चंडीगढ़/नईदिल्ली ; 6 मार्च ; आरके शर्मा विक्रमा /गुलशन ;— आधुनिकता जहाँ सुविधा देने में अग्रणी बन रही है वहीँ ये नुकसान का भी पर्याय बनना जारी है ! एटीएम कार्ड ने बटुए का चलन घटाया ! स्मार्ट कार्डों ने कैशलेस का खेल खेला और आमुक पर अतिरिक्त बोझ से छुटकारा दिलाया ! लेकिन जैसे जैसे सुरक्षा का घेरा बढ़ा भयमुक्त वातावरण बनाया गया ! ठीक उल्ट इसके उक्त सुरक्षा चक्र को भेदने वाले भी कम चतुर और सजग नहीं हैं ! हजारों मीलों दूर बैठे बैठे ही आपकी गाढ़े खून पसीने की कमाई से जोड़ी गई पाई पाई रकम पलक साफ़ करने वाले आज पुलिस की मुस्तैदी और बैंक की डिजिटल प्रोटेक्शन तक को धत्ता दिखा है ! ऐसे में बैंक कस्टमर्स का बैंक की प्रणाली और व्यवस्थाओं पर से भरोसा उड़ने के साथ बैंक के प्रति उदासीनता बढ़ना स्वाभाविक है ! नईदिल्ली की रोहिणी क्षेत्र के सेक्टर 18 की वासी और स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया की उपभोक्ता के अकाउंट से बीते नौ जनवरी को किसी ने अज्ञात साधनों से कुल 030,000/- रूपये की खरीददारी उनके क्रेडिट कार्ड के माध्यम से की ! पीड़िता का रोना है कि एसबीआई क्रेडिट कार्ड उनके पास पर्स में घर में सुरक्षित है ! हैरत की बात तो ये है कि ये खरीददारी नईदिल्ली या इसके आसपास के स्टेटस तक में न करके हजारों कोसों दूर मुंबई में अंजाम दी गई ! एसबीआई अधिकारीयों ने खुद उपभोक्ता पीड़िता को और क्रेडिट कार्ड ब्लॉक करते हुए नया कार्ड जारी कर दिया !
लेकिन न जाने किस आधार पर बैंक ने सब कुछ उपभोक्ता से पहले जानते हुए अपनी जिम्मेवारी आगे रखते पुलिस में कंप्लेंट देकर एफआईआर दर्ज खबर लिखे जाने तक क्यों दर्ज करवाई ! महिला उपभोक्ता ने कई भयों संशयों और घरवालों के भय से पुलिस में दस्तक न देकर अपने साथ हुए फ्रॉयड की खबर लिखे जाने तक डीडीआर तक दर्ज पीछे कारण बैंक सही गाइड न करना बताया ! दीगर बात कि बैंक भी पुलिस को अब तलक कोई शिकायत आदि नहीं दी है ! आखिर उपभोक्ता को सूचित करने वाला बैंक अधिकारी अभी तक क्यों ख़ामोशी धारण किये है ! मुंबई में उक्त हजारों रूपये की चप्पत लगाने वाले शातिर आखिर कब से और किस की शह पर बैंकों से लूटपाट जारी रखे हुए हैं ! दिल्ली पुलिस अपनी मुस्तैदी के लिए उतनी ही अग्रणी है जितनी मुंबई पुलिस है ! पर दोनों के पास बैंक अधिकारीयों ने न जाने क्यों नहीं कंप्लेंट दर्ज करवाई है ! बताते चलें कि बैंक एटीएम कार्डों से उपभोक्ताओं को लाखों रूपये तक की चप्पत लगाने की दुर्घटनाएं एसबीआई के साथ ही क्यों कर ज्यादा दर्ज हुई हैं ! चंडीगढ़ स्थित एसबीआई ने अपने प्रभावित हुए उपभोक्ताओं को सकारात्मक रिस्पॉन्स दिए और अपराधियों को भी नकेल डलवाई है ! पर अन्य बैंकों की तुलना ये दाग बड़ी तादाद में एसबीआई के माथे लगा है ! जिससे एसबीआई कस्टमर्स का विश्वास और सुरक्षा का स्तर निरंतर गिरता दर्ज होता रहा है ! उल्टा चोर कोतवाल को —- के तहत बैंक पीड़िता पर दवाब बना रहा और उसको दिमागी व् मानसिक व् आर्थिक तौर पर परेशान करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहा !बैंक की अपनी सुरक्षा व्यवस्था कमजोर होने का ठीकरा पीड़ितों पर फोड़ने से बैंक अपनी जिम्मेवारी और कानूनी जवाबदेही से कतई नहीं बच सकता है ! बैंक को यह फ्रॉड पुलिस से भी छुपाने का रहस्य कोर्ट में भी विस्तारपूर्वक बयां करना ही होगा ! अगर पुलिस और उपभोक्ता कोई सही क़ानूनी कदम अगली कार्यवाही हेतु उठाते हैं ! बैंक अकाउंट हैक करने वाले मुंबई पुलिस की आँखों में कब तक लालमिर्ची डालते हुए छुपाछुप्पी खेलते हुए बचे रहेंगे !