चंडीगढ़/कुरुक्षेत्र ; 14 दिसम्बर ; आरके शर्मा विक्रमा ;——समग्र सृष्टि को जीने की ज्ञान पद्धति और कला सिखाने का सबसे सर्वोच्च और सर्वमान्य महाग्रंथ भगवत गीता की श्रीस्मृति को समर्पित महायोजन का श्री गणेश कुरुक्षेत्र स्थित ब्रह्म सरोवर के तट पर हुआ जोकि आगामी 18 दिस्मबर तक चलेगा ! चारोंओर धर्मगीता की जयघोषों की अविलम्ब झंकार गुंजायमान है !
मंत्रौच्चारण और शंखनाद के उल्लास भरे वातावरण में हरि के प्रदेश के जिला कुरुक्षेत्र के छह दिवसीय मुख्य अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव-2018 का आगाज वीरवार से हुआ। उद्घाटन केमुख्य समारोह में मॉरीशिस के राष्ट्रपति प्रामाशिव्यम पिल्लै वयापरे, राज्यपाल हिमाचल प्रदेश सत्यदेव नारायण आर्य, मुख्यमंत्री हरियाणा मनोहर लाल खटटर ने ब्रहमसरोवर के पवित्र जल का आचमन कर पवित्र ग्रन्थ गीता का पूजन कर विधिवत रुप से
अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव का श्रीगणेश किया।
विदेशों से भी बे-अथाह आस्थावान और उत्सुक दर्शक वर्गों व् श्रोताओं के सैलाब कुरुक्षेत्र में उमड़े हैं ! हर ओर भक्ति की मृदुल कर्णप्रिय स्वर लहरियां उमड़ती बिखरती फैलती सुनाई दे रही हैं ! हर ओर सुव्यवस्थाओं का आलम हिलोरे ले रहा है ! स्वछता का साम्राज्य देखते ही बनता है !
धर्म व् कर्म क्षेत्र के वृहद ब्रह्म सरोवर के मंच पर जब विदेशी मेहमान भारतीय धर्म मर्यादा का वहं करते हुए मंत्रोचारण के बीच उद्घाटन की रस्में निभा रहे थे तो उनके साथ कई राजयपाल और मुख्यमंत्री सहित अनेकों बड़े छोटे मंत्री विधायक सांसद आदि मंच पर उपस्थित रहे ! यहाँ एक धर्म कर्म और गरिमामय मर्म को आहत करने वाला नजारा देख लाखों करोड़ों की आस्था श्रद्धा को गंभीर ठेस पहुंची ! जहाँ बड़े छोटे सभी देसी विदेशी मेहमान आदि जूते उतार करके पूजा अर्चन करते हुए आचमन ग्रहण कर रहे थे वहीँ धर्म कर्म के इसी मंच पर अनेकों जिम्मेवार और जवाबदेह शिक्षितों को जूते पहने उद्घाटन मंच पर विचरते देख उक्त अव्यवस्था और मंचीय गरिमा का उपहास उड़ाते परिदृष्य की घोर निंदा हो रही है ! हैरत और पीड़ा का विषय तो ये रहा कि इसी मंच पर मॉरीशिस के राष्ट्रपति प्रामाशिव्यम पिल्लै वयापरे, राज्यपाल हिमाचल प्रदेश सत्यदेव नारायण आर्य, गुजरात के शिक्षा मंत्री भूपेन्द्रा सिंह, हरियाणा के शिक्षामंत्री रामबिलास शर्मा, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्यमंत्री कृष्ण कुमार बेदी, विधायक डा. पवन सैनी, भगवत गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज जी की पवित्र गरिमामयी उपस्थिति उस वक़्त गौण होकर रह गयी जब जूते पहने लोगों को देस दुनिया के करोड़ों आस्थावानों ने बड़े ही पवित्र मंच पर देखा ! यहाँ व्यवस्थापकों की मुस्तैदी की खोखली पोल खुलती नजर आई ! जहँ कदावर भारतीय जन और विदेशी अति विशिष्ट अतिथि धर्म परम्पराओं और प्रचलनों के प्रति सजग और निष्ठावान दिखाई दिए ! वहीँ कुछेक ओछे व्यवहार के धनी भारतीय धर्म आस्था श्रद्धाओं का बेशर्मी से मंच पर हनन करते रहे !