हिंसा पर प्यार सद्भाव से विजय सरलता सरलता से सम्भव ; मुमुक्षु शिष्या श्री

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 चंडीगढ़ /कुरुक्षेत्र ; 18 मार्च ; राज शर्मा /प. रामकृष्ण शर्मा ;——धरती पर महापुरुष भगवान की कृपया से कम और  मानस  समाज  पर अन्यायियों और अधर्मियों के जुल्मों सितम बढ़ने के कारण अवतरित होते हैं ! सत्कर्मं और परोपकार परमार्थभाव से  अतिविभोर होकर भगवान भक्ति भाव से प्रसन्न धरा पर नहीं बल्कि साधक के अंतर्मन में अवतरित होते हैं ! ऐसे धर्मावत मोक्षदायी विचार, श्री गीताधामों  के संस्थापक और गौ अनाथ व् ब्राह्मण सहित बीमार मजबूर मजलूम के मसीह और गीताजयन्ति के प्रवर्तक ब्रह्मलीन श्री श्री 1008 गुरुदेव गीतानन्द जी महाराज मुमुक्षु की परमस्नेही शिष्या समाज में  अग्रणी धर्म पालिका स्नेहिल माता श्री जी ने महाराज जी की सेवा वन्दना के अवसर पर उपस्थित सेवक समाज  से सांझे किये !  माता श्री  आजकल श्रीगीताधाम कुरुक्षत्र की संचालिका और सेवा साधना में रत रहते हुए धर्म कर्म की गंगा का प्रवाह उठावत रखे हुए हैं !  श्रीगीता धाम  स्थित अन्नपूर्णा पाकशाला की सफल संचालिका माता विज्ञान जी के विनम्र स्वभाव की तुलना शांत गहरे समुदंर  की गहराई से करते हुए कहा कि जब हम पाकशाला में होते है तब ध्यान भगवान की प्रीति के प्रति निष्ठ होना चाहिए ! कहा जाता है कि जैसा खाओगे वैसा होगा मन और जैसा होगा मन तैसा पाओगे तन ! सो सफल शांत सुरक्षित परिवार के खुशहाली के लिए हमेशा चित को धर्म कर्म के प्रति संलग्न करें ! माता श्री जी ने आगे कहा कि हमेशा स्मरण रखें कि आपका शांत सरल और सच्चा सुच्चा स्वभाव बड़े से बड़े हिंसक प्राणी को भी मृदुल सदाचारी बनाने में सबल साधन सिद्ध  होता है ! हिंसा करने वाला सिर्फ  अज्ञानता  से उद्दण्ता से पेश आता है ! जबकि अहिंसाचारी हमेशा मुस्कान व् कोमलवाणी से अपने लक्ष्य सम्मत कार्यशील रहता है ! यह आज भी  अनाथ, अपाहिज और बेसहारा कन्याओं व् युवकों सहित बुजुर्गों के लिए निशुल्क आश्रय स्थली  बना हुआ है ! जहाँ भूखे को पेट भर खाना व् प्यासे  को शीतल जल और गौओं की सेवा का अनूठा संगम सभी  स्रोत्र बना हुआ है ! यहाँ गीता ज्ञान की माता श्री जी के मुक्तकंठ से मोक्षदायी गंगा बहती है ! तुलसी की अनूठी फलतीफूलती  बगीचियां दर्शनीय हैं ! धाम में भगवन श्री कृष्ण और  अर्जुन जी कुरु कुटुंब में हुए कुरुक्षत्र विश्वयुद्ध के दौरान चार अश्वों के रथ पर विराजमान सब के ध्यानाकर्षण का केंद्र बिंदु है ! श्रीश्री ब्रह्मलीन गीतानन्द जी महराज मुमुक्षु जी की  प्राणप्रतिष्ठित साक्षात दर्शन निधि स्तुति ध्यान योग हेतु  एकाग्रचित वातावरण प्रदान करता है   

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