होलाष्टक में वर्जित कार्य करने से बचें ; पंडित रामकृष्ण शर्मा

Loading

होलाष्टक में वर्जित कार्य करने से बचें ; पंडित रामकृष्ण शर्मा  

चंडीगढ़ ; 23 फरवरी ; मोनिका शर्मा /करणशर्मा ;—-होली हमारे धर्म संस्कारों की कहानी है जो हिन्दूवासियों के जेहन में रच बस  चुकी है ! इस मर्तबा होली दो मार्च को तो होलाष्टक पहली मार्च को है ! फाल्गुन की शुक्लपक्ष की अष्टमी से लेकर पूर्णिमा तक होलाष्टक हैं ! इस मर्तबा होलाष्टक सिर्फ सात दिन होंगे ! इस दौरान ग्रहों के तेवर उग्र रहते हैं सो धर्मवत कार्य निषेध होते हैं ! मुंडन प्रणय बंधन गृह प्रवेश आदि आदि सब निषेध होते हैं ! पंचकूला के सेक्टर 11 स्थित पीपल वाली माता मंदिर [प्राचीन शिव व् शनि मंदिर] के संस्थापक व् निर्माता पंडित राम कृष्ण शर्मा ने इस बाबत बताया कि ये दिन सूतक कहे जाते सो हर शुभ कारज करना वर्जित रहता है ! तमाम गृह खुद उग्र रहते हुए नकारात्मक प्रभाव देते हैं ! होली दहन से आठ दिवस पहले से ही उक्त अवसर हेतु तैयारियां शुरू हो जाती हैं ! उत्तर भारत में तो होलाष्टक के प्रभाव् सर्वाधिक पड़ने की बातें शास्तों में निहित हैं ! धर्म कथा के अनुसार हिरण्यकश्यप भगवान विष्णु जी को अपना रिपु मानता था सो जब उसका सुत प्रह्लाद विष्णु जी की महिमा का बखान करता था तो उसके पिता को कतई अच्छा नहीं लगता था ! लाख मर्तबा समझाने पर जब वह नहीं माना तो प्रह्लाद को मार मिटाने की जुगत बनाई गई १ प्रह्लाद की बुआ यानि हिरण्यकशयप की बहन होलिका को वरदान था कि  अग्नि उसको नहीं जला सकती ! सो भाई की आज्ञा मान कर वह प्रह्लाद को अपनी गॉड में बैठ कर अग्नि में बैठी ! पर भगवान विष्णु भक्त प्रहलाद की रक्षा हेतु खुद उपस्थित हुए और होलिका जल गयी और प्रह्लाद बच गया था ! तभी से होलिका दहन मनाया जाता है ! भद्रा में रक्षाबंधन और होली नहीं मनाई जाती है ! पहली मार्च की शाम को भद्रा तकरीबन 07.24 बजे खत्म होंगी तो होली दहन होगा ! धर्म ग्रंथों के अनुसार हिरण्यकश्यप दैत्य राजा था जिसका साम्राज्य रावी सतलुज और सिंधु सहित व्यास दरिया के इर्दगिर्द फैला था सो होलिकाष्टक का  सर्वाधिक  प्रभाव भी उक्त क्षेत्र में देश के बाकि भागों से  ज्यादा पड़ता है !   

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

133739

+

Visitors