वेब कॉन्फ्रेंसिंग कर की किसानों की परेशानियों की समीक्षा
चंडीगढ़/करनाल ; 20 दिसम्बर ; अल्फ़ा न्यूज इंडिया डेस्क ;—– किसानों को खाद के साथ कीटनाशक आदि कोई भी अन्य उत्पाद खरीदने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता। यदि कोई खाद विक्रेता ऐसा करता है तो उसके खिलाफ कानूनी कार्यवाही सुनिश्चित की जाएगी। हरियाणा ग्रंथ अकादमी के उपाध्यक्ष और भारतीय जनता पार्टी नेता प्रोफेसर वीरेंद्र सिंह चौहान ने यूरिया के साथ कीटनाशक की टैगिंग किए जाने की कुछ शिकायतें सम्मुख आने पर इस संबंध में वेब कॉन्फ्रेंसिंग द्वारा कृषि विभाग के अधिकारियों से विमर्श के बाद इस आशय की जानकारी दी।
प्रोफेसर वीरेंद्र सिंह चौहान ने कहा कि करनाल जिले में अब तक पांच ऐसे खाद विक्रेताओं को कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं और उनके जवाब संतोषजनक ना पाए जाने की सूरत में उनके लाइसेंस रद्द किए जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि जिले के उप कृषि निदेशक डॉ आदित्य डबास और उनकी टीम को किसानों की परेशानी का समुचित समाधान करने के लिए कहा गया है।
प्रोफेसर वीरेंद्र सिंह चौहान ने कहा कि जिले में इस समय गेहूं की फसल को यूरिया खाद की आवश्यकता है। खाद की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए राज्य का कृषि निदेशालय और अन्य संबंधित सरकारी कर्मचारी पुरजोर कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने बताया की यूरिया की आपूर्ति संतोषजनक है और इस में आने वाले दिनों में और वृद्धि होगी ताकि किसानों को किसी परेशानी का सामना ना करना पड़े।
प्रोफेसर चौहान के अनुसार वेब कॉन्फ्रेंस कार्यक्रम में कृषि विभाग की ओर से डॉ आदित्य डबास ने सूचित किया कि कुछ यूरिया निर्माता कंपनियों द्वारा भी अपने उत्पाद विक्रेताओं के पास बिक्री के लिए भेजें जाने की शिकायत प्राप्त हुई है। ऐसी कंपनियों के नाम भी हरियाणा के कृषि निदेशक को पहुंचा दिए गए हैं ताकि उच्चतम स्तर पर इन कंपनियों को चेताया जा सके।
ग्रंथ अकादमी उपाध्यक्ष वीरेंद्र सिंह चौहान ने कहा कि यदि कोई विक्रेता किसी किसान को यूरिया के साथ दवा इत्यादि नत्थी करके देने का प्रयास करता है तो किसान तुरंत कृषि विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को इसकी शिकायत करें और किसी भी सूरत में गड़बड़झाला करने वाले दुकानदारों के दबाव में आने की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने बताया कि जैसे ही यूरिया बिक्री के लिए पैक्स अथवा डीलरों के पास आता है कृषि विभाग में कार्यरत सक्षम युवाओं के समूह के माध्यम से सब गांव में किसानों को इसकी सूचना दे दी जाती है ताकि वे आवश्यकतानुसार खाद की खरीद कर सकें।