चंडीगढ़ : 27 मार्च आरके विक्रमा शर्मा :- चंडीगढ़ को सिटी ब्यूटीफुल व एजुकेटेड सिटी सहित पीसफुल सिटी और सिटी ऑफ ग्रीनरी व पत्थरों का शहर ना जाने कैसे-कैसे नामों से पूरी दुनिया में जाना जाता है। लेकिन इसकी दुर्भाग्यवश विडंबना देखिए अभी भी यहां समस्याएं, असुविधाएं और अनियमितताएं विकराल रूप धारण किए हुए हैं। चंडीगढ़ सिटी की पब्लिक व प्रेस सहित पुलिस और प्रशासन यानी फोर पी यहां की समस्याओं से इस तरह बेपवाह है। यह विदेशों में वहां के अखबारों में छपते रहते चंडीगढ़ की समस्याओं से रूबरू करवाते समाचारों से मालूम पड़ जाता है। पेरिस सिटी कहे जाने वाले चंडीगढ़ की समस्याओं का उल्लेख वहां के अखबारों में होना सुविधा संपन्न चंडीगढ़ के नाम पर एक धब्बा है। लेकिन प्रशासन व नगर निगम सहित पुलिस और प्रशासन व समाजसवी संस्थाएं आदि सब मात्र मूकदर्शक के सिवा कुछ नहीं है।
चंडीगढ़ शहर को आईटी हब और हब आफ बिजनेस के नाम से भी जाना जाता है। लेकिन इन सबसे बढ़कर चंडीगढ़ को बैगर फ्री सिटी के तौर पर भी ज्यादा जाना जाता है।
शहर की व्यस्त सड़कों चौक चौराहों लाइट प्वाइंट पर भिखारियों की भीड़ यहां की मुस्तैद व्यवस्थाओं की खोखली पोल का नजारा पेश करती हैं। शहर के पॉश एरिया से लेकर झोपड़पट्टी, कॉलोनियों तक भिखारियों की पसरी हुई फौज प्रशासन के मुस्तैद व्यवस्थाओं के मुंह पर तमाचा है। यहां की मीडिया प्रेस सबसे मुस्तैद प्रेस कही जाती है। लेकिन जब कोई हादसा होता है तो इसकी भी जाग खुल जाती है। और फिर तो दूसरे की लंगोटी खींचने से और मुस्तैदी के ढोल पीटने से कोई भी कोई गुरेज नहीं बरतता है।
ऐसा नहीं है कि इन भिखारियों पर प्रशासन की या यहां की नंबर वन पुलिस की या समाज सेवी संस्थाओं सहित नगर निगम की फौज की नजर नहीं है। लेकिन दुर्भाग्य तो है कि यह नजर इन भिखारियों की जेब पर ही सबसे ज्यादा रहती है। ना कि यहां व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने की कोई जहमत उठाता है।