सुखबीर बादल संसद में सिक्ख धरम को आजाद हस्ती का दर्जा दिलाने से पहलेसिक्ख की परिभाषा पर अपना पक्ष स्पष्ट करे –डॉ . रानू
शिरोमणि समिति एवम अकाल तक्खत साहिब तो रेहत मर्यादा अनुसार सिर्फ अमृतधारी को ही सिक्ख मानते है I
संघ के दिशानिर्देश पर सिक्ख धर्म को कमजोर करने की कार्यवाहिया कर रहा है अकाली दल I
चंडीगढ़ ; 10 जनवरी ; अल्फ़ा न्यूज इंडिया ;——–धान की धरा २५ (२) क्लॉज़ बी में संशोधन कर के सिक्ख धर्म को एक आज़ाद हस्ती का ख़िताब दिलाने की
बात जो शिरोमणिअकालीदल के प्रधान सुखबीर बादल ने कही है बहुत ही प्रशंसनीय है परन्तु इस से पहले
अकालीदल सिक्ख की परिभाषा पर अपना पक्षस्पास्ट करे के वह सिक्ख किसे मानते है कियो के शिरोमणि
गुरुद्वारे समिति की 1936 [ १९३६] की रहत मर्यादा जिसे श्री अकाल तख़्त साहिबने 1945 [१९४५] में मान्यता दी है! उसके अनुसार सिर्फ दसवे गुरु साहिब के अमृतपान करने वाला ही सिक्ख है I यह भी सच है के अकाली दल पंथिक पार्टी होने की वजह से अपने आप को अकाल तख़्त और शिरोमणि कमेटी से अलग नहीं कर
सकता और उसे उन्ही द्वारा दी गयी परिभाषा को ही मानना पड़ेगा I इस तरह करने से २ करोड़ सिक्खो में से सिर्फ 25 [२५] लाख जो अमृतधारी है, वही सिख कहलावेगे और सरे सेहजधारि , केशधारी गुरसिख जिन्होंने अमृतपान नहीं किया !