चंडीगढ़:- 29 जून:- आर के विक्रम शर्मा /अनिल शारदा/ राजेश पठानिया/करण शर्मा प्रस्तुति*:—राजा हुए साधु की बुद्धि के कायल* जब कदम कदम पर चमत्कार देखे।
*किसी राजमहल के द्वारा पर एक साधु आया और द्वारपाल से बोला कि भीतर जाकर राजा से कहे कि उनका भाई आया है।सूचना मिलने पर राजा मुस्कुराया और साधु को भीतर बुलाकर अपने पास बैठा लिया।*
*साधु ने पूछा–कहो अनुज, क्या हाल-चाल हैं तुम्हारे?राजा बोला-“मैं ठीक हूं आप कैसे हैं भैया?”साधु ने कहा-जिस महल में मैं रहता था, वह पुराना और जर्जर हो गया है।कभी भी टूटकर गिर सकता है। मेरे 32 नौकर थे वे भी एक-एक करके चले गए। पांचों रानियां भी वृद्ध हो गयीं और अब उनसे को काम नहीं होता।यह सुनकर राजा ने साधु को 10 सोने के सिक्के देने का आदेश दिया।साधु ने 10 सोने के सिक्के कम बताए।*
*राजा ने कहा-इस बार राज्य में सूखा पड़ा है,आप इतने से ही संतोष कर लें।साधु बोला-मेरे साथ सात समुंदर पार चलो वहां सोने की खदाने हैं।मेरे पैर पड़ते ही समुद्र सूख जाएगा।मेरे पैरों की शक्ति तो आप देख ही चुके हैं,अब राजा ने साधु को 100 सोने के सिक्के देने का आदेश दिया।*
*साधु के जाने के बाद मंत्रियों ने आश्चर्य से पूछा-“क्षमा करियेगा,राजन,लकिन जहां तक हम जानते हैं,आपका कोई बड़ा भाई नहीं है,फिर आपने इस ठग को इतना इनाम क्यों दिया?”राजन ने समझाया-“देखो,भाग्य के दो पहलु होते हैं।राजा और रंक।इस नाते उसने मुझे भाई कहा,जर्जर महल से उसका मतलब उसके बूढ़े शरीर से था।32 नौकर उसके दांत थे और 5 वृद्ध रानियां,उसकी 5 इन्द्रियां हैं।समुद्र के बहाने उसने मुझे उलाहना दिया कि राजमहल में उसके पैर रखते ही मेरा राजकोष सूख गया…क्योंकि मैं उसे मात्र दस सिक्के दे रहा था जबकि मेरी हैसियत उसे सोने से तौल देने की है। इसीलिए उसकी बुद्धिमानी से प्रसन्न होकर मैंने उसे सौ सिक्के दिए और कल से मैं उसे अपना सलाहकार नियुक्त करूंगा।*
*🥰कहानी से हमें ये सीख मिलती है कि किसी व्यक्ति के बाहरी रंग रूप से उसकी बुद्धिमत्ता का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता*
*गोविंद*🙏🏻🙏🏻
*।। जय सियाराम जी।।*
*।। ॐ नमह शिवाय।।*