चंडीगढ़ :13 जनवरी आरके विक्रमा शर्मा करण शर्मा अनिल शारदा:— दुनिया के स्वर्ग कहे जाने वाले देश भारत में प्रकृति ने पूरे 12 मास के चक्र को छह ऋतु में बांट रखा है। हर ऋतु के 2 महीने निर्धारित हैं।हर ऋतु के मुताबिक भारत की भौगोलिक परिस्थिति के अनुकूल खान-पान रहन-सहन पहरावा भाषा और धर्म संस्कृति रीति-रिवाजों और परंपराओं का प्रचलन अबाध चरणों का अपना ही प्रभाव है। आजकल शिशिर ऋतु अपने भरपूर यौवन में अठखेलियां करती निहारी जा रही है। इस ऋतु में चर्म व्याधि कफ वात पित्त आधा सिर दर्द पैर में ठंड चढ़ना नाक बहना गले में खराश और सूखी खांसी कान 👂 खुश्क होने पर हर कोई एलोपैथी की ओर रुख करता है। और बदले में हेवी डोज लेकर भविष्य के लिए साइड इफेक्ट्स का खजाना साथ लेकर चल पड़ता है।
इसके उल्ट आयुष विज्ञान में हर ऋतु की बीमारियों के मुताबिक सहज सरल सस्ता नुक्ता और नुस्खा और समाधान उपलब्ध है। यह विचार अल्फा न्यूज़ इंडिया के माध्यम से जाने-माने ज्योतिष आचार्य पंडित कृष्ण मेहता ने हमारे लाखों पाठकों की नजर करते हुए कहा है कि आधा चम्मच हल्दी, आधा ग्राम नमक और चार काली मिर्च पीसकर तथा तीनों को मिलाकर तवे पर धीमी आंच पर गर्म करें।
उससे निकलने वाली भाप को धीरे-धीरे नाक से लेकर मुख से बाहर छोड़ना है।
लगभग पन्द्रह मिनट में हल्दी काली हो जाएंगी। तब तक भाप लेते रहना है। खुलकर खूब पसीना आएगा और गले का दर्द, जुकाम, खांसी और ज्वर सभी मात्र दस मिनट में ठीक-ठाक होगा ।
पंडित कृष्ण मेहता समय-समय पर आयुष विज्ञान की और पुरातन धर्म शास्त्रों में उल्लेखित चिकित्सा पद्धतियों का लोगों के स्वास्थ्य कल्याण हेतु संदेश अल्फा न्यूज इंडिया के माध्यम से प्रेषित करते रहते हैं।