नईदिल्ली/चंडीगढ़ ; आरके शर्मा विक्रमा /सुमन वैदवान ;—-जब जब रूह की खुराक संगीत सौम्यता की तलहटी को छूता है खुदा की खुदाई की बानगी खुद ब खुद नजरें इनायत हो ही जाती हैं ! ये संगीत ही है जो मूक होकर भी सब कुछ कहने की मर्यादा निभा जाता है ! ये किसी जुबां में नहीं बंधा रहता है ये किसी जात नस्ल और लिंग भेद सहित धर्म कर्म के दायरों से बेपरवाह अपनी मौजां मस्ती का मालिक बना रहता है ये कहना है एमसीडी के प्राइमरी स्कूल की टीचर रेखा दीपक का ! सादे शौकपन की स्वामिनी रेखा का मानना है कि संगीत इंसानियत की जुबां है और परोपकार की स्याही से लिखा फलसफा होता है तभी तो शोक संताप दुःख पीड़ा में भी संगीत की गुनगुनाहट सुकून की निम्नगा बहाने का सबब बनती है ! खुदा की खुदाई का दर्पण बनती संगीत की रवानगी सब को खुद में समेटने में सक्षम होती है तभी तो निर्जीव देह में भी फुर्कन भर देती है !
नईदिल्ली की ही हेल्थ कंसल्टेंट शशि कोहली का भी मानना है कि संगीत दिल की धड़कन बनता और कई बीमार विचारों को को दिल ही नहीं बल्कि दिमाग से बाहर कर देता है ! देह में दिल और दिमाग से उपजता हुआ रवानगी लेता हुआ संगीत जब नाभि में स्वर ध्वनि को जागृत करता है तो अलौकिकता का दृश्य ही परम् चरम सुख की सरहद तक पहुंचा देता है ! संगीत में अश्लीलता फूहड़ता बेतरतीबी की कोई जगह नहीं होती तभी तो ये रब्ब की रुबाइयाँ हैं ! शशि कोहली गवर्नमेंट मल्टी स्पैशलिटी हॉस्पिटल सेक्टर 16 चंडीगढ़ की सीनियर नर्स ने कहा कि हमारे पेशे में तो संगीत का अहम रोल है
जो हम को कई कई घंटों की कड़ी ड्यूटी के बाद चंद लम्हों में ही सुकून देते हुए थकान को उड़नछू करता है ! जिंदगी का दूजा नाम ही संगीत है ये एकता समानता परोपकार और शिक्षा सहित धर्म कर्म के मर्म का शिव है इसकी जटिलता सुगमता से स्वर रूप बनकर सुप्त तंतुओं को जागृत करके कुंडलियों के चक्रों से रूबरू करवाते हैं ! सरलता सुगमता सहित सरसता का संगम संगीत है !अत: संगीत का साथ दुःख सुख का भान खत्म करता सिको ही जीवन आधार मान कर रसपान करें सुखद खुशहाल स्वस्थ और दीर्घायु के स्वामी बनें और सबको प्रेरित करके सबको जिंदगी से रूबरू करवाएं !