बाबैन, 13 मई (राकेश शर्मा) : आखिर कयों नही पढ़ता सरकारी स्कूल मे मास्टर जी का लाड़ला? सरकारी मास्टर जी अपने बच्चों को स्वयं क यों नही पढ़ाते सरकारी स्कूल मे? जहा सरकार के द्वारा प्रति वर्ष अरबों रूपये शिक्षा पर खर्च किए जाते है व प्रत्येक स्कूल मे शिक्षित व प्रशिक्षित शिक्षक तैनात किए हुए जिनका मासिक वेतन भी निजी स्कूलों के अघ्यापकों से कही अधिक होता है फिर भी सरकारी स्कूल के मास्टर व सरकारी कर्मचारियों के बच्चें आखिर सरकारी स्कूल मे कयों नही पढ़ते?। ये ऐसे सवाल है जिनसे यह जान पड़ता है की या तो सरकारी स्कूलों मे शिक्षा का आभाव जिसके कारण सरकारी स्कूलों मे अक्सर गरीब बच्चों को ही शिक्षा ग्रहण करते हुए देखा जा सकता। सरकारी कर्मचारी या पैसे वाले लोग अपने स्टेेटस के कारण सरकारी स्कूलों मे अपनें बच्चों को पढ़ाना ठीक नही समझते। सरकारी अधिकरियों व सरकारी कर्मचारियों के बच्चों का सरकारी स्कूल मे प्रवेश सुनिश्चित हो इस विषय को लेकर सरकार जहा विचार कर रही है।
वही जब इस विषय मे बाबैन भाजपा मंड़ल के प्रधान सुरेश कश्यप व महामंत्री विकास शर्मा जालखेडी से जब इस बारे मे बात की गई तो उनका कहना था कि सरकारी मास्टरों के ही नही बल्कि सरकारी अधिकारियों व बड़े से लेकर छोटे कर्मचारी के बच्चें की शिक्षा भी सरकारी स्कूल में अनिवार्य होनी चाहिए। इससे जहा शिक्षा का स्तर उंचा होगा वही गरीब बच्चों का मनोबल भी बढ़ेगा। हरनेक सिंह के अनुसार सरकार को इस तरह के नियम को जल्दी ही लागू करना चाहिए। सरकारी शिक्षकों व दूसरे कर्मचारियों के बच्चों का निजि संस्थानों मे शिक्षा ग्रहण करने से सरकारी स्कूल के बच्चों मे हीनभावना पैदा होती है । जब इस विषय मे अमरजीत नारंग से बातचीत की गई तो उनका कहना था कि सरकार को पहले सरकारी स्कूलों के हालात व शिक्षा के स्तर मे सुधार करना चाहिए उन्होंने कहा कि जिस तरह का सुधार हमारी शिक्षा को चाहिए उसके लिए यह कदम नाकाफी है। सरकार को शिक्षा के व्यवसायीकरण पर रोक लगाने के लिए कारगार कदम उठाने चाहिए ताकि एक गरीब परिवार का योग्य व काबिल बच्चा भी आगे बढ़ सके।