देवराज शर्मा उस पार तो बच्चे परेशां इस पार, समाजिक संस्थाओं की गुहार, प्रशासन परमिशन दें इक बार

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चंडीगढ़ :27 मार्च: आरके विक्रमा शर्मा :– कोरो ना वायरस महामारी ने भौतिक संसार पर बुरी तरह से हमला किया है। इसकी मार से विश्व के शायद ही इकाई भर देश बचे हैं। भारत में इसका खूनी कहर धीरे-धीरे बढ़ रहा है। इसे रोकने के लिए प्रधानमंत्री ने देश भर में लाक डाउन और कुछ खास जिलों में चंडीगढ़ सहित कर्फ्यू लगाया है। एक महामारी की आफत और दूसरा कर्फ्यू के चलते सामाजिक ताना-बाना बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है। लोग अपने घर परिवार वालों से मिलने के लिए छटपटा रहे हैं। ट्रांसपोर्टेशन की तीनों सेवाएं बुरी तरह से बंद पड़ी हैं। जो जहां है, उसके पांव वहीं जड़ हो गए हैं। लेकिन जिम्मेदारियां और जवाबदेही ने “उसे” भारी दुविधा में डाल रखा है।।

चंडीगढ़ में हिमाचल प्रदेश के लाखों लोग जीविका कमाने के कारण यहां रहते हैं। जिनके अब चंडीगढ़ में स्थाई और अस्थाई या किराए पर निवास हैं। ऐसे ही सेक्टर 28 बी स्थित यूटी प्रेस कॉलोनी के कर्मचारी देवराज शर्मा अपनी पत्नी, दो बेटियां और व  पुत्र सहित रहते हैं। लॉक डाउन से एकाध दिन पहले ही देवराज शर्मा की सासुमां का हिमाचल प्रदेश के जिला हमीरपुर में देहावसान हो गया था। पति पत्नी तुरंत दाह संस्कार में भागीदार होने के लिए हिमाचल प्रदेश चले गए थे। बाद में लॉक डाउन और साथ लगते ही चंडीगढ़ में कर्फ्यू लग गया। देवराज शर्मा अपनी पत्नी सहित दिवंगत सासु मां के लिए रीति रिवाज मुताबिक उनकी तेरहवीं आदि के लिए मजबूरन अपनी ससुराल में ही फस गए। और इधर दोनों बेटियां और बेटा जो शारीरिक रूप से  विकलांग है जिसे हर वक्त बड़ों के ही साथ सहारे की सख्त जरूरत रहती है बुरी तरह से वंचित रह रहा है। देवराज शर्मा की अल्फा न्यूज़ इंडिया के माध्यम से चंडीगढ़ प्रशासन और पुलिस के शीर्ष अधिकारियों से हाथ जोड़ विनती है कि उन्हें चंडीगढ़ आने की तुरंत परमिशन दी जाए। या बनती व्यवस्था करवा कर परिवार से मिलाया जाए। क्योंकि सेक्टर 28 बी स्थित मकान नंबर 1324 में रह रहे उनके बच्चे बुरी तरह से दहशत जदा हैं और विकराल  रूप धारण किए महामारी से बचने के लिए बनती सावधानियां भी अभिभावकों की गैर मौजूदगी में रख पाने में असफल हैं। ऐसे में इन बच्चों पर महामारी के प्रकोप का भगवान ना करे साया पड़ गया तो यह जिम्मेवारी किसके सिर होगी?? बच्चे अभी नाबालिग है जो अपनी नासमझी के कारण एतिहात बरतने में भी असक्षम हैं।। और यहां उनकी देखरेख के लिए कोई भी बड़ा व्यक्ति उनके साथ नहीं है।

हिमाचल एकता महासंघ और सिद्ध जोगी पौणाहारी लंगर सेवा दल ट्राइसिटी सहित हुनर; द हंट और कारवां दि इंडिया फाउंडेशन आदि समाजसेवी संस्थाओं ने प्रशासन से अपील की है कि समय रहते हर समय की नजाकत को समझते हुए नाबालिक बच्चों को यह तो हिमाचल परदेस उनके मां-बाप के पास भेजने का इंतजाम किया जाए या फिर मां बाप को चंडीगढ़ आने का कर्फ्यू के दौरान त्वरित कार्रवाई करते हुए यात्रा पास जारी किया जाए।।

 

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