चंडीगढ़/ नई दिल्ली:- 10 जून:-आरके विक्रमा शर्मा/ राजेश पठानिया/ सुमन वैदवाल :—भारत धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है! और यही इसके लिए अभिशाप बनता जा रहा है! आज हिंदुस्तान में हिंदू लोग अपने देवी देवताओं की पूजा के लिए तरस रहे हैं! और नाना प्रकार की मानसिक शारीरिक धार्मिक और आर्थिक यातनाएं झेल रहे हैं। यह इस देश का दुर्भाग्य नहीं, तो और क्या है।
कैपिटल ऑफ नेशन नई दिल्ली स्थित ऐतिहासिक कुतुब मीनार परिसर में हिंदू और जैन धर्म से संबंधित मूर्तियों की पूजा के लिए अनुमति मांगी गई थी। लेकिन दिल्ली की साकेत कोर्ट ने अपना फैसला 24 अगस्त तक टाल दिया है। सकेत कोर्ट में दायर मुकदमे में नई दिल्ली की निचली अदालत को कुतुब मीनार परिसर में पूजा की मांग वाली याचिका पर पुनः सुनवाई करने और इस पर पुनर्विचार की मांग की गई है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने कोर्ट में कुतुब मीनार परिसर के अंदर हिंदू और जैन देवी देवताओं की मूर्तियों को पुनर्स्थापित करने के अनुरोध वाली एक याचिका का विरोध किया है। और कहा है कि कुतुब मीनार उपासना स्थल नहीं है। और स्मारक की मौजूदा स्थिति को किसी भी सूरते हाल में बदला नहीं जा सकता है। हिंदू समाज ने मूर्तियों की पूजा पाठ की कोर्ट से स्वीकृति मांगी थी। लेकिन कोर्ट ने उक्त मामले की सुनवाई को अज्ञात कारणों से 24 अगस्त तक के लिए टाल दिया है।
गौरतलब किया जाता है कि हिंदू धर्म के आज असंख्या असंख्या मंदिरों को मुसलमानों ने बर्बरता से बर्बाद करते हुए ऊपरी ढांचे को ध्वस्त करके अपनी मस्जिदें दरगाहें मकबरे आदि का निर्माण किया है। और धीरे-धीरे इस सच्चाई पर से पर्दा बुद्धिजीवियों द्वारा, कोर्ट द्वारा और साक्ष्यों के आधार पर उठाया जा रहा है। हजारों साल पुराने धर्म विरासत को अंकुरित हो रहे तथाकथित धर्मों सम्प्रदायों ने देश के जयचंदों मान सिहों के बलबूते पर नेस्तनाबूद कर डाला है। आज भारतवर्ष में भारत वासियों को ही अपने मंदिरों और अपने देवीी देवताओं की पूजा उपासना के लिए कोर्ट कचहरी के कई कई दशकों से चक्कर काटने पड़ रहे हैं। जिस धर्म ने दुनिया को मानवता और धर्म का पाठ पढ़ाया आज वही भारतवर्ष को नाकों चने चबा रहे हैं।