पाँच महापर्वो में दूसरा पर्व  नरक चतुर्दशी

Loading

चंडीगढ़: 13 नवंबर:- अल्फा न्यूज इंडिया प्रस्तुति:—- चतुददर्शी व्रत का बखान

त्यौहार प्रतिवर्ष कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन मनाया जाता हैं। कुछ व्यक्ति इसे छोटी दीपावली कहते हैं, क्योंकि यह दीपावली से एक दिन पहले ही मनाया जाता हैं। कुछ लोग इसे नरक चौदस, रूप चौदस, रूप चतुर्दशी आदि नामों से जानते हैं। तो कुछ इसे नरक पूजा तथा नर्क चतुर्दशी के नाम से जानते हैं। इस दिन मुख्य रूप से मृत्यु के देवता यमराज जी की पूजा–अर्चना की जाती हैं।

 

*नरक चतुर्दशी की कथा-1*

 

प्राचीन काल में एक नरकासुर नाम का राजा था। जिसने देवताओं की माता अदिति के आभूषण छीन लिए थे। वरुण देवता को छत्र से वंचित कर दिया था, मंदराचल के मणिपर्वत शिखर पर अपना कब्ज़ा कर लिया था तथा देवताओं, सिद्ध पुरुषों और राजाओं की 16100 कन्याओं का अपहरण कर उन्हें बंदी बना लिया था। कहा जाता हैं, कि दुष्ट नरकासुर के अत्याचारों व पापों का नाश करने के लिए श्री कृष्ण जी ने नरक चतुर्दशी के दिन ही नरकासुर का वध किया था, और उसके बंदी ग्रह में से कन्याओं को छुड़ा लिया। कृष्ण जी ने कन्याओं को नरकासुर के बंधन से तो मुक्त कर दिया। लेकिन देवताओं का कहना था कि समाज इन्हें स्वीकार नहीं करेगा। इसलिए आप ही इस समस्या का हल बताये। यह सब सुनकर श्री कृष्ण जी ने कन्याओं को समाज में सम्मान दिलाने के लिए सत्यभामा की सहायता से सभी कन्याओं से विवाह कर लिया।

 

*नरक चतुर्दशी की कथा-2*

 

नरक चतुर्दशी के दिन से एक और कथा जुडी हुई हैं जिसका वर्णन भी यहाँ किया जा रहा हैं। प्राचीन समय में एक रन्तिदेव नामक राजा हुआ करता था। वह हमेशा धर्म–कर्म के काम में लगा रहता था। जब उनका अंतिम समय आया तब उन्हें लेने के लिए यमराज के दूत आये और उन्होंने कहा कि राजन अब आपका नरक में जाने का समय आ गया हैं। नरक में जाने की बात सुनकर राजा हैरान रह गये और उन्होंने यमदूतों से पूछा की मैंने तो कभी कोई अधर्म या पाप नहीं किया। मैंने हमेशा अपना जीवन अच्छे कार्यों को करने में व्यतीत किया। तो आप मुझे नरक में क्यों ले जा रहे हो। इस प्रश्न का उत्तर देते हुए उन्होंने बताया, कि एक बार राजन तुम्हारे महल के द्वारा एक ब्राहमण आया था, जो भूखा ही तुम्हारे द्वारा से लौट गया। इस कारण ही तुन्हें नरक में जाना पड रहा हैं। यह सब सुनकर राजा ने यमराज से अपनी गलती को सुधारने के लिए एक वर्ष का अतिरिक्त समय देने की प्रार्थना की। यमराज ने राजा के द्वारा किये गये नम्र निवेदन को स्वीकार का लिया और उन्हें एक वर्ष का समय दे दिया। यमदूतों से मुक्ति पाने के बाद राजा ऋषियों के पास गए और उन्हें पूर्ण वृतांत विस्तार से सुनाया. यह सब सुनकर ऋषियों ने राजा को एक उपाय बताया। जिसके अनुसार ही उसने कार्तिक मास कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन व्रत रखा, और ब्राहमणों को भोजन कराया जिसके बाद उसे नरक जाने से मुक्ति मिल गई।

 

*पूजन विधि*

1. इस दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर शरीर पर तेल या उबटन लगाकर मालिश करने के बाद स्नान करना चाहिए। ऐसा माना जाता हैं, कि जो व्यक्ति नरक चतुर्दशी के दिन सूर्य के उदय होने के बाद नहाता हैं। उसके द्वारा पूरे वर्ष भर में किये गये शुभ कार्यों के फल की प्राप्ति नहीं होती।

2. सूर्य उदय से पहले स्नान करने के बाद दक्षिण मुख करके हाथ जोड़कर यमराज से प्रार्थना करें। ऐसा करने से व्यक्ति के द्वारा किये गये वर्ष भर के पापों का नाश होता हैं।

3. नरक चतुर्दशी की शाम को सभी देवताओं की पूजा करने के बाद तेल के दीपक जलाकर घर के दरवाजे की चोखट के दोनों ओर, सड़क पर तथा अपने कार्यस्थल के प्रवेश द्वारा पर रख दें। ऐसा माना जाता हैं कि इस दिन दीपक जलाने से पूरे वर्ष भर लक्ष्मी माता का घर में स्थाई निवास होता हैं।

💝 *श्री राधा कृष्ण जी* 💝

माता-पिता आप हमारे❗ हम शरण में है आपकी

🙏🌹जय जय श्री राधा जी🙏वहाt

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

160332

+

Visitors