घर की सुरक्षा में सेंधमारी करते पार्क के ट्री, घर के लोग नहीं हैं टेंशन फ्री

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चंडीगढ़:- 16 अगस्त: करण शर्मा +एनके धीमान:– सरकार ने जनता की सहूलियत के लिए पुख्ता और बुनियादी इंतजाम करने के लिए सरकारी धन पानी की तरह बहाना जारी रखा हुआ है। परिश्रम के बावजूद भी सोनी सिटी में गंदगी प्रशासन और नगर निगम की खुली पोल खोलती नजर आती है। सार्वजनिक स्थलों और पार्कों सहित गली मोहल्ले के पार्क में गंदगी पसरी नजर आती है। हालांकि इस गंदगी को उठाने के लिए सफाई कर्मचारियों की एक कौरव सेना सरकारी रजिस्टर में दर्ज दिखाई देती है। लेकिन काम निपटाने के नतीजे में ढाक के तीन पात से ज्यादा कुछ भी नहीं है। सेक्टर 22 सी और डी का विख्यात मूनलाइट पार्क, जिसका कभी उद्घाटन तत्कालीन कांग्रेसी मेयर प्रदीप छाबड़ा ने किया था। इसके रखरखाव पर हॉर्टिकल्चर डिपार्टमेंट खूब मेहनत करता है। लेकिन आजकल बरसातों के जोर में पार्क में जंगली घास फूस बढ़ने से सांप बिच्छू और जहरीले जीवों के पनपने की समस्या से हर कोई भयभीत है। पार्क के किनारे बसे घर के लोगों का कहना है कि पेड़ों की प्रॉपर कटाई समय पर होनी चाहिए। क्योंकि इनकी टहनियां अक्सर घरों में झूलती हैं। जिससे घरों की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा है। मेंटेनेंस विभाग या तो इन घरों के आंगन में मुर्गा जाली आदि फिट करवाएं या फिर इन पेड़ों की सही समय पर उचित तरीके से कटाई होती रहे। ताकि किसी के भी इन पेड़ों पर चढ़कर घर में कूदने घरवालों पर जानलेवा हमला करने और घर का कीमती सामान चुराने आदि की घटना पर समय रहते अंकुश लगाया जा सके। हालांकि सेक्टर 22 चौकी की पुलिस जिप्सी शास्त्री मार्केट तक आकर अक्सर रात को खड़ी हुई रहती है। लेकिन पुलिस का यहां होना यहां के वाशिंदों तक को ही मालूम नहीं पड़ता है। तो चोर अचककों को तो उसका भय बिल्कुल भी नहीं है। पुलिस को चाहिए कि वह प्रॉपर ढंग से गली मोहल्लों में रात के वक्त दो राउंड हूटर के साथ जरूर करें। और अपनी मौजूदगी का भी घंटे 2 घंटे बाद एंट्री आदि पर जाकर चोरों आदि को बस्तियों से दूर रखें। मूनलाइट पार्क में मार्केट के बंद होने के बाद यहां काम करने वाले करिंदे कॉलोनियों के लड़के पार्क में अक्सर झुंड बनाकर दारू पीते हैं। हुल्लड़ बाजी करते हैं। और गाली गलौज करते हुए यहां रहने वाले लोगों के गली मोहल्लों से गंदी भाषा का इस्तेमाल करते हुए निकलते हैं। जिसका इन सेक्टर के गली मोहल्लों में रहने वाले परिवारों के छोटे बड़े बच्चों पर बहुत ही बुरा असर पड़ता है।

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