चंडीगढ़/वृंदावन :-19 मार्च:- आर के विक्रमा शर्मा/ आचार्य विमल कुमार मिश्रा:— भारत देश मुगलों और मंगोलों के हमलों से पहले पूर्णता सनातन राष्ट्र था! जिसे विशुद्ध हिंदुस्तान का दर्जा प्राप्त था। भारत भूमि देवी देवताओं जो अलौकिक चमत्कारों और शक्तियों के साथ साथ जीवन पुंज भी थे, की धरा थी। इसके कण-कण में आज भी देवी देवताओं के अलौकिक चमत्कारों के दिव्य दर्शन विद्यमान हैं। दुनिया में सबसे ज्यादा मंदिरों की संख्या भी भारत भूमि पर विद्यावान है। यहां भगवान सृष्टि रचयिता विष्णु जी के दर्जनों अवतारों की छटा यहां वहां दृष्टिगोचर होती है। भारत समूची सृष्टि को विद्या शिक्षा धर्म संस्कृति सभ्यता का पाठ पढ़ाने वाला आदि प्रवर्तक और गुरु समझा और माना जाता था। तक्षशिला और नालंदा और मक्का मदीना में आदि अनादि भगवान शिव का विद्यमान होना, भारत का समूची धरती पर एक छत्र धर्म स्वराज्य का द्योतक है।भारतीय सभ्यता और संस्कृति प्राचीनतम और पौराणिक ऐतिहासिक सर्वप्रथम सर्वोपरि सर्वमान्य धरोहर है। इसकी यही पराकाष्ठा और महानतम उपलब्धियों को देखते हुए आज मौजूदा दुनिया के दर्जनों देश खुद को हिंदू संस्कृति के अनुसरण के रूप में घोषित करना चाहते हैं। आज उन देशों में भारतीय धर्म दर्शन और सांस्कृतिक सभ्यताएं प्रचलित ही हैं। यही भारत की प्राचीनतम धर्म संस्कृति का वर्चस्व है।
पुरी के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद जी ने कहा कि बड़े गर्व की बात है कि आज भूटान और मॉरीशस जैसे दर्जन से ज्यादा देश हिंदू राष्ट्र घोषित होने की तैयारी और प्रतीक्षा में हैं। सबकी निगाहें भारत पर टिकी हुई हैं। जैसे ही भारत खुद को हिंदू राष्ट्र घोषित करेगा। दुनिया के दर्जनों देश खुद को हिंदू राष्ट्र घोषित करने का सौभाग्य और गौरव प्राप्त करेंगे। बतौर हिंदू राष्ट्र इस धरती पर हिंदू धर्म संस्कृति सभ्यता का लोहा मनवाऐंगे। बकौल शंकराचार्य निश्चलानंद जी महाराज भारत विश्वव्यापी धर्म और शक्ति का द्योतक बनेगा। स्वामी निश्चलानंद जी ने बताया कि तकरीबन 50 से भी ज्यादा देश भारतीय हिंदू धर्म संस्कृति के अनुसरण करने की श्रेणी में अग्रणी हैं।।