44 प्रतिशत ही बचे हैं रक्तचाप बीमारी से भारतीय चिकित्स्क

Loading

44 प्रतिशत ही बचे हैं रक्तचाप बीमारी से  भारतीय चिकित्स्क
चंडीगढ़ ; 27 सितमबर : आरके शर्मा विक्रमा  ;– बड़ी पुराणी कहावत है कि अगर चिकित्स्क  ही बीमार हो जाये तो फिर बाकि सब का तो खुदा  ही खैरख्वाह होगा !  आज हम अगर बात करें कि क्या करोड़ों  लोगों की सेहत व् तंदरुस्ती का ग्राफ क्या है तो हम सीधे सीधे ही चिकित्स्कों की सम्मत देखते हैं ! और अगर ये ग्राफ चिंताग्रस्त करता है  तो  बात सीधे चिकित्स्क के अपने हेल्थ पर आ टिकती है ! कौन कहता कि चिकित्स्क बीमार नहीं होते,वो बीमार ही नहीं अपितु घातक  बिमारियों तक का शिकार  होकर रह जाते हैं ! इतिहास गवाही भरता है कि  अनेकों वो बड़े स्थापित चिकित्स्क  जिन्होंने आसाध्य रोगों से ग्रस्तों को भला चंगा किया स्वस्थ जीवन दान बख्शा उनकी मौत बेहद पीड़ादायक क्षणों में हुई ! ये बात कड़वी है जरूर पर सच भी तो है कि दूसरों को स्वास्थयलाभ देते देते तकरीबन हर चिकित्स्क अपनी सुधबुध खो कर  के दूसरों के परिवारजनों के चेहरे पर खुशी  उड़ेलता है,और खुद बेइलाज बिमारियों के चुंगलों में धंसता चला जाता है ! इसी महीने पीजीआई के दो तीन नामवर चिकित्स्कों की मौत हुई ,पर ये आंकड़े खुद में मृत्यु  से भी भयावह साबित हुए,जब मालूम पड़ा कि इन सब की अंतिम वेला  असाध्य व्  कष्टदायी बिमारियों से हो कर गुजरीं ! ऐसा भी इनके पास चिकित्सा हेतु कोई अर्थ की कमी रही होगी बिलकुल ऐसा भी नहीं दृष्टिगोचर हुआ !
देशवासी    

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

18673

+

Visitors