सतगुरू की शिक्षाओं पर चलना ही गुरूसिख का जीवन हैः श्री सुशील चोपडा

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सतगुरू की शिक्षाओं पर चलना ही गुरूसिख का जीवन हैः सुशील चोपडा 

चंडीगढ़ ;  1 जुलाई (  अल्फ़ा  न्यूज इंडिया  ) ;— गुरूसिख का कर्म ही उसकी पहचान है और सतगुरू की शिक्षाओं पर चलना ही गुरूसिख का जीवन होता है। यह विचार सन्त निरंकारी सत्संग भवन सैक्टर-30 में आयोजित सत्संग के दौरान अमृतसर से प्रचार यात्रा पर आए श्री सुशील चोपडा जी ने कहे। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि गुरूसिख कभी किसी का दिल नहीं दुखाते हैं और सदैव दूसरों का भला मांगते हैं। गुरूसिख ऐसी भावना को अपनाता है जो मनुष्य को मनुष्य से जोड़ती है। 
उन्होंने आगे फरमाया कि जिस प्रकार से प्रभु-प्रमात्मा की कोई जाति-पाति नहीं है, उसी प्रकार से उसकी संतान की कोई भी जाति नहीं है। उन्होंने उदाहरण देते हुए समझाया कि किसी भी व्यक्ति को देख लीजिए, उसके रक्त का रंग लाल होता है। प्रभु प्रमात्मा ने किसी विशेष व्यक्ति को विशेष रंग से नहीं नवाजा है। उसने सभी को एकसार व एकरूप बनाया है। यह रंगभेद, जाति-पात सब मनुष्य की अपनी देन है। सारा विश्व एक परिवार का स्वरूप है- यही संदेश सद्गुरू माता सविन्द्र हरदेव जी महाराज दे रहे हैं। 

इसलिए आज हम सबको जैसा सद्गुरू माता जी ने समझाया कि अपने कर्मों में प्रीत, प्यार व नम्रता जैसे गुणों से सरोबार होकर रोशन मिनार बनना है, उसे सही मायनों में चरितार्थ करने की आवश्यकता है। 
इस अवसर पर चंडीगढ़ के संयोजक श्री नवनीत पाठक जी, मुखी श्री एस0एस0बंगा, मुखी श्री पवन कुमार जी, मुखी श्री एन0के0गुप्ता जी ने श्री सुशील चोपडा जी का अभिनन्दन व स्वागत किया।

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