चंडीगढ़ /हरिद्वार ; 9 मई ; मोनिका शर्मा /आरके शर्मा विक्रमा ;—-बुधवार को भारतीय धर्म संस्कृति की श्री पताका के तहत बुद्धपूर्णिमा अपना विशेष सम्मानीय और आराध्य स्थान रखती है ! इसको बुद्ध पूर्णिमा के नाम से भी पुकारा जाता है ! धर्म के आदि ग्रंथों की मानें तो बुद्धपूर्णिमा हिंदु समाज सहित बौद्ध समाज का भी अति उत्तम पुण्यदाय पर्व है ! जैसे कि सर्वविदित है कि महात्मा गौतम बुद्ध जी भगवान सृष्टि के पालनहार श्री विष्णु जी के ही धरा पर अवतरित होने वाले नौवें क्रमश पर अवतार हुए थे ! यहीं विशेष कारण है कि बुद्धपूर्णिमा को बौद्धि और हिन्दू लोग बड़े उत्साह के साथ आज के दिवस धर्म समागम आयोजित करते हैं ! बुद्ध जी के बारे में भी सर्वविदित हैं कि वह माता महराज शुद्धोधन और महारानी महामाया की संतान थी जो जन्म से ठीक सातवें दिन माता की ममतामय छाँव से वंचित हो जाने पर माता गौतमी द्वारा पोषित हुए थे ! प्रणय बंधन में बंधे पर भौतिक संसार से विरक्ति होने पर जीवन के दुखो का रहस्य भरे कारण खोजने तप साधना करने गृह का त्याग करके वनों की और प्रस्थान कर गए थे ! बिहार प्रान्त में एक बोधि वृक्ष के निचे ही तप साधना साधी ! ज्ञान की श्री उपलब्धि हुई और महात्मा बुद्ध पद को प्राप्त किया !
भगवान बुद्ध के अनुयायी धरा के कोने कोने में धर्म प्रचार प्रसार हेतु फैले हुए हैं ! सो विदेशों में भी बुद्धपूर्णिमा का धर्म पर्व खूब बड़े स्तरों पर मनाया जाता है ! जैसे श्रीलंका दक्षिण कोरिया चीन जापान ताइवान नेपाल और विशेषकर तिब्बत बंगलादेश यानि जहाँ जहाँ भी बुद्ध धर्म के आस्थावान हैं वहीँ ये बुद्धपूर्णिमा का हर्षोउल्लास के साथ भव्यता से सबको साथ लेकर आयोजन सम्पन्न होंगे ! हिन्दू लोग बुद्धपूर्णिमा को अपने धर्म संस्कृति प्रचलित परम्पराओं के तहत मनाते हैं ! बुजुर्ग महिला पुरुष सब व्रती होकर भगवान के मंदिरों में जाकर भगवान जी के श्रीदर्शन करते हैं ! गरीबों में इस दिन दान दक्षिणा वितरण का भी खूब प्रचलन है !