दुनिया के सबसे बड़े त्यागी टोडरमल ने सिख धर्म के लिए लगाया पीढ़ियों का कुबेर धन
चंडीगढ़ ; 23 दिस्मबर ; आरके शर्मा विक्रमा /करण शर्मा ;—–टोडर मल सेठ का नाम जमीन की जमाबन्दी के आलावा किसी और नेक काम के लिए भी है शायद कोई भी नहीं जानता ! सेठ टोडरमल दिल से नेक और सेवाचारी और धर्म से हिन्दू थे जो भगवान पर अटूट आस्था व् विश्वास रखते थे ! इंसानियत के पुरोधा टोडरमल भेदभाव से तो कोसों दूर थे ! टोडरमल अकबर दरवार की शान के साथ साथ बहुत ही जिंदादिल नेकनीयती वाले भी थे ! हिन्दू धर्म संस्कार से ओतप्रोत टोडरमल ने जब देखा कि दोनों साहिबजादों के संस्कार की मुगल नवाब इजाजत नहीं दे रहा है क्योंकि मुगल कौम में मृतक को सुपुर्देखाक ही किया जाता है !
जलप्रवाह या अग्नि संस्कार नहीं किया जाता ! और कोई भी किसी भी धर्म जाति नस्ल और सम्प्रदाय का शूरवीर सुरमा दोनों साहिबजादों की मृतक देहों तक को लेने आगे आने तक का साहस नहीं कर पाया और ये खबर जैसे ही टोडरमल ब्राह्मण को लगी तो तुरंत ब्राह्मण दीवान टोडरमल ने नवाब से गुरुपुत्रों के लिए संस्कार हेतु याचना की ! तो नवाब ने बदले में टोडरमल से उतनी जमीन की कीमत अदा करने को कहा जितनी में दोनों साहिबजादों जोरावर सिंह और फतेहसिंह के पार्थिव देहों का संस्कार होना था ! इतिहास गवाह है कि हिन्दू ब्राह्मण टोडरमल अपने पुरखों की कमाई हुई और अपनी संतनों के लिए सहेजी पैतृक सम्पति पलक झपकते ही नवाब के आगे रख दी थी ! मात्र कुछेक मीटर वर्गाकार स्थान के बदले उस ज़माने में 78,000 हजार सोने की अशर्फियाँ [सिक्के]खड़े करके जमीन की कीमत अदा की थी ! दीगर बात ये थी कि जमीन पर सिक्के बिछाए नहीं गए थे बल्कि खड़े जोड़े गए थे ! यानि इन सोने के सिक्कों की कीमत उस जमीन में तकरीबन दो अरब पचास करोड़ रूपये से भी ज्यादा थी जो महान दानी ब्राह्मण टोडरमल “दीवान जी ” सिख धर्म के दसवें गुरु गोविन्द सिंह के दोनों लख्ते जीगरों के धर्मसंगत संस्कार हेतु दुनिया का महान त्याग देकर वो मिसाल कायम की जिसकी भरपाई कोई भी कौम और धर्म सम्प्रदाय सूरज चाँद रहने तक तो चुका ही नहीं पायेगा ! ऐसे धर्मपरायण दानवीर का नाम लेने से ही मंचित को बैठाह शांति संतोष और समृद्धि की अनुभूति मिलती है !