चंडीगढ़/पंचकूला ; 29 अक्टूबर ; आरके शर्मा विक्रमा /एनके धीमान /कर्ण शर्मा ;——भारतवर्ष नाना प्रकार की विविधताओं का धर्म निरपेक्ष देश है ! अपनीउक्त विलक्षणता के लिए समूची दुनिया में भारत अपना सानी नहीं रखता है ! हिंदू धर्म के वार्षिक पंचांग के मुताबिक कार्तिक मास की कृष्ण अष्टमी को माता अहोई की अष्टमी का व्रत विधिविधान पूर्वक किया जाता है। इस मर्तबा पंडित रामकृष्ण शर्मा जी के मुताबिक संतान की स्वस्थ दीर्घायु हेतु किये जाने वाला यह व्रत बुधवार 31 अक्टूबरको मनाया जाएगा है। धर्म प्रज्ञ रामकृष्ण शर्मा जी के अनुसार ये करवाचौथ की भांति ही सम्पन्न किया जाता है ! करवाचौथ में चन्द्रमा दर्शन के पश्चात ही जल मुंह को लगाया जाता है जबकि अहोई माता के व्रत में तारा दर्शन किया जाता है !माताएं अपने अपने लख्ते जीगरों [पुत्र] की लंबी आयु और स्वस्थ व् समग्र कामयाब जीवन हेतु व्रत का प्रयोजन करती हैं ! सारा दिवस निराहार रहते हुए अहोई मटकी अनुकम्पा के गुणगान भजन गायन करते हुए व्यतीत करती हैं और सांझ ढलते ही अहोई माँ का विधिविधानसे पूजन श्रृंगार और आरती थाली सजाती हैं ! अहोई माँ के पूजन के बाद ही मां अन्न और जल ग्रहण करती हैं।