रंग की सूजन आ जाती है।

 

अर्धविभेदक सिर दर्द में एक ओर की कनपटी, आंख, भौंह, कान और माथे में बहुत तेज दर्द होता है।

 

रक्तज सिर दर्द में पित्तज सिर दर्द के समान लक्षण उत्पन्न होते हैं।

 

भोजन और परहेज :

सिर दर्द से पीड़ित रोगियों के लिए दाल, पुराना घी, करेला, आंवला, बथुआ, अनार, बिजौरा नींबू, आम, नारियल, तेल, मट्ठा, कांजी, शालि चावल, सांठी के चावल और जंगली जीवों के मांस का सेवन करना लाभकारी होता है।

मल-मूत्र को रोकना, दिन में सोना और विरुद्ध अन्न का सेवन करना आदि सिर दर्द के रोगियों के लिए हानिकारक होता है। धूप में घूमना, रात को देर से सोना और अधिक संभोग करने से बचना चाहिए।

विभिन्न औषधियों से उपचार-

 

1. लहसुन :

 

कनपटी पर लहसुन को पीसकर लेप की तरह लगाने से सिर दर्द खत्म हो जाता है।

 

लहसुन को पीसकर शहद की 10 से 30 बूंद के साथ प्रतिदिन सेवन करने सिर दर्द ठीक हो जाता है।

 

जिस ओर सिर में दर्द हो रहा हो उस ओर के नाक के नथुने में एक या दो बूंद लहसुन का रस डालने से आधासीसी के कारण होने वाला सिर दर्द दूर होता है।

 

2. दूध :

 

प्रतिदिन सुबह 250 मिलीलीटर गर्म दूध में 20 ग्राम देसी घी मिलाकर पीने या मक्खन में 25 ग्राम मिश्री मिलाकर खाने या 250 मिलीलीटर दूध में 4 छुहारे डालकर उबालकर छुहारे खाने व दूध पीने से दिमाग की कमजोरी से होने वाला सिर दर्द ठीक होता है।

 

दूध और जलेबी एक साथ खाने से कुछ दिनों में सिर दर्द समाप्त हो जाता है।

 

दूध में चीनी मिलाकर नाक द्वारा लेने से आधासीसी का दर्द दूर होता है।

 

ठंड़े दूध और ठंड़े पानी को सिर पर डालने से शंखक नाम का सिर दर्द नष्ट होता है।

 

दूध, चीनी और पानी को मिलाकर उबालकर भाप लेने से सिर का दर्द ठीक हो जाता है।

 

बकरी के दूध के मक्खन से कमर पर मालिश करने से गर्मी के कारण उत्पन्न सिर दर्द ठीक हो जाता है।

 

मिश्री मिला हुआ दूध या केवल दूध या नारियल का पानी या ठंडा पानी या घी को नाक के द्वारा पीने से आधासीसी का दर्द दूर होता है।

 

गाय के दूध के साथ सोंठ घिसकर सिर पर लेप करने से 7-8 घंटों में ही भयंकर सिर का दर्द दूर हो जाता है।

 

3. नींबू :

 

चाय में नींबू को निचोड़कर पीने या नींबू के पत्ते कूटकर रस निकालकर रस सूंघने से लाभ मिलता है।

 

नींबू को काटकर गर्म करके कनपटियों पर एक घंटे तक सिंकाई करने से माथे की पीड़ा मिट जाती है।

 

पेट में गैस बनने के कारण होने वाले सिर दर्द को खत्म करने के लिए नींबू के रस को हल्के गर्म पानी में मिलाकर पीना चाहिए। ऐसा करने से सिर दर्द समाप्त हो जाता है।

 

लगभग आधे ग्राम नींबू के रस में लाल फिटकरी पीसकर पानी के साथ पिलाने से सिर का दर्द ठीक हो जाता है।

 

नींबू के पत्ते को पीसकर रस निकालकर नाक द्वारा सूंघने से सिर का दर्द दूर होता है।

 

सिर के जिस ओर दर्द हो उस ओर के कान में 2 या 3 बूंद कागजी नींबू का रस टपका देने से आधासीसी का दर्द ठीक हो जाता है।

 

नाक में कागजी नींबू के रस की 2 बूंद डालने से आधासीसी का दर्द दूर हो जाता है।

 

नींबू का रस और तुलसी के पत्तों का रस बराबर भाग में मिलाकर पीने से सिर का दर्द दूर हो जाता है।

 

नींबू के पत्ते को नियमित रूप से सूंघने से सिर का दर्द दूर हो जाता है।

 

नींबू की चाय बनाकर पीने से सिर का दर्द ठीक हो जाता है।

 

4. सेब : सेब को काटकर सेंधानमक डालकर खाने से कुछ दिनों में सिर दर्द हमेशा के लिए खत्म हो जाता है।

 

6. मुलहठी :

 

मुलहठी, मिश्री और घी को घोटकर सूंघने से पित्तज के कारण उत्पन्न सिर का दर्द ठीक हो जाता है।

 

लगभग 1.5 ग्राम मुलहठी और लगभग एक चौथाई ग्राम सींगिया मिलाकर सूंघने से सिर का दर्द खत्म हो जाता है।

 

किसी भी प्रकार के सिर दर्द में मुलेठी का चूर्ण 10 ग्राम, कलिहारी का चूर्ण 40 ग्राम और थोड़ा सा सरसों का तेल मिलाकर नासिका में नसवार की तरह सूंघने से लाभ मिलता है।

 

6. दूब हरी : जौ को एक चम्मच दूब के रस में घोंटकर सिर पर मलने से सिर दर्द दूर होता है।

 

8. अपराजिता : अपराजिता की फली के 8-10 बूंद का रस नस्य अथवा जड़ के रस का नस्य सुबह खाली पेट एवं सूर्योदय से पूर्व देने से सिर का दर्द ठीक हो जाता है।

 

9. पोदीना :

 

सिर पर हरे पोदीने का रस निकालकर लगाने से सिर दर्द दूर होता है।

 

पोदीने के पत्ते को पानी में पीसकर माथे पर लेप करने से सिर का दर्द खत्म हो जाता है।

 

9. इलायची :

 

पानी के साथ छोटी इलायची को पीसकर सिर पर लेप की तरह लगाने से सिर का दर्द खत्म हो जाता है।

 

छोटी इलायची को महीन पीसकर सूंघने से सिर का दर्द दूर हो जाता है।

 

पानी के साथ लाल इलायची के छिलके को घिसकर सिर पर लेप की तरह लगाने से सिर का दर्द दूर हो जाता है।

 

इलायची के तेल को पिपरमिन्ट, कपूर और गाय के घी को मिलाकर कपाल पर लगाने से तेज सिर का दर्द दूर हो जाता है।

 

एक बड़ी इलायची, दो छोटी इलायची और आधा ग्राम कपूर को गुलाबजल में मिलाकर लेप बनाकर कपाल पर लगाने से सिर का दर्द दूर होता है।

 

लगभग 21 इलायची को पीसकर इसमें दो चुटकी छोटी पीपल का चूर्ण और इतना ही शहद मिलाकर सेवन करने से सिर का दर्द समाप्त होता है।

 

इलायची को पीसकर सिर पर लगाने से सिर दर्द दूर हो जाता है। इसके चूर्ण को सूंघने पर भी सिर दर्द दूर होता है।

 

10. आंवला :

 

लगभग 5 ग्राम आंवला और 10 ग्राम धनिये को कूटकर रात को मिट्टी के बर्तन में 200 मिलीलीटर पानी में रख दें। सुबह इस मिश्रण को छानकर पानी पीने से धूप में घूमने के कारण होने वाला सिर दर्द खत्म हो जाता है।

 

आंवले का शर्बत पीने से गर्मी के कारण उत्पन्न सिर का दर्द ठीक हो जाता है।

 

सिर दर्द होने पर आंवले के पानी से सिर की मालिश करने से सिर का दर्द दूर हो जाता है।

 

11. धनिया :

 

धनिये को पीसकर माथे पर लेप की तरह लगाने से पित्त (गर्मी) के कारण उत्पन्न सिर दर्द खत्म हो जाता है।

 

सूखा धनिया 10 ग्राम और गुठली रहित सूखा आंवला 5 ग्राम लेकर रात को मिट्टी बर्तन में पानी में भिगोकर रख दें और सुबह उसी पानी में मथकर मिश्री मिलाकर सेवन करें। इससे सिर दर्द ठीक होता है और चक्कर आना आदि भी शान्त होता है।

 

यदि सर्दी के कारण सिर दर्द हुआ हो तो सूखे धनिये के साथ सोंठ, चाय की पत्ती व तुलसी के पत्ते को पीस लें और इसमें थोड़ा सा पानी मिलाकर लेप बना लें। इस लेप को चमचे में गर्म करके माथे पर लगाने से सिर का दर्द दूर हो जाता है।

 

यदि गर्मी के कारण सिर दर्द हुआ हो तो लेप में सोंठ न डाले और केवल धनिया और तुलसी का लेप बनाकर माथे पर लगाएं।

 

सिर दर्द में चक्कर, उल्टी व गर्भवती स्त्री को उल्टी आने पर धनिया उबालकर मिश्री मिलाकर पिलाना चाहिए।

 

हरे या कच्चे धनिये को पीसकर सिर पर लेप करने से सिर का दर्द दूर हो जाता है।

 

पित्तज या गर्मी के कारण होने वाले सिर दर्द में धनिया, चंदन और गुलाब के फूलों को बारीक पीसकर इसे ईसबगोल में गाढ़ा करके कपाल पर लगाने से सिर का दर्द खत्म हो जाता है।

 

1 चम्मच धनिया, 5 कालीमिर्च, 4 पत्ते तुलसी और 2 लौंग को मिलाकर काढ़ा बनाकर पीने से सर्दी और जुकाम की वजह से होने वाले सिर दर्द ठीक हो जाता है।

 

10 ग्राम सूखा हुआ धनिया, 5 ग्राम आंवले का चूर्ण और 4 लौंग को पीसकर सेंधानमक के साथ चाटने या माथे पर लेप करने से गर्मी के कारण होने वाला सिर का दर्द दूर हो जाता है।

 

सर्दी, जुकाम के कारण यदि सिर में दर्द हो रहा तो घबराना नहीं चाहिए। सबसे पहले रूई के फोहे से गले, माथे व छाती पर कम से कम 10 मिनट तक सिंकाई करें। इसके बाद पिसा हुआ धनिया पानी के साथ गर्म करके माथे पर लेप करें। यदि सिर में झनझनाहट हो रही हो तो सबसे पहले कुछ देर के लिए आराम करना चाहिए। इसके बाद तुलसी की 2 पत्ते को 2 कालीमिर्च के साथ पीसकर रोगी को पिलाएं और धनिया व तुलसी का रस मिलाकर माथे पर लगाना चाहिए। इससे सिर दर्द में जल्दी आराम मिलता है।

 

12. तरबूज :

 

यदि सिर दर्द गर्मी के कारण हुआ हो तो तरबूज का गूदा मलमल के कपड़े में डालकर निचोड़कर रस निकालकर पीना चाहिए।

 

मिश्री को तरबूज के रस में मिलाकर पीने से सिर दर्द खत्म हो जाता है।

 

13. मौलसिरी : मौलसिरी के सूखे फूलों का महीन चूर्ण सूंघने से सिर का दर्द तुरन्त समाप्त हो जाता है।

 

14. हींग :

 

थोड़ी-सी हींग को पानी में घोलकर माथे पर लगाने से सर्दी के कारण होने वाला सिर का दर्द कुछ ही मिनटों में खत्म हो जाता है।

 

पानी में हींग को घोलकर इसकी कुछ बूंदें नाक में डालने से आधासीसी के कारण होने वाला दर्द दूर हो जाता है।

 

15. कालीमिर्च :

 

लगभग 4 कालीमिर्च, 3 ग्राम अदरक और 7-8 तुलसी के पत्तों को हल्का सा कूटकर पानी में उबालकर चाय बनाकर पीने से सर्दी के कारण होने वाला सिर दर्द खत्म हो जाता है।

 

कालीमिर्च और धनिये को पानी के साथ पीसकर माथे पर लगाने से सिर दर्द तुरन्त ही खत्म हो जाता है।

 

कालीमिर्च, लौंग और तुलसी के पत्तों को पानी के साथ पीसकर माथे पर लगाने से सिर दर्द खत्म हो जाता है।

 

कालीमिर्च और चूल्हे की जली हुई मिट्टी को बारीक पीसकर सूंघने से आधासीसी का दर्द दूर हो जाता है।

 

कालीमिर्च के चूर्ण को भांगरे के रस के साथ पीसकर सूंघने से सिर का दर्द खत्म हो जाता है।

 

कालीमिर्च को पीसकर सूंघने या सिर पर लेप की तरह लगाने से सिर का दर्द ठीक हो जाता है।

 

नमक और कालीमिर्च को पीसकर प्याज के रस में घोलकर लेप की तरह सिर पर लगाने से सिर का दर्द जल्दी ठीक हो जाता है।

 

दो चुटकी पिसी हुई कालीमिर्च के चूर्ण में खांड़ डालकर खाने से आधे सिर का दर्द दूर हो जाता है।

 

16. घी :

 

सुबह नाक के नथुनों में गाय के घी 3-4 बूंद डालने से सिर दर्द खत्म हो जाता है।

 

घी और दूध को अधिक मात्रा में लेने से पित्तजन्य (गर्मी) के कारण होने वाला सिर दर्द ठीक हो जाता है।

 

सिर पर घी को मलने और सूंघने से सिर का दर्द मिट जाता है।

 

पैरों के तलवों पर रात को सोते समय घी की मालिश करने से अकारण होने वाला सिर का दर्द ठीक हो जाता है।

 

नियमित रूप से भोजन के रूप में शुद्ध देशी घी खाने से सिर के सभी रोग दूर हो जाते हैं।

 

कालीमिर्च और मुर्गे की बीट बराबर मात्रा में लेकर पीसकर सिर में यदि बायीं ओर दर्द हो तो दायीं और दायीं ओर दर्द हो तो बायीं ओर लगाने से आधासीसी का दर्द दूर हो जाता है।

 

गाय की लोनी (मक्खन) अथवा वैसलीन में कपूर व पिसा हुआ सेंधानमक मिलाकर माथे पर लगाने से सिर का दर्द ठीक हो जाता है।

 

सुबह शुद्ध देशी घी में बनी हुर्ह गर्म-गर्म जलेबियों को खाने के बाद गर्म-गर्म दूध पीने से सिर का दर्द दूर हो जाता है।

 

17. भृंगराज (भांगरा) :

 

भांगरे के तेल को ठंड़ा करके सिर पर लगाने और तेल की मालिश करके ठंड़े पानी की पटि्टयों को सिर पर रखने से गर्मी के दिनों में धूप में घूमने के कारण होने वाला सिर दर्द खत्म हो जाता है।

 

भांगरे के रस और बकरी का दूध बराबर मात्रा में मिलाकर धूप में रखकर गर्म करें और सूंघने से सिर का दर्द और आधासीसी का दर्द ठीक हो जाता है।

 

भांगरे का रस और गाय का दूध बराबर मात्रा में लेकर पीने से सिर का दर्द दूर हो जाता है।

 

दशमूल की जड़ों से निकाले तेल और भांगरे के तेल को मिलाकर लगाने से तेज सिर दर्द दूर हो जाता है।

 

भांगरा का रस 1 मिलीलीटर, 2 ग्राम कांजी, 5 मिलीलीटर बेरी का रस, 3 ग्राम सहजना, 6 मिलीलीटर तुम्बी का रस और 4-4 ग्राम इमली, सोंठ, परवल, हल्दी, अडूसा, सेंधानमक, हरड़ व तुलसी के पत्ते। इन सभी को चौथाई सरसों के तेल में मिलाकर पकाएं और जब पानी जलकर केवल तेल बच जाए तो इसे एक ढक्कन वाली बोतल में भरकर रख लें। इस तेल को सूंघने से सिर के सभी रोग दूर हो जाते हैं।

 

18. पीपल :

 

पीपल के पेड़ के 4 कोमल पत्ते को चबाकर रस चूसकर फेंक देने से सिर दर्द ठीक हो जाता है।

 

छोटी पीपल के 2 या 3 फलियों को कूट-पीसकर चूर्ण बना लें और इस चूर्ण को शहद के साथ मिलाकर सिर दर्द से पीड़ित रोगी को चाटना चाहिए।

 

पीपल, सोंठ, नागरमोथा, मुलहठी, सोया, कूट और नीलकमल को बराबर मात्रा में लेकर पीसकर सिर पर लेप के रूप में लगाने से कफ के कारण होने वाला सिर का दर्द ठीक हो जाता है।

 

छोटी पीपल और बच का रस अथवा काढ़े को सूंघने से सिर दर्द के साथ ही साथ आधासीसी का दर्द भी दूर हो जाता है।

 

पीपल और सेंधानमक को एक साथ पीसकर सूंघने से त्रिदोषज के कारण होने वाला सिर का दर्द ठीक हो जाता है।

 

1 ग्राम पीपल, 1 ग्राम कालीमिर्च, 1 ग्राम सोंठ और 1 ग्राम मुलेठी को बारीक पीसकर मक्खन में पकाकर धीरे-धीरे सूंघने से सिर का दर्द ठीक हो जाता है।

 

19. बादाम :

 

10 ग्राम बादाम की गिरी, एक ग्राम कपूर, एक ग्राम केसर, मिश्री और गाय का घी मिलाकर धीमी आंच पर पकाएं और केवल घी शेष रहने पर इसे छानकर शीशी में भरकर रख लें। यह थोड़ी मात्रा में सेवन करने से सिर का दर्द ठीक हो जाता है।

 

बादाम रोगन की सिर पर मालिश करने से सिर दर्द दूर हो जाता है।

 

बादाम की एक गिरी को सरसों के तेल में पीसकर मलने से सिर का दर्द ठीक हो जाता है।

 

10 गिरी बादाम, 6 ग्राम ब्राह्मी बूटी और 7 कालीमिर्च को रात को सोते समय भिगो दें और सुबह इसका छिलका उतारकर पीसकर ठंडाई बनाकर मिश्री मिलाकर सेवन करें। इसके पीने से सभी प्रकार के सिर दर्द दूर हो जाता है।

 

सिर में दर्द होने पर मगज बादाम का लेप बनाकर सिर पर लेप करना लाभकारी होता है।

 

सिर में तेज दर्द होने पर माथे पर बादाम के तेल की मालिश करना चाहिए।

 

बादाम के बीजों को सिरके के साथ पीसकर सिर में दर्द वाले स्थान पर लगाने से सिर का दर्द एवं साइटिका का दर्द ठीक होता है।

 

20. मुचकुन्द :

 

मुचकुन्द के फूलों को कांजी के साथ पीसकर सिर या माथे पर लगाने से वायु के कारण होने वाला सिर दर्द खत्म हो जाता है और नींद भी अच्छी आती है।

 

मुचकुन्द के फूलों को मट्ठा के साथ पीसकर लेप की तरह लगाने से सिर दर्द तुरन्त ही ठीक हो जाता है।

 

21. कूठ :

 

कांजी के साथ कूठ और एरण्ड की जड़ को पीसकर माथे पर लेप करने से सिर दर्द खत्म हो जाता है।

 

सिर दर्द होने पर कूठ को गुलाबजल में पीसकर माथे पर लगाने से दर्द में आराम मिलता है।

 

22. चंदन :

 

लाल चंदन, मुलहठी, खस, खिरैंटी, नील-कमल और नखी को बराबर मात्रा में लेकर गाय के दूध के साथ पीसकर सिर पर लेप की तरह लगाने से पित्तज के कारण होने वाला सिर दर्द ठीक हो जाता है।

 

लगभग 10-10 ग्राम सफेद चंदन का चूर्ण, छोटी इलायची, देशी कपूर व शर्करा और 5 ग्राम नीम की छाल और 50 ग्राम नौसादर को मिलाकर बारीक चूर्ण बनाकर सूंघने अथवा थोड़े से पानी के साथ सिर पर लगाने से सिर का दर्द ठीक हो जाता है। इसके अलावा बिच्छू के विष और बर्र का विष और चोट में भी यह लाभकारी होता है।

 

लाल चंदन को जल में घिसकर माथे पर लगाने से सिर का दर्द खत्म हो जाता है।

 

शुद्ध सन्दल (चंदन) के इत्र को माथे पर लगाने से सिर का दर्द दूर हो जाता है।

 

लगभग 10-10 ग्राम की मात्रा में चंदन का तेल, कपूर, दालचीनी का तेल लेकर 250 मिलीलीटर तिल के तेल में मिलाकर पकाएं। यह तेल सिर पर मलने से सिर का दर्द ठीक हो जाता है। ये तेल 2-3 बूंद कान में डालने से सिर दर्द में आराम मिलता है।

 

लगभग 1 से 2 ग्राम छोटी चंदन (सर्पगन्धा) के चूर्ण को शाम को सोते समय लेने से पुराने से पुराने स्नायविक के कारण होने वाला सिर का दर्द ठीक हो जाता है।

 

लाल चंदन को घिसने के बाद इसमें में कपूर मिलाकर माथे या सिर पर लेप की तरह लगाने से सिर का दर्द दूर हो जाता है।

 

23. जटामांसी :

 

जटामांसी, देवदारु, तगर, कूठ और सोंठ बराबर मात्रा में लेकर कांजी के साथ पीसकर घी या तेल में मिलाकर सिर पर लगाने से आधासीसी के कारण होने वाला सिर दर्द ठीक हो जाता है।

 

जटामांसी और तिल को पानी में पीसकर नमक मिलाकर सिर पर लेप करने से आधासीसी का दर्द दूर हो जाता है।

 

24. सोंठ :

 

सोंठ के चूर्ण में 4 गुना दूध मिलाकर सूंघने से किसी भी प्रकार का सिर दर्द दूर हो जाता है।

 

गर्म पानी में सोंठ पीसकर कनपटी या माथे पर लेप करने से सिर का दर्द दूर हो जाता है।

 

सोंठ, हर्र, नीम की छाल, आंवला, बहेड़ा और कच्ची हल्दी का रस बराबर मात्रा लेकर इसे आठ गुना पानी में मिलाकर पकाएं और जब एक चौथाई पानी शेष रह जाए तो इसमें गुड़ मिलाकर नियमित सुबह-शाम सेवन करें। इससे कितना भी पुराना सिर दर्द क्यों न हो खत्म हो जाता है।

 

थोड़ी मात्रा में सोंठ और दो लौंग को पीसकर सिर पर लगाने से सिर का दर्द दूर हो जाता है।

 

सोंठ को पानी में पीसकर माथे पर लगाने से जुकाम के कारण होने वाला सिर का दर्द दूर हो जाता है।

 

सोंठ, किरमाला, पीपल और मिर्च की जड़ तथा सहजना के बीजों को गाय के मूत्र के साथ पीसकर सूंघने से कीड़ों के कारण होने वाला सिर का दर्द दूर हो जाता है।

 

25. सूरजमुखी : सूरजमुखी के चूर्ण को सूरजमुखी के रस में एक साथ पीसकर सिर पर लेप की तरह लगाने से सिर दर्द के साथ उत्पन्न आधासीसी का दर्द ठीक होता है।

26. दशमूल : दशमूल के काढ़े में घी और सेंधानमक मिलाकर सूंघने से सिर दर्द के अलावा आधासीसी का दर्द भी खत्म हो जाता है।

27. चूना :चूना और नौसादर बारीक पीसकर शीशी में भरकर बन्द करके रख लें और सिर दर्द होने पर शीशी को खोलकर सूंघना चाहिए। ऐसा करने से सिर दर्द तुरन्त ही खत्म हो जाता है।

 

शुद्ध घी में खाने का चूना मिलाकर सिर पर लेप करने से गर्मी के कारण होने वाला सिर का दर्द ठीक हो जाता है।

 

28. फिटकरी : कपूर और फिटकरी को बारीक पीसकर सिर दर्द के रोगी को सूंघना चाहिए। इससे रक्तचाप के कारण होने वाला सिर दर्द खत्म हो जाता है। यह नकसीर के लिए भी लाभकारी होता है।

29. मूली :

 

मूली और सिरस के बीजों के रस को सूंघने से सिर का दर्द एवं आधे सिर का दर्द समाप्त हो जाता है।

 

मूली के टुकड़ों को बारीक पीसकर दिन में कई बार सूंघने से सिर के कीड़ों की वजह से होने वाला सिर का दर्द ठीक हो जाता है।

 

30. तिल :

 

काले तिल और वायविडंग बराबर मात्रा में लेकर पीसकर गर्म पानी में मिलाकर सूंघने से आधासीसी का दर्द दूर हो जाता है।

 

तिल की खल, सेंधानमक, तेल और शहद को मिलाकर माथे पर लेप करने से आधासीसी का दर्द दूर हो जाता है।

 

तिल के पत्ते को सिरके या पानी में पीसकर माथे पर लेप करने से माथे का दर्द कम हो जाता है।

 

तिलों को दूध में पीसकर कपाल पर लेप करने से आधे सिर का दर्द दूर होता है।

 

31. विष्णुकान्ता : विष्णुकान्ता के फल का रस अथवा इसकी जड़ का चूर्ण सूंघने और विष्णुकान्ता की जड़ को कान में बांधने से किसी भी प्रकार का सिर का दर्द ठीक हो जाता है।

32. गुंजा : गुंजा और कंजा के बीजों को पानी के साथ पीसकर सूंघने से सिर का दर्द खत्म हो जाता है।

33. लालमिर्च : छोटी लालमिर्च और बड़ी लालमिर्च बराबर मात्रा में लेकर थूहर के दूध के साथ पीसकर माथे पर लेप करने से किसी भी प्रकार का सिर दर्द ठीक हो जाता है।

34. तुलसी :

 

तुलसी के पत्तों के रस में कपूर डालकर इसमें चंदन की लकड़ी घिसकर कपाल पर लेप करने से सिर का दर्द दूर होता है।

 

तुलसी के पत्ते और अडूसे का रस निकालकर सूंघने से कफ के कारण होने वाला सिर का दर्द दूर होता है।

 

तुलसी के पत्तों को पीसकर माथे पर लेप की तरह लगाने से सिर का दर्द दूर हो जाता है।

 

सिर में दर्द होने पर एक चम्मच तुलसी के पत्तों का रस और एक चम्मच नींबू का रस मिलाकर चाटने से सिर का दर्द दूर हो जाता है।

 

सुबह खाली पेट तुलसी के पत्तों के रस में शहद मिलाकर चाटने से आधे सिर का दर्द ठीक होता है।

 

छाया में तुलसी के पत्तों को सुखाकर चूर्ण बनाकर सिर दर्द में सूंघने से लाभ मिलता है।

 

नींबू और तुलसी के पत्तों का रस बराबर मात्रा में मिलाकर 2-2 चम्मच पीने से सिर दर्द बन्द हो जाता है।

 

तुलसी के 5 पत्ते और कालीमिर्च पीसकर एक गिलास पानी में मिलाकर सुबह के समय 21 दिनों तक लगातार सेवन करने से मस्तिष्क की गर्मी नष्ट होती है।

 

35. हरड़ :

 

हरड़ का चूर्ण घी और गुड़ के साथ लेने से सिर दर्द खत्म होता है।

 

लगभग 10-10 ग्राम हरड़, आंवला, बहेड़ा, सुगन्धवाला और सिर धोने की सज्जी को पीसकर अलसी के तेल में गाढ़ा लेप बनाकर सिर पर लगाने से सिर का दर्द दूर हो जाता है।

 

10 बड़ी हरड़ को छिलकर 3 दिन तक पानी में भिगोकर धूप में रख दें और चौथे दिन इसमें 11 हरड़ की छाल कूटकर डालकर 3 दिनों तक धूप में रख दें। अब इसमें 500 ग्राम चीनी मिलाकर शर्बत बनाकर पीएं। इससे सिर दर्द दूर होता है और गर्मी के कारण होने वाली अन्य बीमारियां भी ठीक होती हैं।

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