एआईसीटीई के वाईस चेयरमैन ने ऑल इण्डिया फैडरेशन ऑफ सैल्फ फाईनेंसिंग कॉलेजिस एसोसिएशन (एआईएफएसएफटीआई) के साथ योजना सांझी की
मोहाली ;7 मई ; अल्फ़ा न्यूज इंडिया ;—–तकनीकी कोर्स के बाद रोजगार के अवसर बढाने के लिए, ऑल इण्डिया काउंसिल फॉर टैक्नीकल एजकेशन (एआईसीटीई), नई दिल्ली देश के तकनीकी कोॢसस के पाठ्यक्रम के पूर्ण पुनरोद्धार की योजना बना रहा है। एआईसीटीई द्वारा निर्णय लेने के लिए बेस्ट ब्रेन को शामिल करने के साथ ही इस दिशा में युद्ध स्त्तरीय कार्य एआईसीटीई द्वारा शुरू किया जा चुका है।
यह शब्द डॉ एम पी पुनिया, वाईस चेयरमैन, एआईसीटीई, नई दिल्ली ने ऑल इण्डिया फैडरेशन ऑफ सैल्फ फाईनेंसिंग कॉलेजिस एसोसिएशन (एआईएफएसएफटीआई) के चीफ पैटर्न, श्री आर एस मणीरत्तनम और प्रेजिडेंट डॉ अंशु कटारिया के नेतृत्व में प्रतिनिधिमण्डल की नई दिल्ली में आयोजित हुई मीटिंग के दौरान कहे।
1 जुलाई से टैकनीकल कोॢसस के लिए नया पाठ्यक्रम ;——पुनिया ने चर्चा करते हुए कहा कि एआईसीटीई 1 जुलाई से इंजीनियरिंग कोॢसस के पाठ्यक्रम में संशोधन करने की योजना बना रहा है ताकि देश के तकनीकी संस्थानों में पाठ्यक्रम में एकरूपता लाने के लिए नए विषयों को शामिल किया जा सके।
हर वर्ष में 2 महीने की इण्डस्ट्रीयल ट्रैनिंग सभी विद्याॢथयों के लिए अनिवार्य होगी ;——————-पुनिया ने चर्चा करते हुए कहा कि इन्जीनियरिंग कोर्स के लिए नया पाठ्यक्रम अत्याधिक तकनीकी और नौकरी उन्मुख होगा। उन्होने आगे कहा कि यह पाठ्यक्रम उद्योग से जुडा होगा, जिसमें विद्याॢथयों को एक साल में दो महीने इण्डस्ट्री में लगाने अनिवार्य होंगे ताकि व्यवहारिक चीजें को समस समय पर स्पष्ट किया जा सके। इसके लिए एआईसीटीई विद्याॢथयों को इण्डस्ट्रीयल एक्सपोजर प्रदान करने के लिए सीआईआई और मिनिस्ट्री ऑफ माइक्रो, स्मॉल और मीडियम एंटरप्राईजिस (एमएसएमई) से टाई अॅप कर रही है।
प्रथम वर्ष में विद्याॢथयों के कोर्स छोडने की दर को नियंत्रित करने के लिए प्रथम वर्ष के पाठ्यक्रम को व्यवहारिक और विद्याॢथयों के अनुरूप बनाया जाएगा ;—————-पुनिया ने आगे कहा कि स्कूल के माहौल के बाद जब विद्यार्थी बी.टैक में दाखिला लेता है तो माहौल में बदलाव, पाठ्यक्रम, परीक्षा के तरीकों में बदलाव आदि के कारण वह दबाव महसूस करता है, इसलिए उनमें से कुछ विद्यार्थी प्रथम वर्ष में ही सीट छोड देते है। इस ड्रॉप आऊट रेट को दिमाग में रखते हुए, एआईसीटीई ने विद्याॢथयों को कुछ आराम देने के लिए और कोर्स में समायोजित होने के लिए क्रेडिट रिमाकर्स को 180 से 160 तक कम कर दिया है। प्रथम वर्ष के पाठ्यक्रम में अनिवार्य परिवर्तन किए जाएंगे और उसे व्यवहारिक और विद्याॢथयों के अनुरूप बनाया जाएगा ताकि ड्रॉप आऊट को नियंत्रित किया जा सके।
टैक्नीकल टीचर्स ट्रैनिंग सभी अघ्यापकों के लिए अनिवार्य होगी
पुनिया ने आगे कहा कि स्कूल टीचर्स की ट्रैनिंग के लिए जैसे ईटीटी, एनटीटी, बीएड आदि कोॢसस अनिवार्य है इसी पैटर्न पर एआईसीटीई ने हर अध्यापक को टैकनीकल सब्जैक्टस पढाने के लिए एम.टैक के बाद 3 महीने का टीचर्स ट्रैनिंग प्रोग्राम करना अनिवार्य होगा। एआईसीटीई ने यह कार्य इण्डियन सोसाईटी फॉर टैक्नीकल एजुकेशन (आईएसटीई) को दिया है और टीचर्स ट्रैनिंग प्रोग्राम पर करीब 9 करोड खर्च कर रही है। एआईसीटीई ने 15000 नए और पुराने टैकनीकल टीचर्स के कंटेंट और डिलिवरी टैकनीक को अपग्रेड करने के लिए 300 नए टैकनीकल प्रोग्राम शुरू करने का निर्णय लिया है।
जून-जुलाई में 300 टीचर्स ट्रैनिंग प्रोग्राम लाउंच होंगे ;————यह उल्लेखनीय है कि 300 ट्रैनिंग प्रोग्रामों में से 100 प्रोग्रामों को विशेषत: नए अध्यापकों के लिए विकसित किया जाएगा जबकि 200 प्रोग्रामों को मौजूदा फैकल्टी की नॉलेज और कंटेंट को अपडेट करने के लिए बनाया जाएगा। 40-50 अध्यापकों के बैच के साथ जून और जुलाई में इस ट्रैनिंग सेश्न का आयोजन इंजीनियरिंग कॉलेजिस में किया जाएगा। श्री के वी के राव (आंध्र प्रदेश), सीए मनमोहन गर्ग (पंजाब), श्री सरिनी भुपलम (तेलंगाना), श्री पाँडूरंगा शैट्टी (कर्नाटका), श्री पी सेलवराज (तमिलनाडू), श्री ललित अग्रवाल (दिल्ली), श्री टी डी ईसावरा मूॢत (तमिलनाडू), श्री के जी मधु (केरल), श्री वी के वर्मा (मध्य प्रदेश) आदि भी इस अवसर पर उपस्थित थे।
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