पंचकूला /चंडीगढ़ ; 30 मई ; आरके “विक्रमा” शर्मा /मोनिका शर्मा ;——भौतिकवाद की आंधी और धनलोलुपता ने इंसानी जीवन और माता पिता के बुनियादी जिम्मेवारियों सहित जवाबदेहियों को बौना बनाया दिया है ! तभी तो आज का शिक्षक और अभिभावक कम चिंता करता और विद्यार्थी खुद को चिंता में चिता तक
पर लिटा देता है ! दरअसल ये दुनिया के शिक्षक देश की दयनीय दुर्गति है ! दुर्भाग्य वश देश में शिक्षा का व्यापारीकरण ही आज के दौर के शिक्षा जगत से जुड़े लोगों की दर्दनाक चीख चीत्कार नहीं तो और है क्या !!
फिर भी होनहार बच्चे माँ बाप की मजबूरियां सर मत्थे रखते हुए अपने भविष्य के लिए खुद द्रोणाचार्य बनते हैं ! उनका लक्ष्य सिर्फ मंजिल को भेदन ही है ! इन्हीं में से कोई न कोई खुद अपने रास्ते चुनता और तय करता हुआ उत्तीर्णता का चक्रब्यूह भेदन करता है ! इन्हीं नामों में अग्रणी पंक्ति में शुमार एक और नाम समृद्धि
शर्मा का भी जुड़ा है ! समृद्धि शर्मा, सेक्टर 11 पंचकूला की निवासी और लिटिल फ्लावर्स कान्वेंट स्कूल सेक्टर 14 पंचकूला की होनहार छात्रा पर स्कूल प्रबंधन और अध्यापन मंडल सहित हर सूनने वाला गर्व महसूस करता है ! समृद्धि शर्मा ने बिना कोई ट्यूशन लिए खुद की तयारी खुद की है और अपने बलबूते लग्न निष्ठां सहित खुद से प्रतियोगिता करते हुए 91 % अंक हासिल किये हैं ! खेलों और गृह कार्यों में दक्ष समृद्धि शर्मा के पिता हरीश शर्मा मीडिया जर्नलिस्ट हैं और माता कमलेश अंजू शर्मा हेल्थ कंसल्टेंट के मुताबिक उनके पास बेटी को पढ़ाने या मार्दर्शन करने का कोई वक़्त नहीं मिलता था ! ऐसे में बेटी ने अपने गृह कार्यों को दिनचर्या की तरह निपटाना, भाई अदम्य शर्मा का भी ख्याल रखना और अपनी स्वास्थ्य तक का ख्याल तजकर अपनी पढ़ाई पर ध्यान एकग्रता केंद्रित की और परिणाम में 91% अंक प्राप्त करके स्कूल का अपने दादा प० रामकृष्ण शर्मा सहित दादी लक्ष्मीदेवी शर्मा आदि सब का नाम रोशन किया ! स्कूल का अध्यापन मंडल तो समृद्धि शर्मा की उपलब्धि पर गौरवन्वित हैं ! समृद्धि शर्मा अपने ताऊ विक्रांत शर्मा के मेधावी बेटे राजा शर्मा शुभम को रोल मॉडल मानती है ! राजा शर्मा भी एसडी कालेज चंडीगढ़ में मेधावी स्टूडेंट के नाते सेल्फमेड स्टूडेंट पहचाना जाता है ! और समृद्धि की कज़िन उमा शर्मा एमसीएम डीएवी सेक्टर 36 चंडीगढ़ की मेधावी छात्रा भी उस की प्रेरणा बिंदु है ! समृद्धि शर्मा भले ही अपनी मेहनत के आगे इस उपलब्धि को कमतर आंक रही है ! पर फिर भी इसे अपने दादा दादी जी का ही आशीर्वाद और पारिवारिक संस्कारों कीघुटी और अध्यापन मंडल की सही सटीक दिशा दर्शन का फल बता रही हैं ! समृद्धि ने टाइम मैनेजमेंट का गुर अपनाकर और लिख लिख कर रट्टा न लगाकर सीखने पर बल दिया ! पढ़ाई में लगातार गति बनाये रखने को अपनी उपलब्धि मानकर समृद्धि भगवान का ध्यान भी अटूट आस्था के साथ करती हैं ! घरेलू धार्मिक वातावरण भी उसे अच्छी दिशा देता रहा तभी लियाकत और लायकी की दशा दमदार बनी !