चंडीगढ़:- 18 अप्रैल:- आर के शर्मा विक्रमा:– आज दुनिया भर में विश्व धरोहर दिवस किस वातावरण में और किन विषम परिस्थितियों मेंं और किस नीरस भरे उदास हताश निराश मन से मनाने की मजबूरी आन पड़ी है। आने वाले कई सालों तक इस मजबूरी पर, इन हालातों पर गौर करना ही पड़ेगा। भारतीय धरोहरों चाहे वो किसी भी प्रकार की हैं, धार्मिक, सामाजिक, आर्थिक व शैक्षिक, पुरातत्व, युद्ध कौशल, ज्ञान विज्ञान खेल चिकित्सा और अंतरिक्ष सहित राजनीतिक परिवेश के लिए नीतियों आदि की धरोहरों पर हर भारतीय ही नहीं बल्कि विश्व के विकसित और विकासशील देशों को भी अविस्मरणीय गर्व है। भारत इन्हीं धरोहरों के बलबूते पर विश्व के ललाट का तिलक बना है। शिक्षा ज्ञान चिकित्सा और वास्तुकला में भारतीय इतिहास गौरवमय रहा है। आ
विश्व धरोहर दिवस पर हम सबको गर्व महसूस करते हुए विश्व को एक बार पुनः अपने दृढ़ संकल्प व राष्ट्रीय एकता रुपी धरोहर का लोहा मनवाने के लिए कोरोनावायरस जैसी महामारी को विकराल धरोहर बनने से रोकना है।। ताकि कोई नकारात्मक ऊर्जा लिए मुल्क, आने वाले कल को, महामारी धरोहर के नाते मानव समाज का सिर नीचा ना कर सके।
आओ विश्व धरोहर दिवस पर शपथ लें कि हम अपनी प्राचीनतम व ऐतिहासिक धरोहरों का संरक्षण करेंगे उनके रखरखाव में अपनी सरकारों का भी कदम से कदम मिलाकर साथ देंगे हमारी धरोहर है कि हमारी पहचान है अतः यह जब तक सूरज चांद है तब तक अमिट और अडिग खड़ी रहनी चाहिएं।