निर्भया के बेरहम बेदर्दी कातिल ने जुल्म के मुंह पर भी पोत डाली थी कालिख, दो फांसी

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निर्भया के बेरहम बेदर्दी कातिल ने जुल्म के मुंह पर भी पोत डाली थी कालिख, दो फांसी 


चंडीगढ़ /नईदिल्ली; 7 मई ; आरके विक्रमा शर्मा /मोनिका शर्मा /करणशर्मा ;—— देश वासी भारत की  बेटी के शील भंग करके उसको बेरहम मौत देने वालों को हाईकोर्ट द्वारा दी गई फांसी की सजा को देश के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा बरकरार रखे जाने का जश्न मना रहे हैं ! बालीबुड तब भी आगे आया था और अब भी खुल कर अपनी प्रतिक्रियाएं व्यक्त कर रहा है ! शायद ही इस जुल्मों सितम की दास्ताँ बन चुके संगीन हादसे को दुनिया के लोग भुला पाएंगे ! दिसम्बर 16 तारिख और सन 2012 की रात एक बस में सवार एक सीधी सादी सी लड़की सिनेमा देखने के बाद घर लौट रही थी ! अकेली लड़की रात को कहाँ जा रही थी——ऐसा भी नहीं था उसका सहपाठी अच्छी कद काठी वाला युवक साथ था ! फिर क्यों छह युवकों ने उसपर अत्याचारों की बरसात की ! इसका जवाब दुनिया का कोई भी जज नहीं दे सकता !


  महिला अधिकार संगठन भी मूक दर्शक से ज्यादा क्या पाए जगजाहिर है ! आज हर कोई उन दरिंदों को खुद फांसी पर लटकाने के लिए आतुर दिखाई दे रहा है ! यहाँ तक कि कई जेलों में उम्रकैद काट रहे खुखार दुर्दांत आतंकी या अपराधी भी इस पत्थर दिल जालिम को किसी भी सुरते हाल बख्शने के कतई हक़ में नहीं हैं !

 उनका कहना है कि उनके जुर्म तो इस निंदनीय अमानवीय कुकर्म के आगे बौने हैं ! कोई नाबालिग होते हुए एक अबला जिसपर छह युवकों के कहर बरपने जारी है और उसके साथ उसकी अस्मत और जान की हिफाजत करने वाले को भी बेकसूर होने पर भी मार मार कर अधमरा कर दिया गया था ! कानून की  किताब के काले पन्ने इस अपराध की सजा का उल्लेख न होने पर खुद पर लानत दे रहे हैं !   किसी द्रवित दिल ने ठीक ही कहा था कि दिल्ली के सीने पर जैसे बस के छह टायर धरती का सीना रौंद रहे थे उसी वक़्त उसी तरह बस में छह दरिंदे निहत्थी निर्दोष असहाय दामिनी पर छह दरिंदे अपनी दरिंदगी का नंगा नाच करते हुए उसकी देह और अस्मत की बोटी बोटी तारतार करने में मशगूल थे ! क्या उस वक़्त उनकी बहादुरी के पीछे हमारे कछुआ चाल कानून की भूमिका शह का सबब नहीं बनी थी ! अगर कानून बनाने वालों ने इन बेचारी बेटियों के लिए कुछ गम्भीरत से सोचा होता तो शायद आज ये बदहाल दयनीय हालात बहु माँ बेटियों के देहों पर   अत्याचार न देखने को मिलते ! क्या फांसी की सजा से हालत अब दुरुस्त हो गए हैं या अब कोई बच्ची, बेटी किसी दरिंदे के जुल्मों कुकर्म की शिकार नहीं होगी !  इस बात की जिम्मेवारी कानून के पालक या वर्दी धारी या फिर देश की प्रजा के पालक सफेदपोश लोग कौन लेगा ?? कि अब शांति सुरक्षा बनी रहेगी और किसी बहु बेटी बच्ची को कतई डरने की जरूरत नहीं है क्योंकि लेट ही सही पर कानून ने अपना काम किया तो है ! पीड़िता दामिनी के दोस्त ऐ पांडेय की रूह आज भी सिहरती होगी जब मंजर स्मरण होता होगा ! ये वो खुनी  बदहवास मंजर जिसको देखने से खून रगों में जम जाये और इंसान पत्थर हो जाये ! ************** !!!!*******???  कानून का अगर खौफ हो तो दामिनी आज अपने घर संसार में व्यस्त होती ! दामिनी ! हम सब भारत वासी शर्मिदा हैं ! भारत सुताओं की रक्षा करने में हम खुद नपुंसक बने हुए हैं ! हो सके तो क्षमा करना ! क्योंकि, हम चंद पल मगर के आंसू बहा कर फिर बेशर्म होकर बेफिक्र हो जाते हैं ! 

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