चंडीगढ़:- 1 मई:- करण शर्मा/ एनके धीमान:– चंडीगढ़ में मार्च से कोरोनावायरस महामारी के चलते 3 मई तक कर्फ्यू लगा हुआ है! सरकारी गैर सरकारी अदायरे स्कूल कॉलेज संस्थान मार्केट फैक्ट्रियां यहां तक कि परमपिता परमेश्वर के मंदिर गुरुद्वारे चर्च और मस्जिदे मकबरे सब बंद है!! हजारों लोग भुखमरी के दौर से गुजर रहे हैं! प्रशासन और प्राइवेट धर्म समाज संस्थान एनजीओ आदि भूखे जरूरतमंदों को पका हुआ और सुखा राशन देने में दिन-रात जुटे हैं! सरकार ने घोषणा की है कि बैंक ग्राहकों से लेने वाले लोन किसतें 3 महीने के लिए स्थगित करेगा।। और स्कूलों की फीस भरने की भी कर्फ्यू तक पूरी छूट रहेगी।। और किसी भी विद्यार्थी और उनके अभिभावक को फीस को लेकर परेशान करना कथित कानूनी जुर्म माना जाएगा। लेकिन यह सिर्फ घोषणाएं कागजों में दब कर रह गई हैं। हकीकत तो कुछ और ही प्रशासन के प्रबंधों पर तमाचा मार रही है।। स्कूलों की छुट्टियां 15 मई तक कर दी गई हैं। जो कभी जुलाई तक होती थीं। हालांकि छुट्टियों का मतलब भीषण गर्मी के प्रचंड प्रकोप से बच्चों को टीचरों को अभिभावकों को बचाना होता है।। प्राइवेट स्कूलों की मनमानी के आगे ना जाने क्यों प्रशासन भीगी बिल्ली बना हुआ है। इन स्कूलों पर नकेल कब कसी जाएगी और कौन कसेगा यह यक्ष प्रश्न सबके लिए एक चुनौती है।। और अगर यह चंडीगढ़ जैसे दो राज्यों की राजधानी में हो रहा है, तो बाकी स्थानों का तो खुदा ही खैर खवाह होगा।।।
आंचल इंटरनेशनल स्कूल सेक्टर 41 के प्रबंधकीय मंडल पर भी फीस के लिए विद्यार्थियों और उनके अभिभावकों को प्रताड़ित करने अपमानित करने का किस्सा सामने आ रहा है। दूसरी कक्षा के बच्चे को ऑनलाइन पढ़ाई रोक दी गई है। क्योंकि उसकी फीस स्कूल के गल्ले में नहीं आई है। स्कूल का प्रबंधकीय ढांचा किस तरह की मानसिकता लिये है कि महामारी के दौर में भी उसे तिजौरियां भरने की पड़ी है ना की प्रशासन के आदेशों की पूर्ति करने की जिम्मेवारी की फिक्र है।।
सर्वविदित है कि बच्चे और उनके अभिभावक एक लंबे कर्फ्यू के दौर से वैसे ही उब चुके हैं। और नन्हे बच्चों के कोमल दिमाग वैसे ही डिप्रेशन का दंश भी झेल रहे हैं। ऐसे में स्कूल की ज्यादतियों और मनमानीपूर्ण कार्यवाही उन पर किसी बुरे परिणाम के रूप में भारी न पड़ जाए!!!! प्रशासन को समय रहते चेतना ही होगा और इस बेलगाम मनमानी के लिए प्राइवेट स्कूलों पर कानूनी कार्यवाही को उचित अति शीघ्र अमली जामा पहनाना ही होगा।।
कभी दुनिया को गौरवमई शिक्षा देने वाला आचार्य भारत देश आज अपनी शिक्षा की उक्त निंदनीय बाजारगिरी के चलते अपने देश में भी अपना गौरवमई स्थान खो चुका है। प्राइवेट स्कूलों ने खुद को प्रशासन की नीतियों के आगे मदमस्त हाथी बना रखा है। प्रशासन की लोगों की समस्या की नीतियां प्राइवेट स्कूलों के प्रबंधकों को बेलगाम बनाने में निरंकुश साबित हो रही है l आंचल इंटरनेशनल स्कूल के दूसरी क्लास के विद्यार्थी की माता ममता ने हताश और परेशान होकर खुद को अपमानित पाकर मजबूरन सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल की है कि दूसरी कक्षा के विद्यार्थियों को, नन्हे बच्चे को अप्रैल महीने में ही चार चैप्टर पूरे करवा दिए गए हैं।इस मास में अभी तक तो एडमिशन ही चल रही होती हैं। दूसरी क्लास के विद्यार्थी को स्टडी मेटेरियल नहीं मिला है, किताबें, कापियां व स्टेशनरी कुछ भी नहीं दिया गया है। बस स्कूल को फीस फीस और फीस ही चाहिए। और शर्म की बात तो यह है और जांच की की जानी चाहिए कि स्कूल में सेकंड क्लास के बच्चे का ऑनलाइन से नाम डि मेंएक्टिवेट, कैसे डिलीट या रिमूव कर दिया है।। अभिभावकों की मांग है कि डायरेक्टर एजुकेशन चंडीगढ़ ने फीस जमा करवाने का अतिरिक्त समय देने की अधिसूचना भी जारी की है!! फिर स्कूल प्रबंधक किस अथॉरिटी पर अभिभावकों को परेशान और लज्जित कर रहे हैं। अभिभावकों की मांग है कि मार्च व मई और आगे जून-जुलाई की फीस तक माफी के दायरे में लाई जाए क्योंकि बच्चे स्कूल गए ही नहीं तो फिर कैसे और किस लाभ में फीस अदा की जाए।।।